107 साल पहले डूबे खोजी जहाज का पता चला
९ मार्च २०२२फाकलैंड मैरीटाइम हेरिटेज ट्रस्ट का कहना है कि यह जहाज वेडेल सी में करीब 3000 मीटर की गहराई पर मौजूद है. जहाज के कप्तान फ्रांक वोर्सले ने जिस जगह आखिरी बार 1915 में इसकी लोकेशन दर्ज कराई थी, वहां से यह करीब 6.4 किलोमीटर दक्षिण में मौजूद है.
पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका से एक खोजी दल इस जहाज का पता लगाने निकला था. नवंबर 1915 में यह लकड़ी का जहाज बर्फ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया और बुरी तरह फंस गया. 10 महीने बाद यह जहाज डूब गया था. जहाज में सवार यात्री किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल हुए.
अच्छी हालत में है जहाज
एंड्यूरेंस 22 के अभियान के निदेशक मेनसुन बाउंड का कहना है कि तस्वीरों से पता चल रहा है कि जहाज अभी भी अच्छी हालत में है. बाउंड का कहना है, "अब तक मैंने जहाज के जितने मलबे देखे हैं, उसमें यह लकड़ी के जहाज का शानदार मलबा है. यह बिल्कुल सीधा और साफ खड़ा और सही सलामात है. यह संरक्षण के लिहाज से बेहतरीन हालत में है. यहां तक कि जहाज के पिछले भाग में चंद्राकार लिखे एंड्यूरेंस को भी आप साफ साफ देख सकते हैं." जहाज में कुछ जलीय जीवों ने अपना घर बना लिया है, लेकिन उन्होंने इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है.
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शैकेल्टन का अभियान
शैकेल्टन की 1914-16 में दक्षिणी ध्रुव के रास्ते अंटार्कटिक पार करने की कोशिश नाकाम हो गई थी. वह कभी भी उस महाद्वीप पर पैर नहीं रख सके. जहाज के यात्रियों ने पहले वहां मौजूद बर्फ पर दिन काटे और धीरे धीरे उत्तर की ओर बढ़ने लगे. उन्होंने बर्फ पर कैंप बना कर दिन गुजारे और फिर जब दरारें उभरने लगीं, तो लाइफबोट के सहारे आगे बढ़े. शैकेल्टन समेत 27 लोगों का दल पैदल और बोट के सहारे सुदूर दक्षिण के अटलांटिक के स्टेशन पर पहुंचा और मदद हासिल करने में सफल हुआ. अपने साथियों को सुरक्षित वहां से निकालने के करिश्माई काम ने उन्हें खूब शोहरत दिलाई. सभी लोग जिंदा बच गए और कई महीनों बाद उन्हें वहां से निकाला गया.
1922 में शेकेल्टन की मौत हो गई और उसके 100 साल बाद जहाज को खोजने का अभियान शुरू हुआ. ब्रिटिश इतिहासकार और ब्रॉडकास्टर डैन स्नो भी इस यात्रा में शामिल हुए हैं. उन्होंने ट्वीट किया है कि एंड्यूरेंस शनिवार को मिल गया. उनका कहना है कि मलबे की तस्वीरें ली गईं है, लेकिन उन्हें छू कर नहीं देखा गया है.
डैन स्नो का कहना है, "मलबे में किसी चीज को छुआ नहीं गया है. कोई चीज वापस नहीं लाई गई है. आधुनिक उपकरणों से इसका सर्वे हुआ है और वह किस हाल में कहां है इसकी पुष्टि हो गई है. यह अंटार्कटिक ट्रीटी के तहत संरक्षित है. हम इसके साथ छेड़छाड़ करना भी नहीं चाहते." इस ट्रीटी के मुताबिक इस तरह की चीजें ऐतिहासिक साक्ष्य हैं, जिनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. हालांकि तस्वीरें लेने या फिर वीडियो बनाने की कोई मनाही नहीं है.
बीते सालों में डूबे जहाजों को खोजने के कई अभियान चलाए गए हैं और इनकी मदद से सैकड़ों साल से डूबे जहाजों का पता निकालने में कामयाबी मिली है. एंड्यूरेंस को खोजने के लिए 2019 में भी एक अभियान चलाया गया था, लेकिन तब कामयाबी नहीं मिली.
एनआर/एसएम(एपी, एएफपी)