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समाजजर्मनी

11 साल बाद जर्मनी में होगी जनगणना

५ मई २०२२

जर्मन सांख्यिकी विभाग के अधिकारी देश भर में जनगणना शुरू करने जा रहे हैं. 15 मई को शुरू हो रही जनगणना 11 साल बाद हो रही है. आमतौर पर 10 साल में होने वाली जनगणना कोरोना की महामारी के चलते पिछले साल टाल दी गई थी.

11 साल बाद जर्मनी में होगी जनगणना
11 साल बाद जर्मनी में होगी जनगणनातस्वीर: picture alliance/dpa

यूरोपीय देश जर्मनी में जनगणना होने जा रही है. इसके लिए 3 करोड़ से ज्यादा लोगों से बात कर जानकारी जुटाई जाएगी. देश के संघीय सांख्यिकी विभाग ने जानकारी दी है कि 15 मई से अभियान शुरु होगा. करीब 1.02 करोड़ लोगों को यहां वहां से चुन कर उन्हें अपने बारे में जानकारी देने को कहा जायेगा. इसमें उनके नाम, लिंग, शादी और राष्ट्रीयता के बारे में जानकारी मांगी जाएगी.

इनमें से करीब तीन चौथाई लोगों को विस्तृत प्रश्नावली भेजने का विचार है. इसमें उनकी योग्यता और रोजगार के बारे में भी जानकारी मांगी जाएगी.

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घर के बारे में बताना होगा

जर्मनी में करीब 3 लाख लोग अस्थायी या फिर साझे के घरों में रहते हैं. इनकी संख्या भी जनगणना में शामिल की जायेगी. इसके साथ ही करीब 2.3 करोड़ आवासीय घरों के मालिकों और प्रशासकों से भी उनके अपार्टमेंट या घर के बारे में जानकारी देने को कहा जाएगा. हालांकि बहुत सी जानकारियां तो घरों के प्रशासकों के रजिस्टर से ले ली जाएंगी. 

ज्यादातर जानकारी ऑनलाइन दी जा सकेगीतस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मन जनगणना के इतिहास में इस साल पहली बार लोगों से घरों के किराये के बारे में भी पूछा जाएगा. इसके साथ ही किरायेदार कब से रह रहा है और खाली पड़े मकानों की वजह के साथ ही घर को गर्म करने वाले ऊर्जा के स्रोत की जानकारी भी जुटाई जा रही है.

सांख्यिकी अधिकारी श्टेफान डिट्रीष ने बताया, "इस तरीके से हम आंकड़ों की मौजूदा जरूरत पूरी करने के साथ ही भविष्य की योजनाओं के लिए अहम आंकड़ों का आधार मुहैया करायेंगे."

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गोपनीय रहेगी जानकारी

जनगणना में पूछे ज्यादातर सवालों का जवाब ऑनलाइन दिया जा सकता है. जबकि कुछ सवाल ऐसे हैं जिन्हें लोगों से निजी रूप से मिल कर ही पूछा जाएगा. सांख्यिकी विभाग का कहना है कि इससे जानकारी देने वालों पर भी काम का बोझ कम रहेगा और साथ ही पर्यावरण पर भी. जमा की गई जानकारी का इस्तेमाल गोपनीयता का ध्यान रखते हुए किया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि जनगणना का काम अगस्त के मध्य तक पूरा हो जायेगा.

सांख्यिकी विभाग को अलग अलग शहरों में इस काम के लिए वालंटियरों की जरूरत होगी. एक दिन की ट्रेनिंग के बाद ये वालंटियर 150 सर्वे को पूरा करेंगे. बड़े शहरों के लिए इन वालंटियरों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है. इसके लिए इन्हें वेतन और खर्चे के तौर पर 1,300 यूरो की रकम दी जायेगी. वालंटियरों को लिखित में यह वचन देना होगा कि वे जमा की गई जानकारी की गोपनीयता बरकरार रखेंगे.

पिछली बार 2011 की जनसंख्या में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई थीं. कई शहरों में उम्मीद से कम लोग रह रहे थे और उनकी आर्थिक स्थिति भी खस्ताहाल थी. आर्थिक रूप से समान व्यवहार रखने की योजनाओं में आबादी की बड़ी भूमिका होती है.

सांख्यिकी विभाग का कहना है कि मौजूदा दौर की जनगणना की तुलना 1980 के दशक में होने वाली जनगणना से नहीं की जा सकती. उस वक्त देश में रहने वाली सभी लोगों के लिए मांगी गई जानकारी देना जरूरी था. इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर शिकायतें भी हुईं और संवैधानिक अदालतों में विरोध करने वालों को सफलता भी मिली.

एनआर/आरपी (डीपीए)

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