दुनिया में 11.3 करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिन्हें खाना मयस्सर नहीं है. कहीं इसकी वजह युद्ध है तो कहीं जलवायु परिवर्तन की मार.
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संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट कहती है कि भूख की अत्यंत मार झेल रहे ये 11.3 करोड़ से ज्यादा लोग दुनिया के 53 देशों में फैले हैं. इस समस्या से सबसे ज्यादा अफ्रीकी महाद्वीप जूझ रहा है. युद्ध झेल रहे यमन, सीरिया, अफगानिस्तान और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो दुनिया के उन आठ देशों में शामिल हैं जहां भुखमरी झेल रहे इन लोगों में से दो तिहाई लोग रहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की सालाना रिपोर्ट में उन देशों की स्थिति का जायजा लिया जाता है, जो बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं. एफएओ के आपात मामलों के निदेशक डोमिनिक बर्गन कहते हैं कि अफ्रीकी देशों में 7.2 करोड़ लोग अत्यंत भुखमरी झेल रहे हैं. संकट और असुरक्षा इस समस्या की मुख्य वजह हैं. इसके अलावा आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन की वजह से सूखे और बाढ़ जैसे हालात भी लोगों के मुंह से निवाला छीन रहे हैं.
बर्गन कहते हैं कि अकाल के कगार पर पहुंचे देशों में लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. उन्हें आपात और मानवीय, दोनों तरह की सहायता देनी होगी ताकि उन्हें खाना मिल सके और कृषि को पटरी पर लाने में भी मदद मिले. रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने यहां शरणार्थियों को जगह देने वाले देशों पर भी बोझ बढ़ रहा है. इस सिलसिले में बांग्लादेश का नाम लिया गया है जहां म्यांमार से बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी पहुंचे हैं.
एफएओ का कहना है कि अगर लातिन अमेरिकी देश वेनेजुएला में राजनीतिक और आर्थिक संकट बरकार रहता है तो बेघर होने वालों की संख्या बढ़ सकती है. माना जा रहा है कि वेनेजुएला इस साल खाद्य आपातकाल की घोषणा करेगा. बर्गन वेनेजुएला में बढ़ रही गरीबी को लेकर चिंतित हैं.
एफएओ का अध्यय कहता है कि वैश्विक स्तर पर स्थिति में सुधारा आया है. 2017 में अत्यधिक भुखमरी झेल रहे लोगों की तादाद 12.4 करोड़ थी जो 2018 में घटकर 11.3 करोड़ रह गई है. इसकी वजह है कि कई लातिन अमेरिकी और एशियाई देशों में 2018 में प्राकृतिक आपदाएं कम आईं. लेकिन एफएओ ने चेतावनी दी है कि साल दर साल भुखमरी झेलने वाले लोगों की संख्या 10 करोड़ के आसपास रहने की ही उम्मीद है, क्योंकि कई इलाकों में लगातार संकट जारी हैं. मिसाल के तौर पर युद्ध और अशांति के अलावा अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में 2018 में गंभीर सूखा भी देखने को मिला.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीस्ली कहते हैं, "भुखमरी को खत्म करने के लिए इसकी बुनियादी वजहों पर चोट करनी होगी और ये बुनियादी वजहें हैं - संकट, अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव."
अमीर देश अगर अपने यहां खाने की बर्बादी में 50 फीसदी भी कटौती कर लें तो इससे पूरी दुनिया का पेट भरा जा सकता है. कहां कितना खाना बर्बाद होता है, जानिए.
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बर्बादी की कीमत
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि दुनिया के अमीर देश हर साल 750 अरब डॉलर का खाना बर्बाद करते हैं जबकि दुनिया की भूख को मिटाने के लिए इसकी आधी रकम ही काफी है.
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एक ट्रिलियन डॉलर
पूरी दुनिया में एक तिहाई खाने को कचरे के डिब्बे में डाल दिया जाता है जो सालाना लगभग 1.3 अरब टन होता है. इस तरह दुनिया एक साल में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का खाना बर्बाद करती है.
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फल और सब्जियों की बर्बादी
अगर हम इसी रफ्तार के खाना बर्बाद करते रहे तो 2030 तक दुनिया सालाना 2.1 अरब टन खाने की बर्बादी करेगी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया भर में पैदा होने वाली सब्जियों और फलों में से लगभग आधी बर्बाद हो जाती हैं.
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82.1 करोड़ भूखे लोग
2017 में दुनिया में भूखे लोगों की संख्या 82.1 करोड़ थी. ऐसे में, सभी लोगों को भरपेट खाना मिले, इसके लिए खाने की बर्बादी कम कर जरूरतमंदों तक इसे पहुंचाना होगा.
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बर्बादी और उत्पादन
अनुमान है कि अमीर देशों में उपभोक्ता हर साल 22.2 करोड़ टन खाना बर्बाद करते हैं जबकि अफ्रीका के उप सहारा इलाके में पूरा खाद्य उत्पादन ही 23 करोड़ टन है.
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कहां होती है बर्बादी
विकसित देशों में खाने की 40 फीसदी बर्बादी फसल की कटाई के बाद या फिर प्रोसेसिंग के दौरान होती है. वहीं विकसित देशों में 40 फीसदी खाना सुपरमार्केटों में या उभोक्ता के स्तर पर बर्बाद होता है.
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पर्यावरण को खतरा
खाने की बर्बादी जमीन और पानी जैसे इन संसाधनों की भी बर्बाद है जो उसके उत्पादन में लगे हैं. यही नहीं जब खाने को सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है तो उससे निकलने वाली मीथेन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है.
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अमेरिका में बर्बादी
अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा खाना बर्बाद करने वाले देशों में शामिल है जहां उपभोक्ता हर दिन प्रति व्यक्ति औसतन 454 ग्राम खाना बर्बाद करते हैं. इतने खाने से किसी जरूरतमंद का पेट भर सकता है.
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यूरोप भी पीछे नहीं
यूरोप में हर साल 8.8 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है जिसकी कीमत 17.7 करोड़ डॉलर है. अकेला ब्रिटेन एक साल में 19.7 अरब डॉलर का खाना बर्बाद कर देता है. इसमें 30 लाख गिलास दूध भी शामिल है.
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बर्बादी रोकिए
कुल मिलाकर खाने की बर्बादी को रोकने की बेहद जरूरत है. ये सभी आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम, यूरोपीय संसद, वेरमोंट यूनिवर्सिटी, रैप और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप से लिए गए हैं.