जर्मन वैज्ञानिकों के मुताबिक प्लेग के लिए एशिया या अफ्रीका पर इल्जाम लगाना शायद ठीक नहीं. वैज्ञानिकों को यूरोप में मिले 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच के कंकालों में प्लेग के परजीवी के संकेत मिले हैं.
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प्लेग ने बीते सालों में कई चरणों में यूरोप समेत कई देशों में लाखों की जान ली है. वैज्ञानिकों का दावा है कि प्लेग का परजीवी यूरोप में पहले से मौजूद हो सकता है. साइंस की प्लोस वन पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों को हाल में मिले कंकालों में बैक्टीरियल जींस मिले हैं जो सैकड़ों साल पहले इस परजीवी के यूरोप में होने के संकेत देते हैं.
यह दर्शाता है कि प्लेग का दूसरे महाद्वीपों से आना जरूरी नहीं है, जैसा माना जाता रहा है. इसका मतलब है कि बैक्टीरियम येरसीनिया पेस्टीस यूरोप में पहले ही मौजूद था. शायद खून चूसने वाले जूं जैसे जीवों में. प्लेग के कारण मुख्य रूप से अफ्रीका में बड़ी संख्या में लोग जान गंवाते रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में प्लेग के 800 मामले सामने आए जिनमें 126 की मौत हो गई. जर्मन शहर म्यूनिख में सेना के माइक्योबायोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक होल्गर शोल्स के मुताबिक, "कंकालों के दांतों की मज्जा में हमें ऐसे परजीवी के डीएनए के लक्षण मिले हैं जिससे प्लेग हो सकता था और उसकी मॉलीक्यूलर फिंगरप्रिंटिंग हुई." वैज्ञानिकों को ये कंकाल म्यूनिख और ब्रांडेनबुर्ग में मिले. उनका कहना है कि दोनों ही जगह से मिले कंकालों में यह पाया गया.
शोल्स ने म्यूनिख की लुडविष मैक्सीमिलियन यूनिवर्सिटी और स्टेट कलेक्शन फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड पेलिओएनैटोमी के रिसर्चरों की टीम के साथ मिलकर 30 कंकालों की जांच की. उनमें से 6 के जेनेटिक मैटीरियल को विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया गया. टीम ने इनसे पता लगाया कि ये 14वीं शताब्दी के मध्य से 17वीं शताब्दी के बीच के समय के कंकाल हैं. अन्य यूरोपीय कंकालों के डाटा से भी उनकी तुलना की गई.
अब तक माना जाता रहा है कि व्यापारियों, नाविकों और एशिया, अफ्रीका और मध्यपूर्व से आने वाले अन्य लोगों के साथ यह परजीवी यूरोप आया. यह परजीवी किस जीव के भीतर रहता था यह ज्ञात नहीं है. शुल्स का अनुमान है कि यह जीव जूं हो सकती है, लेकिन फिलहाल इसे स्पष्ट नहीं किया जा सकता.
एसएफ/ओएसजे (डीपीए)
कब्र में दफ्न राजकुमारी के रहस्य
जर्मन शहर श्टुटगार्ट के पास मिली 2,600 साल पुरानी कब्र पुरातत्वविदों के लिए खासी अहम है. इस कब्र में अपने कीमती गहनों के साथ सोई हुई थी केल्टिक राजकुमारी....
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अबूझ पहेली
स्टील और कंकरीट के बने जिस चैंबर में राजकुमारी को दफ्न किया गया था वह पुरातत्वविदों को 2010 में हाथ लगा. पिछले एक दशक में यह जर्मनी की सबसे अहम पुरातात्विक खोजों में से एक है. श्टुटगार्ट की एक प्रदर्शनी में लोग 2,600 साल पुरानी कब्र से मिली कीमती वस्तुएं देखने बहुत शौक से पहुंचते हैं.
