170 साल पहले उत्तरी ध्रुव में काल्पनिक नार्थवेस्ट पैसेज की तलाश में निकले दो खोजी ब्रिटिश जहाज गायब हो गए थे. अब इनमें से एक जहाज मिल गया है. इस खोज से इतिहास के सबसे बड़े रहस्यों में से एक से पर्दा उठा सकता है.
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कनाडा के प्रधानमंत्री ने इस गायब जहाज के मिलने की घोषणा की. आखिरी बार इन दोनों जहाज को 1840 में देखा गया था. एचएमएस इरेबस और एचएमएस टेरर की लंबे समय से तलाश थी. दोनों जहाज रियर एडमिरल सर जॉन फ्रैंकलिन के नियंत्रण में थे. प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के दफ्तर ने कहा कि अच्छी तरह से संरक्षित एक जहाज का मलबा रविवार को मिल गया. पानी के भीतर रिमोट से चलने वाले यान की मदद से मलबा ढूंढ निकाला गया. किंग विलियम द्वीप के पास सतह से 11 मीटर नीचे यह मलबा मिला है. द्वीप टोरंटो के उत्तर पश्चिम में पड़ता है. हार्पर ने कहा है कि अब तक यह साफ नहीं है कि मलबा किस जहाज का है, लेकिन सोनार तकनीक की मदद से निकली तस्वीरों से पर्याप्त जानकारी मिलती है और यह पुष्टि होती है कि जहाज फ्रैंकलिन का है.
हार्पर ने कहा, "यह वाकई कनाडा के लिए ऐतिहासिक क्षण है. यह कनाडा की महान कहानी और रहस्य है और वैज्ञानिकों, इतिहासकारों, लेखकों और गायकों का विषय है. इसलिए मुझे लगता है कि यह दिन देश के इतिहास के नक्शे के लिए महत्वपूर्ण है." हार्पर का कहना है कि इस खोज के बाद यह पता चल पाएगा कि फ्रैंकलिन के चालक दल का क्या हुआ होगा. 1845 में उत्तर पश्चिम मार्ग के लिए निकले फ्रैंकलिन और 128 चालक दल गायब हो गए थे. नॉर्थवेस्ट पैसेज एशिया के लिए कम दूरी का रास्ता है. माना जाता है कि यह अटलांटिक से लेकर प्रशांत महासागर तक को जोड़ता है. इतिहासकारों का मानना है कि किंग विलियम द्वीप के पास बर्फ में अटकने के बाद जहाज 1848 में भटक गए और चालक दल के सदस्य ने निराशाजनक कोशिश के बाद जहाज छोड़ने का फैसला किया.
1800 में ब्रिटिश और अमेरिकियों ने दर्जनों तलाशी अभियान चलाया लेकिन मलबा नहीं मिल पाया. कुछ अभियान तो दर्दनाक हादसे में भी खत्म हुए. कनाडा ने 2008 में जहाजों की तलाशी का एलान किया और हार्पर की सरकार ने लाखो डॉलर इस खोज में लगाए. प्रधानमंत्री खुद भी खोज का हिस्सा बने. हार्पर सरकार ने इस प्रोजेक्ट को शीर्ष प्राथमिकता वाला करार दिया, कनाडा नॉर्थवेस्ट पैसेज को अपनी संप्रभुता के अधिकार के तौर पर देखता है. कनाडा का कहना है कि वह पैसेज पर अधिकार रखता है जबकि अमेरिका और अन्य देशों का कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र है.
एए/एएम (एएफपी)
आखिरी सफर पर कोस्टा कोन्कोर्डिया
इटली के जिगोलो द्वीप पर दो सालों से अटका पड़ा दुर्घटनाग्रस्त जहाज अपने आखिरी सफर पर निकल चुका है. इतिहास में पहली बार इस तरह किसी जहाज को किनारे लगाने की कोशिश हो रही है, जिसका आखिरी पड़ाव आ चुका है.
