जिम्बाब्वे: गंभीर सूखे के कारण दर्जनों हाथियों की मौत
२० दिसम्बर २०२३
भूख और प्यास से कमजोर हाथी जिम्बाब्वे के अभयारण्य में मर रहे हैं. वहां अब तक 100 हाथियों की मौत हो चुकी है.
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जिम्बाब्वे के अधिकारियों के मुताबिक सबसे अधिक प्रभावित हाथियों में युवा, बूढ़े और बीमार हाथी हैं, जो पानी की तलाश के लिए लंबी दूरी तय नहीं कर सकते. हवांगे नेशनल पार्क में सूखे के कारण 2019 में दो सौ हाथियों की मौत हो गई थी.
हाल के हफ्तों में जिम्बाब्वे के सबसे बड़े राष्ट्रीय अभयारण्य में सूखे के कारण कम से कम 100 हाथियों की मौत हो गई है. वन्यजीव अधिकारी और संरक्षण समूह इन हाथियों की मौत के लिए जलवायु परिवर्तन और अल नीनो को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ऐसी और मौतें हो सकती हैं क्योंकि हवांगे नेशनल पार्क समेत दक्षिणी अफ्रीकी देश के कुछ अन्य क्षेत्रों में गर्मी बढ़ने और कम बारिश का अनुमान है.
इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर ने इसे हाथियों और अन्य जानवरों के लिए संकट बताया है. जिम्बाब्वे राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव प्रबंधन प्राधिकरण के प्रवक्ता तिनशे फरावो ने कहा, "अल नीनो पहले से ही गंभीर स्थिति को और भी बदतर बना रहा है."
यहां तीन साल से नहीं हुआ किसी भी हाथी का शिकार
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क्या है अल नीनो?
अल नीनो जलवायु से जुड़ा मौसमी प्रभाव है जो औसतन हर दो से सात साल में आता है. स्पैनिश भाषा के शब्द अल नीनो का अर्थ है, लिटल बॉय यानी छोटा लड़का. इसका संबंध अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन में अधिक तापमान से है.
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मुख्य रूप से इसकी शुरुआत पूर्वी प्रशांत महासागरीय इलाके में असामान्य तौर पर गर्म पानी के कारण होती है. माना जाता है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत के पास पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं, जिन्हें ट्रेड विंड्स कहा जाता है, धीमी हो जाती हैं या फिर उलटी दिशा में बहने लगती हैं.
हालांकि, इस साल के अल नीनो के कारण हाल ही में पूर्वी अफ्रीका में घातक बाढ़ आई है, लेकिन इसके कारण दक्षिण अफ्रीका में औसत से कम बारिश होने की आशंका है.
कम बारिश से जानवरों पर संकट
अल नीनो घटना जिम्बाब्वे में पहले ही महसूस की जा चुकी है, जहां बारिश का मौसम सामान्य से कई सप्ताह बाद शुरू हुआ. अध्ययनों से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन, अल नीनो को मजबूत बना रहा है, जिससे अधिक गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं.
अधिकारियों को 2019 की घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है, जब गंभीर सूखे के कारण नेशनल पार्क हवांगे में 200 से अधिक हाथियों की मौत हो गई थी. इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर में लैंडस्केप प्रोग्राम के निदेशक फिलिप कावाउगा ने कहा, "यह प्रवृत्ति बार-बार हो रही है."
जिम्बाब्वे पार्क्स एजेंसी के प्रवक्ता फरावो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें एक युवा हाथी पानी के तालाब में कीचड़ में फंसने के बाद अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है.
मुश्किल में फंसे हाथियों की यहां की जाती है मदद
अफ्रीका और एशिया में ऐसे कई संस्थान हैं जो ऐसे हाथियों का ख्याल रखते हैं जो या तो अनाथ हो गए हैं, या जिनका शोषण हुआ है या जो किसी और कारण से सदमे में हैं.
तस्वीर: Ben Curtis/AP Photo/picture alliance
थाईलैंड का एलिफेंट नेचर पार्क
उत्तरी थाईलैंड के चिआंग माई स्थित एलिफेंट नेचर पार्क में कई तरह की मुश्किलों में फंसे हाथियों का ख्याल रखा जाता है. किसी ने किसी मंदिर के हाथी के रूप में पूरी जिंदगी जंजीरों में बिताई है, कोई गिरे हुए पेड़ हटाता था तो कोई पर्यटकों का दिल बहलाता था. अब ये सभी अपनी बाकी जिंदगी यहां आराम से बिता सकेंगे.
तस्वीर: Courtney Bonnell/AP Photo/picture alliance
मनोरंजन के व्यापार में धकेला गया
पशु अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से थाईलैंड के कई हाथियों के रख रखाव की आलोचना कर रहे हैं, जैसा कि चिआंग माई के इस व्यावसायिक पार्क के हाथियों का हाल है. हाथियों को ऐसे स्थानों को बेचे जाने से पहले उन्हें जबरन पालतू बनाया जाता है, जिसके बाद उन्हें पर्यटकों के लिए रोज करतब दिखाने होते हैं.
