केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 में किए गए परिवर्तनों के बाद जम्मू कश्मीर राज्य इतिहास हो जाएगा और उसकी जगह दो नए जगह केंद्र शासित प्रदेश आ जाएंगे. और क्या-क्या बदल जाएगा जम्मू कश्मीर में, जान लीजिए.
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भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 में संशोधन का फैसला किया है. इन संशोधनों को सरकार ने 5 अगस्त को राज्यसभा में पास करवा लिया था. 6 अगस्त को ये संशोधन लोकसभा में रखे गए हैं. लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है. ऐसे में ये आसानी से पास हो जाएगा. इन संशोधनों के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो जाएगा. अनुच्छेद 370 के साथ चर्चित धारा 35 ए भी खत्म हो जाएगी.
इन संशोधनों को संसद के सामने रखने से पहले जम्मू कश्मीर में किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. पूरी कश्मीर घाटी में धारा 144 और कर्फ्यू लगा दिया गया. सभी सरकारी संस्थानों को बंद रखा गया. दूसरे राज्यों के लोगों को उनके राज्य वापस भेज दिया गया था. जम्मू कश्मीर के प्रमुख नेताओं उमर अबदुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन को पहले नजरबंद किया गया और बाद में हिरासत में ले लिया गया. इन संशोधनों के बाद फिलहाल कश्मीर घाटी से हिंसा की कोई खबर नहीं है. कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट, टेलीफोन और ब्रॉडबैंड सेवाएं और केबल टीवी फिलहाल बंद हैं.
केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के खंड 1 को जारी रखा है. संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 370(1) में प्रावधान के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं. 370(1) बकायदा कायम है सिर्फ 370 (2) और (3) को हटाया गया है. 370(3) में प्रावधान था कि 370 को बदलने के लिए जम्मू और कश्मीर संविधान सभा की सहमति चाहिए. जम्मू और कश्मीर संविधान सभा का अब अस्तित्व नहीं है.
अब क्या-क्या बदल जाएगा जम्मू कश्मीर में
1. अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था. इसके खंड 1 के अलावा सारे खंड हटा दिए गए हैं. ऐसे में अब विशेष राज्य का दर्जा भी समाप्त हो गया है.
2. जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया जाएगा. जम्मू कश्मीर को राज्य की जगह विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख के इलाके को एक अन्य केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.
3. भारत में दोहरी नागरिकता लागू नहीं होती. भारत में एकल नागरिकता कानून है लेकिन जम्मू कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता मिलती थी. वो भारत के साथ साथ जम्मू कश्मीर के भी नागरिक होते थे. अब वहां भी एकल नागरिकता कानून लागू होगा.
4. भारत में राज्यों के अलग झंडे नहीं होते हैं. भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ही पूरे देश का झंडा होता है. लेकिन जम्मू कश्मीर में भारत के झंडे के साथ राज्य का एक अलग झंडा होता था. जो अब नहीं होगा. जम्मू कश्मीर में भी भारत का झंडा और राज्यों की तरह लागू होगा.
5. जम्मू कश्मीर एक पूर्ण राज्य था. ऐसे में वहां की कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अंतर्गत आती थी. लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद राज्य की कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के जिम्मे होगी.
6. अनुच्छेद 370 के चलते आर्थिक आपातकाल की स्थिति भी राज्य पर लागू नहीं होती थी. अब आर्थिक आपातकाल की स्थिति जम्मू कश्मीर पर भी लागू होगी.
7. अब तक जम्मू कश्मीर में सूचना का अधिकार कानून लागू नहीं होता था. लेकिन अब जम्मू कश्मीर में सूचना का अधिकार कानून लागू होगा.
8. जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल बाकी राज्यों से एक साल ज्यादा यानी छह साल होता था. लेकिन अब जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल भी पांच साल ही होगा.
9. जम्मू कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक और हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन यहां अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता है. अब यहां अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिल सकेगा.
10. धारा 35ए के चलते दूसरे राज्यों के निवासी जम्मू कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. अनुच्छेद 370 में संशोधन के साथ धारा 35ए खत्म हो जाएगी. अब जम्मू कश्मीर में वहां के स्थानीय निवासियों के अलावा दूसरे राज्यों के लोग भी संपत्ति खरीद सकेंगे.
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में यह भी आश्वासन दिया कि घाटी के हालात सामान्य होने के बाद जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा. लेकिन तब तक वहां केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में उपराज्यपाल काम करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि हालात सामान्य होने में समय भी लग सकता है.
कश्मीर मुद्दे की पूरी रामकहानी
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
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2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.