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प्राचीन केल्टिक गांव
2010 में रिसर्चरों को दक्षिण जर्मनी के हॉइनबुर्ग इलाके के पास इस चैंबर के सुराग मिले. यह लौहकालीन यूरोप में केल्टिक साम्राज्य का इलाका हुआ करता था.
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एक और अंतिम यात्रा
चैंबर में मिले सामान की जांच के लिए रिसर्चर इस पूरे चैंबर को जमीन से निकालकर एक ट्रक पर लाद कर श्टुटगार्ट के पास एक प्रयोगशाला में ले गए. इस चैंबर का भार करीब 80 टन है.
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उच्चकुलीय राजकुमारी
पुरातत्वविदों के मुताबिक यह कब्र केल्टिक राजपरिवार के किसी सदस्य की है. सालों पहले मिली इस तरह की और कब्रें इतने सामान के साथ नहीं थीं. इस कब्र में सोने-चांदी के मोती और मुंगे जड़े महंगे जेवरात मिले हैं. ऐसी चीजें केल्टिक समाज की केवल बड़ी हस्तियों के साथ ही रखी जाती थीं.
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दो महिलाएं और एक लड़की
कब्र में दो या तीन साल की बच्ची भी थी. रिसर्चरों को लगता है वह राजकुमारी की पुत्री रही होगी. बच्ची पर भी कीमती आभूषण थे. लेकिन उनके साथ वह तीसरी महिला कौन है, यह अभी भी पहेली है. यह महिला भी इसी चैंबर में थी लेकिन उस पर इतने कीमती आभूषण नहीं थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि वह नौकरानी रही होगी.
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मेहनत भरा काम
रिसर्चरों ने इस पहेली को सुलझाने में जी जान लगा दी है. अभी तक हुए डीएनए टेस्ट तीनों के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं कर पाए हैं. रिसर्चर उम्मीद कर रहे हैं कि तकनीक के विकास के साथ आने वाले सालों में वे इनके बारे में और जरूरी बातें जान सकेंगे. फिलहाल रिसर्च 2018 तक जारी रखने का लक्ष्य है.
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लकड़ी की मदद
दफनाने के लिए इस्तेमाल हुए इस चैंबर में लकड़ी का भी प्रयोग हुआ है. इसके पास से ही नदी बहती है. यही लकड़ी अब वैज्ञानिकों को उस काल का आंकलन करने में मदद कर रही है. यह लकड़ी 583 ईसापूर्व काटे गए पेड़ की है. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह केल्टिक साम्राज्य से संबंधित अब तक की सबसे पुरानी कब्र है.
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वह कौन थी?
वह रहस्यमयी राजकुमारी आखिर कौन थी? इस सवाल का अब तक ठोस जवाब नहीं मिला है. उसकी उम्र 30 से 40 साल के बीच थी और उसके दांत बेहद खूबसूरत थे. कब्र में उसका सिर धड़ से तीन मीटर दूर था और जबड़ा कब्र के दूसरे कोने में.
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मजबूत तंत्र
कब्र में मिली सामग्री केल्टिक समाज के बारे में कई ऐसी बातें बताती हैं जो अब तक नहीं पता थीं. घोड़ों के लिए इस्तेमाल होने वाला आभूषिण जड़े कवच अज्ञात महिला के पास मिले. लेकिन यह इस इलाके का नहीं है. अंदाजा लगाया गया है कि इसे इटली से मंगवाया गया होगा. पुरातत्वविदों का अनुमान है कि उन्होंने जितना सोचा था केल्ट उससे ज्यादा अंतर राज्यीय व्यापार किया करते थे.
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रहस्यों से पर्दा
कोई नहीं जानता कि कब्र से जुड़ी गुत्थियां सुलझ पाएंगी या नहीं. रिसर्चर इसपर और समय लगाना चाहते हैं. राजकुमारी से जुड़ी सामग्री को श्टुटगार्ट के न्यू पैलेस में 14 दिसंबर 2014 से आम लोगों के लिए प्रदर्शनी पर लगाया गया है.