भारतीय मक्खन से 'शुद्ध न्यूजीलैंड' घी बना रही थी कंपनी
विवेक कुमार
२७ अगस्त २०२४
न्यूजीलैंड में एक कंपनी पर गलत दावों के साथ उत्पाद बेचने के लिए भारी जुर्माना लगाया गया है. कंपनी भारतीय उत्पादों का इस्तेमाल कर रही थी.
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न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एक कंपनी पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है. हैमिल्टन शहर में स्थित डेयरी कंपनी, मिल्कियो फूड्स लिमिटेड पर, "100 फीसदी शुद्ध न्यूजीलैंड" के झूठे विज्ञापन के लिए जुर्माना लगाया गया है, जबकि उसने अपने उत्पादों में भारत में बने मक्खन का उपयोग किया था.
न्यूजीलैंड कॉमर्स कमीशन ने मिल्कियो फूड्स लिमिटेड पर 420,000 न्यूजीलैंड डॉलर्स यानी लगभग दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. कंपनी ने फेयर ट्रेडिंग एक्ट के 15 उल्लंघनों का दोष स्वीकार किया था. ये उल्लंघन उनके घी उत्पादों में उपयोग किए गए मक्खन के बारे में झूठे दावे करने से संबंधित थे.
खाने से जुड़ी गलतफहमियां
खाने में कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें हम फायदेमंद समझते हैं लेकिन असल में वे आपको नुकसान पहुंचा रही होती हैं. आपको इनमें से किनके बारे में गलतफहमी है...
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"कॉफी से कैंसर हो सकता है" या "कॉफी तंत्रिकाओं के लिए बुरी है", कॉफी के बारे में ऐसी बातें हम अक्सर सुनते हैं. लेकिन रिसर्चरों का कहना है कॉफी ज्यादा ही बदनाम है. असल में कॉफी कैंसर को दूर रखने में मदद करती है. लेकिन कहते हैं ना किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं.
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शराब पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं. लेकिन रेड वाइन में मौजूद कुछ तत्व आपको फायदा पहुंचा सकते हैं. आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के लिए दिन में एक ड्रिंक और पुरुषों के लिए 2 काफी है. एक अमेरिकी रिसर्च में पाया गया कि जो लोग अल्कोहल का सेवन बिल्कुल नहीं करते वे कम मात्रा में शराब पीने वालों से जल्दी मरते हैं.
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सालों पहले हमें बताया गया था कि मक्खन से बेहतर है कृत्रिम मक्खन या मार्जरीन खाया जाए. इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा कम होती है. लेकिन कई नई रिसर्च मार्जरीन के पक्ष में नहीं क्योंकि असल में यह एक अप्राकृतिक उत्पाद है.
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दिल के दौरे या दूसरी कई बीमारियों के लिए आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल को जिम्मेदार ठहराया जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक यह रक्त नलिकाओं को ब्लॉक कर देता है इसलिए इससे दूर रहना चाहिए. खासकर अंडे, चीज और मांस जैसे उत्पादों से. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर को कोलेस्ट्रॉल की कुछ मात्रा की जरूरत होती है लेकिन बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल से बचना चाहिए. शरीर कुछ मात्रा में इसे खुद भी बनाता है.
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कई लोग फ्रोजेन सब्जियों के इस्तेमाल से परहेज करते हैं. वे मानते हैं कि फ्रोजेन सब्जियों में ताजा सब्जियों के मुकाबले विटामिन कम होता है. लेकिन असल में फ्रोजेन सब्जियों में ज्यादा पोषण होता है क्योंकि खेत से ग्राहक के पास पहुंचने तक ये इधर उधर नहीं पड़ी रहतीं बल्कि फ्रीज कर दी जाती हैं.
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एक धारणा यह भी है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड कैंसर, हृदय रोग और अवसाद जैसी बीमारियों को दूर भगा सकता है. कई डॉक्टर हमें हर रोज एमेगा-3 के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. लेकिन ताजा जानकारियों के मुताबिक फैटी एसिड शरीर में कुछ फायदे तो पहुंचाता है लेकिन हर मर्ज की दवा नहीं.
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विटामिन शरीर में मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी है, तो विटामिन की गोलियां खाने से बेहतर क्या हो सकता है. माना जाता रहा है कि विटामिन सी सभी तरह की बीमारियों से रक्षा करता है. लेकिन कई जानकारों का मानना है कि विटामिन की ज्यादा मात्रा आपको नुकसान पहुंचा सकती है.
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शरीर को जब पानी की जरूरत होती है तो हमें खुद ब खुद प्यास लग जाती है. लेकिन एक धारणा यह भी है कि प्यास लगने से पहले ही पानी पी लेना चाहिए. यह सही नहीं है. आपको शरीर की क्षमता पर विश्वास रखना चाहिए, जब शरीर को पानी की जरूरत होगी वह आपको खुद ही प्यास का एहसास कराएगा.
