दो दशकों से जारी गृह युद्द में अफगानिस्तान जान और माल दोनों की भारी तबाही झेल रहा है. नए सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले दस साल में 13700, हर दिन करीब चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है.
विज्ञापन
पीड़ितों के परिवारों को दिए जाने वाले सरकारी मुआवजे के आंकड़े जारी होने पर पाया गया कि बीते दस साल में अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जारी लड़ाई में 13700 से ज्यादा अफगान सुरक्षाकर्मी मारे गए. यह संख्या प्रशासनिक मामलों के कार्यालय ने जारी की. अफगानिस्तान के खराब हालात के बीच सरकार ऐसे आंकड़े जल्दी आम नहीं करती जिनसे लोगों का मनोबल गिर जाए.
असल संख्या इससे ज्यादा
कार्यालय के अनुसार पिछले दस साल में मरने वाले सुरक्षाकर्मियों के 13729 परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाई गई और बुरी तरह जख्मी हुए 16511 सुरक्षाकर्मियों के परिवारों को मुआवजा दिया गया. प्रशासनिक मामलों के कार्यालय में सार्वजनिक मामलों के निदेशक सैयद जवाद जावेद ने बताया, "हर वह परिवार जिसे मदद दी गई है, किसी न किसी शहीद का परिवार है."
उन्होंने बताया कि हादसों में प्रभावित हुए कुल सुरक्षाकर्मियों की सटीक संख्या बताना मुश्किल है. वह संख्या हमारे पास नहीं है. उन्होंने आगे कहा, "ये उन शहीदों की संख्या है जिनके परिवार को सरकार से मदद मिली. ऐसा ही घायल हुए सुरक्षाकर्मियों के मामले में भी है."
जंग और जिंदगी के बीच अफगानिस्तान
पुरस्कृत फोटोग्राफर मजीद सईदी की तस्वीरें सालों से जंग की आग में झुलसते अफगानिस्तान के हालात दिखाती हैं.
तस्वीर: Majid Saeedi
नशे में डूबा बचपन
अफगानिस्तान में नशा एक बड़ी समस्या है. बचपन से ही अफीम की लत लगने का खतरा रहता है. नशे के शिकार बच्चों के कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह संख्या करीब तीन लाख है.
तस्वीर: Majid Saeedi
त्रासदी के खिलौने
काबुल में दो छोटी लड़कियां कृत्रिम हाथ से खेल रही हैं. इस तस्वीर के लिए मजीद सईदी को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
तस्वीर: Majid Saeedi
मुझे कहना है
मजीद सईदी ने 16 साल की उम्र में फोटोग्राफी करना शुरू किया. तब से वह लोगों के जीवन के संघर्ष को अपनी तस्वीरों में दिखाते आए हैं. उनकी तस्वीरें श्पीगल, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी नामचीन पत्रिकाओं में छप चुकी हैं.
तस्वीर: Majid Saeedi
अफगान बच्चे
दसियों सालों से अफगान जंग के साए में जी रहे हैं. सईदी की तस्वीरें उनकी जिंदगी से रूबरू कराती हैं, जैसे यह अफगान बच्चा जो एक धमाके में अपने हाथ खो बैठा.
तस्वीर: Majid Saeedi
दास्तां सुनाते खंडहर
अफगानिस्तान के अतीत की कहानी सिर्फ लोग ही नहीं, देश भर में इमारतों के खंडहर भी सुनाते हैं.
तस्वीर: Majid Saeedi
सावधान!
काबुल में हर सुबह सैनिकों की ट्रेनिंग होती है. जर्मन सेना भी अफगान सेना की ट्रेनिंग में मदद कर रही है. मकसद है कि जब 2014 के अंत में जर्मन सेना अफगानिस्तान से वापसी करे तो अफगान सेना परिस्थितियों का खुद मुकाबला कर सके.
तस्वीर: Majid Saeedi
मुश्किल बचपन
अफगानिस्तान में अच्छी शिक्षा व्यवस्था की भी कमी है. कई बच्चों को परिवार को सहारा देने के लिए बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर काम में लगना पड़ता है.
तस्वीर: Majid Saeedi
पढ़ाई मयस्सर नहीं
1979 के बाद से देश में शिक्षा व्यवस्था पर बेहद खराब असर पड़ा. जर्मन सरकार द्वारा 2011 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अफगानिस्तान के 72 फीसदी पुरुष और 93 फीसदी महिलाओं को कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली है.