तस्वीर: Lillian Suwanrumpha/AFP
नेचर पार्क में अच्छा बर्ताव
एलिफेंट नेचर पार्क में पर्यटक आते हैं लेकिन उनका मनोरंजन करने के लिए यहां हाथियों के साथ ना कोई जबरदस्ती और ना दुर्व्यहवार किया जाता है. लिली नाम की इस हथिनी को लकड़ियां उठाने के लिए कई घंटों तक काम कराया जाता था. इसके लिए इसे लंबे समय तक एम्फेटामाइन दिया गया था और इसे ड्रग्स की लत लग गई थी. लेकिन अब वो आजादी का आनंद ले रही है.
तस्वीर: Barbara Walton/dpa/picture-alliance
कड़ी मेहनत
म्यांमार के वर्षावनों में हाथियों से जबरदस्ती कड़ी मेहनत कराई जाती है. अब कड़े नियमों की वजह से लकड़ी उद्योग में काम करने वाले हाथियों को बचा लिया गया है. लेकिन जब वो किसी काम नहीं आ रहे तो उनके मालिक उन्हें थाईलैंड के व्यावसायिक पार्कों में बेच देते हैं.
तस्वीर: Ruben Salgado/Getty Images
मंदिर में बंधे
थाईलैंड में कई हाथी इस तरह से मंदिरों में जंजीरों से बंधे एक नीरस जिंदगी जीते हैं. सिर्फ बौद्ध नव वर्ष के जश्न की तरह कुछ धार्मिक समारोहों के दौरान उन्हें सुंदरता से सजाया जाता है.
तस्वीर: Jewel Samad/AFP
कोविड-19 के दौरान मिली राहत
कोविड-19 महामारी के दौरान सेव एलिफेंट फाउंडेशन ने कई हाथियों को व्यावसायिक पार्कों से बचा कर उनके गृह प्रांतों में वापस लाने की व्यवस्था की. पर्यटन से कमाई बंद हो जाने की वजह से उनके मालिन उनके रखरखाव का खर्च नहीं उठा पा रहे थे. कुछ ने शरण स्थान तक पहुंचने के लिए 150 किलोमीटर तक की यात्रा की.
तस्वीर: Save Elephant Foundation via AP/picture alliance
श्रीलंका में शरण स्थान
श्रीलंका का पिनावाला एलिफेंट अनाथालाय जंगली एशियाई हाथियों के लिए संरक्षण और प्रजनन का एक स्थान है. यहां 71 हाथी रहते हैं, जो पूरी दुनिया में इस तरह के संस्थान में रखे गए हाथियों की सबसे बड़ी संख्या है.
तस्वीर: Ajith Perera/Xinhua/picture alliance
अनाथों का ख्याल रखना
अफ्रीका में भी हाथियों के लिए कई शरण स्थान हैं. केन्या के नैरोबी स्थित डेविड शेल्ड्रिक वाइल्डलाइफ ट्रस्ट एलिफेंट अनाथालय में पल रहे हर शिशु हाथी की कहानी दुखद है. किसी को शिकारियों ने अनाथ बना दिया, किसी को सूखे ने या किसी को इंसानों के साथ मुठभेड़ ने. देश में अब कुछ ही प्राकृतिक इलाके बचे हैं और इंसान का उन पर भी अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है.
हाथियों का अपनी माओं से विशेष रूप से मजबूत संबंध होता है. युवा हाथी जंगलों में सालों तक अपनी मां पर निर्भर रहते हैं, इसलिए उसे खोना उनके लिए काफी नाटकीय होता है. इसलिए इन हाथियों को तीन साल तक नर्सरी में ही रखा जाता है, जहां उन्हें हर तीन घंटे पर कुछ खिलाया जाता है. हरेक हाथी के साथ उसका अपना ख्याल रखने वाला रहता है.
तस्वीर: Yasuyoshi Chiba/AFP
और किसी को इजाजत नहीं
जाम्बिया के इस अनाथालय में इस बच्चे को अपने कीपर में अपनी मां का विकल्प मिल गया है. निजी कीपर के अलावा और किसी को भी इन हाथियों से संपर्क करने की इजाजत नहीं दी जाती है, ताकि हाथियों को लोगों की ज्यादा आदत न लगे. बच्चे अपना ज्यादातर वक्त जंगली हालात में जिंदा रहने के गुर सीखने में बिताते हैं.
केन्या के रेतेति एलिफेंट सैंक्चुअरी में अनाथ हाथी कोन कीपर्स के साथ आप ख्याल रखना सीख रहा है. चार साल का हो जाने पर वह इस जगह को छोड़ कर जा सकेगा और स्वतंत्र रह सकेगा. अनुमान है कि अफ्रीका के जंगलों में करीब 4,00,000 अफ्रीका हाथी रहते हैं, जबकि एशिया में सिर्फ 50,000 पाए जाते हैं. (फ्लोरियां मेयर)
तस्वीर: Tony Karumba/AFP
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प्यास से मर रहे हैं हाथी
फरावो ने कहा, "सबसे अधिक प्रभावित हाथियों में युवा, बूढ़े और बीमार हाथी शामिल हैं, जो पानी खोजने के लिए लंबी दूरी तय नहीं कर सकते."