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दूध में कैल्शियम होता है. यह हड्डियों को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है. लेकिन स्वीडन में एक शोध के मुताबिक जो लोग बहुत ज्यादा दूध पीते हैं वे जल्दी मर सकते हैं. दूध पीते रहें, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं.
स्वास्थ्य और डायट संबंधी कई वेबसाइटें गेहूं के नुकसान से आगाह कराती हैं. कुछ डॉक्टरों का कहना है कि गेहूं गंजेपन, हैलूसिनेशन और आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
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कमीशन की जांच में यह सामने आया कि मिल्कियो ने अपने घी उत्पादों को न्यूजीलैंड डेयरी से बना हुआ बताया, जबकि असल में मुख्य सामग्री, यानी मक्खन, भारत से आयात किया गया था. कमीशन ने कहा कि कंपनी ने "100 फीसदी प्योर न्यूजीलैंड " और "न्यूजीलैंड की साफ हरी चारागाहों पर आधारित डेयरी फार्मों से" जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया, जिसने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं को गुमराह किया.
इस मामले की सुनवाई करने वाले हैमिल्टन जिला न्यायालय के न्यायाधीश थॉमस इंग्राम ने न्यूजीलैंड के डेयरी उद्योग को इन गलत बयानों से होने वाले संभावित नुकसान पर चिंता जताई. जस्टिस इंग्राम ने कहा, "कंपनी के झूठे दावे उपभोक्ताओं और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पादों पर भरोसे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं."
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देश की छवि को नुकसान
मामले को इसलिए भी गंभीर माना गया क्योंकि मिल्कियो फूड्स लिमिटेड ने फर्नमार्क लोगो और लाइसेंस नंबर का उचित अनुमति के बिना इस्तेमाल किया. फर्नमार्क लोगो को भरोसे का प्रतीक माना जाता है, जो वैश्विक स्तर पर यह दिखाता है कि उत्पाद वास्तव में न्यूजीलैंड में बने हैं. अदालत ने कहा कि मिल्कियो ने इस लोगो का प्रयोग जारी रखने के लिए गलत और अधूरी जानकारी दी, जिससे उपभोक्ताओं को उत्पादों की असली उत्पत्ति के बारे में गुमराह किया गया.
सेहत के लिए क्या घी खाना फायदेमंद है
मॉडर्न डाइट के हिसाब से पतले रहने के लिए लोग कम फैट वाला खाना खाने का सुझाव देते हैं. तो जाहिर है कि घी जो कि पूरी तरह से फैट से भरा है उसे भी खाने को मना करेंगे. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, जानते हैं विज्ञान की नजर से.
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खाने में इस्तेमाल
भारत और मध्य पूर्व के देशों में पारंपरिक खान पान में घी का इस्तेमाल होता आया है. पश्चिम में लोग इसे क्लैरिफाइड बटर के नाम से जानते हैं.
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शुद्ध घी के गुण
वसा का एक शुद्ध स्रोत घी किसी भी तरह के ट्रांस फैट से मुक्त होता है. एक साल तक कमरे के तापमान पर ही इसे शुद्ध रूप में रखा जा सकता है
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आयुर्वेद की नजर में
6,000 साल से भी पुराने पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में घी के इस्तेमाल का जिक्र मिलता है. यह गाय के दूध से बनने वाला घी होता है.
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पारंपरिक घी के गुण
भारत के घरों में मक्खन को कम आंच पर पकाते हुए जिस पारंपरिक तरीके से घी निकाला जाता है उससे घी में विटामिन ई, विटामिन ए, एंटीऑक्सीडेंट और दूसरे ऑर्गेनिक कंपाउंड सुरक्षित रहते हैं.
घी में विटामिन ई के रूप में जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है वह शरीर में घूम रहे फ्री रैडिकल्स को ढूंढ कर खत्म कर देता है. इस तरह कोशिकाओं और ऊत्तकों को फ्री रैडिकल के नुकसान से बचाता है और कई बीमारियों की संभावना से भी.
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पश्चिम का घी
बिना नमक वाले बटर को गरम करने से भी तरल घी और मक्खन अलग हो जाते हैं. इसी तरल को पश्चिमी देशों में क्लैरिफाइड बटर या घी के नाम से बेचा जाता है.
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जल कर भी नष्ट नहीं
ज्यादातर तरह के तेल को तेज आंच पर गर्म किए जाने से उसमें से फ्री रैडिकल कहलाने वाले अस्थिर तत्व निकलते हैं जो कि शरीर में जाकर कोशिका के स्तर पर बदलाव ला सकते हैं. वहीं घी का स्मोकिंग प्वाइंट 500° फारेनहाइट होने के कारण तेज आंच पर भी उनके गुण नष्ट नहीं होते.