तस्वीर: Majid Saeedi
गुड़ियां बनाते हाथ
एक मलेशियाई गैर सरकारी संगठन द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में लड़कियां गुड़ियां बनाना सीख रही हैं. मकसद हैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाना.
तस्वीर: Majid Saeedi
तालिबान का बदला
2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद तालिबान हमले में चार लोग मारे गए और 36 घायल हुए. यह तस्वीर इनमें से दो पीड़ितों की है.
तस्वीर: Majid Saeedi
अफगान खेल
अफगानिस्तान में बॉडी बिल्डिंग को पुरुष बेहद पसंद करते हैं. कसरत के बाद आराम करते दो नौजवान.
तस्वीर: Majid Saeedi
जंग की फसल
पिछले तीस सालों ने अफगान जीवन को बहुत प्रभावित किया है. यहां के खेत और खलिहान भी जंग के शिकार हुए हैं.
तस्वीर: Majid Saeedi
मदरसे
2011 की तस्वीर. कंधार के एक मदरसे में पढ़ते बच्चे.
तस्वीर: Majid Saeedi
मारने को तैयार
अफगानिस्तान में कुत्तों की आम लड़ाई लोकप्रिय है. कुत्तों को मुकाबले में लड़ने और मारने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
तस्वीर: Majid Saeedi
अलग थलग
मनोवैज्ञानिक बीमारियों से जूझ रहे लोग बाकियों से अलग कई बार आमानवीय परिस्थितियों में रखे जाते हैं. हेरात शहर के एक अस्पताल का दृश्य.
तस्वीर: Majid Saeedi
बदकिस्मती
अकरम ने अपने दोनो हाथ खो दिए. सोने से पहले वह अपने दोनों कृत्रिम हाथ निकाल कर अलग रख देता है. उसके जैसे कई और बच्चे हैं जो ऐसी बदनसीबी को झेल रहे हैं.
तस्वीर: Majid Saeedi
मकसद
मजीद सईदी अपनी तस्वीरों के जरिए समाज के बारे में बहुत सी जरूरी बातें कहने की कोशिश करते हैं. पिछले दिनों पेरिस में उन्हें 2014 के लूकास डोलेगा पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
तस्वीर: Maryam Ashrafi
17 तस्वीरें1 | 17
प्रशासनिक मामलों के कार्यालय के अनुसार पिछले दस सालों से देश में जारी गृह युद्ध के दौरान परिवार के उन सदस्यों को खोने के लिए भी 12336 परिवारों को मुआवजे की राशि दी गई, जो सेना में भर्ती नहीं थे. लेकिन संघर्ष में जान गंवाने वाले नागरिकों की असल संख्या इससे कहीं अधिक होने की संभावना है.
पिछले हफ्ते जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पिछले सिर्फ पांच सालों में ही देश में 14064 नागरिक मारे गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इन मौतों के लिए तालिबान के नेतृत्व में काम कर रहे सरकार विरोधी तत्व जिम्मेदार हैं.
2014 के बाद
बीते कुछ सालों में अफगान सुरक्षाकर्मियों में मरने वालों की संख्या बढ़ी है. 2014 के अंत में अमेरिकी और नाटो सेनाएं अफगानिस्तान से वापसी की तैयारी कर रही हैं और देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी धीरे धीरे पूरी तरह अफगान सैनिकों के हाथ में सरकती जा रही है. इस बीच तालिबान के साथ संघर्ष में घायल हुए सुरक्षाकर्मियों की भी संख्या बड़ी है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार पिछले साल संघर्ष के महीनों में लगभग हर महीने करीब 400 सुरक्षाकर्मी मारे गए.
दिसंबर तक अमेरिका के नेतृत्व वाले 55000 सैन्य दस्ते अफगानिस्तान से वापसी की तैयारी में हैं. हालांकि सेना का छोटा टुकड़ा अफगान सैनिकों के प्रशिक्षण और आतंकवाद निरोधी कार्यवाही के लिए आगे 2015 तक के लिए भी छोड़ा जा सकता है. लेकिन अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर न करने पर राष्ट्पति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर यह समझौता नहीं होता है तो वह एक भी सैनिक अफगानिस्तान में नहीं छोड़ेंगे. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि इसका फैसला आने वाला नया राष्ट्रपति करेगा.
एक हफ्ते पहले अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत कुनार में हुए एक हमले में 21 सुरक्षाकर्मी मारे गए. देश के प्रशासनिक कार्यालय का कहना है, "शहीद और जख्मी होने वाले अफगान सैनिकों और नागरिकों का समर्थन करना सरकार की धार्मिक, राष्ट्रीय और आधिकारिक जिम्मेदारी है"