उन्होंने कहा एक औसत आकार के हाथी को प्रतिदिन लगभग 200 लीटर पानी की जरूरत होती है. उन्होंने बताया पार्क रेंजर मृत हाथियों के दांतों को अलग करते हैं और उसे संरक्षित करते हैं ताकि ये शव शिकारियों को आकर्षित न करें.
हवांगे लगभग 45,000 हाथियों के साथ-साथ अन्य स्तनधारियों की सौ से अधिक प्रजातियों और पक्षियों की चार सौ से अधिक प्रजातियों का घर है.
जिम्बाब्वे में बारिश का मौसम अक्टूबर में पूरी तरह से शुरू हुआ और मार्च तक चला. हालांकि, हाल के वर्षों में यह अनियमित हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में काफी कम बारिश होगी, इसलिए अल नीनो के कारण शुष्क मौसम होगा.
एए/वीके (एपी)
ब्राजील: अमेजन में भीषण सूखा
अमेजन वर्षावन गंभीर सूखे का सामना कर रहे हैं. नदी का स्तर काफी गिर गया है, मछलियां मर रही हैं और इंसान भी इस सूखे से पीड़ित हैं. अल नीनो और जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार हैं.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP/Getty Images
एक संकरी गली की तरह
ऊपर से ली गई ये तस्वीर किसी संकरी गली की तरह दिख रही है. असल में यह मनकापुरु क्षेत्र में अमेजन नदी है. नदी का पानी खतरनाक स्तर तक गिर गया है. नदी का पानी सूखने से वहां के एक लाख निवासियों को परेशानी हो रही है. ब्राजील सरकार उन लोगों की मदद के लिए एक टास्क फोर्स का गठन कर रही है जो भोजन और अन्य आवश्यक चीजों के परिवहन मार्ग के रूप में नदियों पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Edmar Barros/AP/dpa/picture alliance
स्थिति गंभीर है
इन नदियों का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्थानीय निवासियों द्वारा खाद्य उत्पादों समेत परिवहन के विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है. ब्राजील की पर्यावरण मंत्री मरीना सिल्वा ने कहा, ''स्थिति बेहद चिंताजनक'' हो गई है. सरकार नदी के प्रवाह को बनाए रखने की कोशिश कर रही है. अधिकारियों ने नदी की खुदाई के लिए 14 करोड़ यूरो की योजना शुरू की है.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP/Getty Images
बाहरी दुनिया से कटे
सूखे की इन परिस्थितियों में देश के अमेजन और एकर क्षेत्रों की कई बस्तियां मुख्य भूमि से कट गई हैं. इस संकट से निपटने के लिए वायुसेना वहां के निवासियों तक हवाई मार्ग से भोजन और पानी पहुंचाने के लिए आगे आई है. अधिकारियों को डर है कि इस साल के अंत तक पांच लाख लोग सूखे से प्रभावित होंगे.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP
मरी हुई मछलियों की झील
पिरान्हा झील के पानी में मरी हुईं मछलियां हर ओर बिखरी पड़ी हैं. स्थानीय मछुआरे पाओलो मोंटेरो को मरी हुई मछलियों के ऊपर से नाव ले जानी पड़ती है. पानी की गहराई कम होने और पानी का तापमान बढ़ने के कारण मछलियां बड़ी संख्या में मर रही हैं.
तस्वीर: BRUNO KELLY/REUTERS
खतरे में आजीविका
पर्यावरण में हो रहे इस बदलाव के कारण ना सिर्फ नदियां सूख रहीं हैं बल्कि उनमें मछलियां भी मर रही हैं. इन मछलियों को पकड़ कर गुजर बसर करने वालों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है. मरी हुई मछलियों के इस ढेर से पीने का पानी भी प्रदूषित हो रहा है.
तस्वीर: BRUNO KELLY/REUTERS
सूखा, तापमान और आग
सिर्फ सूखा और बढ़ता तापमान ही नहीं बल्कि आग भी यहां के लोगों के जीवन के लिए अभिशाप बनती जा रही है. भीषण गर्मी में जंगल की आग कभी-कभी घरों तक फैल जाती है.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP
भयानक भविष्य
पर्यावरण मंत्री सिल्वा ने रॉयटर्स को बताया, "हम दो घटनाओं के संयोग का अनुभव कर रहे हैं: एक प्राकृतिक अल नीनो और एक मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग." उन्होंने कहा इस कारण अमेजन में अभूतपूर्व सूखा पड़ा है, जैसा कि ब्राजील में शायद भविष्य में और भी देखने को मिलेगा. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा बार-बार पड़ता है और लंबे समय तक बना रहता है.