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कैंसर से लड़ने वाले -सीएलए
घास के मैदानों में चरने वाली गायों के दूध से निकाला गया घी सबसे अच्छा माना जाता है. इसमें सीएलए यानि कॉन्जुगेटेड लिनोलेइक एसिड का भंडार मिलता है जो दिल की बीमारियों से लेकर कैंसर तक से लड़ने में मददगार होते हैं.
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हार्ट के लिए अच्छा या बुरा
घी में मोनोसैचुरेटेड ओमेगा -3 फैट काफी मात्रा में पाए जाते हैं. यह वही फैट हैं जो सालमन मछली में भी मिलते हैं और इस कारण से पश्चिम में काफी लोकप्रिय हैं और दिल को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर इसे खाने की सलाह भी देते हैं.
आयुर्वेद में जलन और आंतरिक संक्रमण में इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. इसमें पाए जाने वाले ब्यूटाइरेट नामके फैटी एसिड शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए अच्छे माने जाते हैं. घी में एंटी वायरल और पाचन तंत्र के भीतर की सतह की मरम्मत के गुण भी पाए जाते हैं.
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विटामिनों और खनिजों का माध्यम
खाने में मौजूद कई तरह के विटामिनों और खनिजों के लिए घी एक माध्यम का काम करता है. यह पोषक तत्व घी में घुल कर ज्यादा आसानी से शरीर की पाचन तंत्र में सोखने लायक बन पाता है.
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एलर्जी वालों के लिए भी सुरक्षित
चूंकि घी बनाने की प्रक्रिया में दूध के लगभग सारे ठोस हिस्से अलग कर दिए जाते हैं, इसलिए शर्करा (लैक्टोज) और प्रोटीन (केसीन) की एलर्जी वाले भी घी खा सकते हैं.
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रोज कितना घी खाएं
अगर आपको घी से कोई दिक्कत नहीं रही है तो इसे रोजाना अपने खानपान में शामिल रखें. आप जहां भी रहते हैं, जैसे परिवेश से आते हैं और आपके परिवार के खानपान में जैसे घी शामिल रहा है वैसे ही खाना चाहिए. हालांकि अगर आपको कोई स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कत है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही घी लेना चाहिए.
घी फैट का स्रोत तो है ही और हाल तक हर तरह के फैट को लेकर पूरे विश्व में अच्छी धारणा नहीं थी. घी और कई तरह के मक्खन में भी सैचुरेटेड फैट होते हैं जिनका संबंध दिल की बीमारों से रहा है. अब तक ऐसी पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है जो इसे सुरक्षित बता सकें.
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कॉमर्स कमीशन की फेयर ट्रेडिंग जनरल मैनेजर वनेसा हॉर्न ने इस मामले को न्यूजीलैंड के निर्यात ब्रांड की छवि के लिए अहम बताया. एक बयान में उन्होंने कहा, "न्यूजीलैंड ने उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाई है, जो हमारे डेयरी उद्योग और निर्यात के मूल्य को बनाए रखने के लिए जरूरी है. मिल्कियो ने इस प्रतिष्ठा का फायदा उठाकर अपने उत्पादों को प्रमोट किया, जिससे उपभोक्ताओं को धोखा दिया गया और पूरे उद्योग को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा."
न्यूजीलैंड का डेयरी उद्योग देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अच्छी क्वॉलिटी वाले दूध, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों के लिए जाना जाता है. कॉमर्स कमीशन का मिल्कियो फूड्स लिमिटेड के खिलाफ मामला चलाने का निर्णय इसी प्रतिष्ठा की सुरक्षा को बनाए रखने से प्रेरित था.
न्यूजीलैंड का डेयरी उद्योग
कॉमर्स कमीशन ने देश के कृषि मंत्रालय के अनुरोध पर यह जांच शुरू की थी. हॉर्न ने कहा, "यह सजा अन्य लोगों के लिए चेतावनी होनी चाहिए जो न्यूजीलैंड ब्रांड का झूठा दावा करने की सोच रहे हैं. देश के डेयरी निर्यात की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है.”
न्यूजीलैंड ने ई-सिगरेट पर लगाया कई तरह का बैन
न्यूजीलैंड ने डिस्पोजेबल वेप पर बैन लगा दिया है. यह बैन अगस्त 2023 से लागू होगा. बड़ी संख्या में सिगरेट ना पीने वाले युवा और किशोर भी ई-सिगरेट की ओर मुड़ रहे हैं. इससे लत लगने के अलावा सेहत पर असर पड़ने का भी खतरा है.