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जहाजों की कब्रगाह
बुधवार को जिगोलो से निकला क्षतिगस्त कोस्टा कोन्कोर्डिया जिनोवे पहुंच गया है. इसके जंग खा चुके, टूटे फूटे हिस्सों को अब एक एक करके तोड़ा जाएगा. और फिर ये जहाज इतिहास की किताब में दफ्न हो जाएगा.
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बड़ा काम
इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त जहाज को सीधा कर उसे 280 किलोमीटर दूर जेनोवे में ले जाया गया. ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी. काम पूरा होने पर खुश होते इंजीनियर और कर्मचारी.
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तकनीक से खड़ा हुआ
कोस्टा कोन्कोर्डिया को तकनीक के सहारे भूमध्य सागर में दोबारा खड़ा कर दिया गया है. इसे फिलहाल एक प्लेटफॉर्म पर रखा गया है और बाद में उसे धीरे से हटा दिया जाएगा. इसके लिए खास तैयारियां की गई हैं. जहाज के पेंदे में हवा भरी गई है.
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आखिरी सफर
इसके बाद जहाज को 30 मीटर पूर्व की तरफ ले जाया जाएगा, जहां पानी गहरा है. वहां इसे प्रोपेलर से जोड़ा जाएगा. योजना है कि फिर जहाज को 10 मीटर आगे ले जाया जाए और फिर किनारे लगाने की कोशिश हो.
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नाजुक तरीका
समझा जाता है कि इस नाजुक तरीके में हफ्ता भर लग जाएगा. दोबारा तैराने की इस कार्रवाई में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. जहाज की हालत बुरी है. इसे बढ़ाने के दौरान इसमें से तेल भी लीक कर सकता है, जो पूरे ऑपरेशन को मुश्किल बना सकता है.
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धीरे धीरे रे मना...
यह काम कितना नाजुक है, अंदाजा इस बात से लगता है कि पिछले साल सितंबर में 20 महीने बाद इसे सीधा करने का काम शुरू किया गया. 19 घंटे की कार्रवाई में 290 मीटर लंबे जहाज को एक एक मिलिमीटर करके खड़ा किया गया.
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देखने लायक नजारा
भले ही कोस्टा कोन्कोर्डिया जहाज हादसे का शिकार रहा हो लेकिन इसे खड़ा करने के काम को निहारने वाले भी कम नहीं. क्रेन और हाइड्रोलिक मशीनों की मदद से जहाज को पहले 65 डिग्री के कोण पर घुमाया गया, फिर खड़ा किया गया. इसे बड़ी इंजीनियरिंग कामयाबी बताया जा रहा है.
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हादसे की रात
13 जनवरी, 2012. कोस्टा कोन्कोर्डिया के लिए मनहूस रात. रात करीब पौने 10 बजे यह लक्जरी जहाज हादसे का शिकार हो गया. गहरे पानी में गिरने से पहले यह कई सौ मीटर घूमता रहा.
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देर से राहत
जहाज में 4000 लोग थे, जिनमें से 1000 क्रू सदस्य. जब हादसा हुआ, तो ज्यादातर मुसाफिर डिनर कर रहे थे. पहले उनसे कहा गया कि बिजली सप्लाई में गड़बड़ है. फिर साढ़े 10 बजे हादसे की बात बताई गई.
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जानलेवा दुर्घटना
द्वीप के पास पहुंचने से पहले जहाज में पानी भरने लगा. यह एक तरफ झुक गया और डूबने लगा. कुल मिला कर इस हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और एक लापता शख्स आज तक नहीं मिला है. कई मुसाफिरों को छोटी नावों से बचाया गया. कुछ ने तो पानी में छलांग लगा दी थी.
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कोर्ट में कैप्टन
फ्रांसेस्को शेटिनो को घटना के कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया. 52 साल के कप्तान पर आरोप है कि उन्होंने घटना का सही अंदाजा नहीं लगाया और जहाज छोड़ कर भाग गए. मुकदमा चल रहा है.