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राना प्लाजा का अचंभा रेशमा अख्तर

२४ अप्रैल २०१४

दुनिया की सबसे बुरी फैक्ट्री दुर्घटनाओं में से एक राना प्लाजा में वह एक अचंभा है. तब 19 साल की रेशमा अख्तर को 17 दिन बाद मलबे से जिंदा निकाला गया.

तस्वीर: MUNIR UZ ZAMAN/AFP/Getty Images

दुनिया की सबसे बुरी फैक्ट्री दुर्घटनाओं में से एक बांग्लादेश के राना प्लाजा में वह एक अचंभा हैं. तब 19 साल की रेशमा अख्तर को 17 दिन बाद मलबे से जिंदा निकाला गया.

इस घटना को एक साल हो चुका है. अब रेशमा की शादी हो गई है और उन्होंने एक नया काम ढूंढ लिया है. पिछले साल 24 अप्रैल को ढाका के बाहरी इलाके में हुई राना प्लाजा दुर्घटना ने 1,138 लोगों की जान ली थी और करीब 2000 लोग घायल हुए.

धूल और गर्द में सनी रेशमा को जब मलबे से निकाला गया तो वह दुनिया भर के अखबारों के पहले पेज का चेहरा बन गई. हालांकि ये खुशकिस्मती बहुत सारे बुरे सपने भी ले कर आई. ठीक इस दुर्घटना में बचे, घायल और बचाव दल के सदस्यों की तरह वह भी घबराहट और अनिद्रा से परेशान हैं.

लेकिन इस दुर्घटना के बाद उन्होंने उत्तरी बांग्लादेश के अपने छोटे से गांव में अपने मित्र से शादी कर ली और अब अंतरराष्ट्रीय होटल वेस्टिन में काम कर रही हैं. उन्होंने ही रेशमा अख्तर को नौकरी की पेशकश की थी. रेशमा कहती हैं कि वह अब कभी कपड़ा फैक्ट्री में कदम नहीं रखेंगी. उन्हें नए काम में मजा आ रहा है, "मुझे ये काम पसंद है. कपड़ा कारखाने के काम की तुलना में ये बिलकुल अलग है. ये काम आसान और आरामदेह है."

रेशमा के हवाले से समाचार एजेंसी एएफपी ने लिखा है कि उन्होंने राना प्लाजा में चलने वाली पांच फैक्ट्रियों में से एक में दुर्घटना से ठीक 22 दिन पहले ही काम शुरू किया था. उन्हें दिन में 10 घंटे काम करने पर महीने के 4,700 टका मिलते थे.

उनका दावा है कि साल भर बाद भी उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है. जबकि पश्चिमी ब्रांड्स ने मिल कर ट्रस्ट फंड दुर्घटना में बचे लोगों को मुआवजा देने के लिए बनाया था. इसमें सिर्फ डेढ़ करोड़ डॉलर आए जबकि लक्ष्य चार करोड़ डॉलर का था. रेशमा ने बताया, "मुझे प्रधानमंत्री और कुछ निजी दानदाताओं से पैसे मिले." दुर्घटना के बाद से रेशमा आध्यात्मिक हो गई हैं. वह नियमित नमाज पढ़ती हैं और कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वालों के लिए और दुर्घटना में मारे गए लोगों के लिए दुआ करती हैं. "मैं दुआ करती हूं कि हमारी कपड़ा फैक्ट्रियां सुरक्षित हों कि वहां किसी की जान न जाए."

भले ही उस दुर्घटना की बुरी यादें उनका पीछा नहीं छोड़ रही हों लेकिन वह अपने नए जीवन से कई उम्मीदें करती हैं. और जल्द ही पति के साथ थोड़े बड़े घर में शिफ्ट हो जाएंगी. "हम एक दूसरे को कुछ साल से जानते हैं क्योंकि हम पड़ोसी थे. वह अच्छा व्यक्ति है और मेरा ख्याल भी रखता है."

एएम/एजेए (एएफपी)

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