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युवाओं के बीच बढ़ती वेपिंग
सिंगल-यूज वाले डिस्पोजेबल वेप की बैटरी खत्म होने के बाद ना हटाई जा सकती है, ना उसमें नई बैटरी लगाई जा सकती है. प्रतिबंध की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में युवा वेपिंग कर रहे हैं. इसे रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि 2025 तक धूम्रपान मुक्त पीढ़ी तैयार करने के लिए जरूरी है कि वेप्स को बच्चों के दिमाग और पहुंच से दूर रखा जाए.
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संतुलन बनाने की कोशिश
अब स्कूलों के पास वेप बेचने वाली दुकानें नहीं खोली जा सकेंगी. कंपनियों को इनकी ब्रैंडिंग में भी बदलाव करना होगा. वेप के कॉटन कैंडी या स्ट्रॉबरी जेली डोनट जैसे नाम भी नहीं रखे जा सकेंगे. सरकार ने कहा है कि वह युवाओं को वेपिंग शुरू करने से रोकने और लोगों को ध्रूमपान छोड़ने के लिए वेप इस्तेमाल करने देने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है.
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ताकि आने वाली पीढ़ियों को ना लगे लत
न्यूजीलैंड ने सिगरेट पीने वालों की संख्या घटाने और मौजूदा बच्चों, किशोरों और आने वाली पीढ़ियों में सिगरेट की लत रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. यहां सिगरेट पीने वालों की तादाद अपेक्षाकृत कम है. बस आठ फीसदी लोग ही सिगरेट पीते हैं. दिसंबर 2022 में न्यूजीलैंड ने जनवरी 2009 में या इसके बाद पैदा हुए किसी भी शख्स को तंबाकू उत्पाद बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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ई-सिगरेट का बढ़ता चलन
कई देशों में लोगों, खासतौर पर किशोरों और युवाओं के बीच वेपिंग का चलन बढ़ा है. जानकार इस बढ़ते रुझान के प्रति चिंता जताते हैं. 2021 में अस्थमा और रेसिपिरेट्री फाउंडेशन के एक अध्ययन में पाया गया कि न्यूजीलैंड में स्कूल जाने वाले किशोरों में पांच में से एक किशोर दिन में कम-से-कम एक बार वेप लेता है.
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ऑस्ट्रेलिया में भी सख्ती
बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया ने भी डिस्पोजेबल वेप पर ऐसा ही फैसला लिया था. ऑस्ट्रेलिया ने तंबाकू कंपनियों पर आरोप लगाया कि वो जानबूझकर किशोरों को निशाना बनाकर निकोटिन लत वाली अगली पीढ़ी तैयार कर रही है.
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कैसे काम करती है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट में यूजर भाप के माध्यम से निकोटिन का कश खींचता है. सिगरेट में धुएं से निकोटिन अंदर जाती है. ई-सिगरेट में तरल पदार्थ होता है, जिसमें निकोटिन, फ्लेवर और बाकी रसायन होते हैं. ई-सिगरेट इन्हें गर्म करता है, जिससे भाप बनती है. सिगरेट की तरह इसमें तंबाकू नहीं जलता. ई-सिगरेट को लंबे समय तक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया.
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युवाओं और किशोरों को टारगेट करती हैं कंपनियां
आरोप है कि कंपनियां किशोरों और युवाओं को टारगेट करती हैं. इनमें ज्यादातर ऐसे होते हैं, जो सिगरेट नहीं पीते, ऐसे नहीं जो सिगरेट छोड़ने के लिए किसी विकल्प की तलाश में हों. कॉटन कैंडी, लेमन या फलों के फ्लेवरों वाले नाम भी युवाओं और किशोरों में उत्सुकता पैदा करते हैं. उन्हें इसकी लत लग सकती है. साथ ही, ई-सिगरेट से सांस संबंधी समस्याओं का भी जोखिम है. निकोटिन के भी नुकसान हो सकते हैं.
न्यूजीलैंड का डेयरी उद्योग देश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह सालाना लगभग 12 अरब डॉलर का व्यापार करता है. इस उद्योग में दूध, मक्खन, पनीर, और शिशु फार्मूला जैसे विभिन्न डेयरी उत्पादों का उत्पादन होता है, जिनमें से अधिकांश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किए जाते हैं.
न्यूजीलैंड दुनिया के शीर्ष डेयरी निर्यातकों में से एक है और डेयरी उत्पाद देश के कुल निर्यात का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा हैं. 2023 में डेयरी निर्यात का मूल्य लगभग 15 अरब डॉलर आंका गया था. न्यूजीलैंड के डेयरी निर्यात के प्रमुख बाजारों में चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. दूध का पाउडर, मक्खन और पनीर उसके सबसे बड़े निर्यात हैं, जबकि स्किम दूध यानी कम फैट वाला दूथ और बटरमिल्क पाउडर भी बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं.