दुनिया में ईरान जैसे चंद ही देश हैं जो आंखों में आंख डालकर अमेरिका को चुनौती देते हैं. लेकिन क्या मध्य पूर्व का यह ताकतवर देश एक जिम्मेदार देश भी है? यूक्रेन के विमान को मार गिराने के बाद यह सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए.
ईरान की राजधानी तेहरान से उड़ान भरने वाले यूक्रेन के यात्री विमान में सवार 176 लोगों की मौत के दाग को ईरान शायद कभी नहीं धो पाएगा. ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने विमान को मार गिराए जाने की इस घटना को 'नाकाबिले माफ गलती' बताया है. लेकिन यह गलती नहीं, बल्कि जघन्य अपराध है, जिसकी उम्मीद एक आधुनिक और जिम्मेदार देश से नहीं होती.
यह विमान किसी दूसरे देश से नहीं आ रहा था जिस पर ईरानी सेना को शक होता. ईरान और यूक्रेन के बीच संबंध भी सामान्य हैं. इस विमान ने तय नियमों और मानकों के मुताबिक तेहरान के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से उड़ान भरी. उसने ईरान सरकार की तरफ से निर्धारित हवाई मार्ग पर ही अपना सफर शुरू किया होगा. तो फिर उड़ान भरने के चंद मिनटों के भीतर ऐसा क्या हुआ कि हड़बड़ी में ईरानी सैन्य अफसरों ने 176 बेकसूर लोगों की जान ले ली.
ईरानी सेना का कहना है कि उसने यात्री विमान को क्रूज मिसाइल समझ लिया था और इसलिए उसे मार गिराया गया. ईरानी सेना के मुताबिक विमान संवेदनशील हवाई क्षेत्र में दाखिल हो गया था, इसलिए यह गलती हुई. अगर देश की राजधानी के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का हवाई क्षेत्र इतना असुरक्षित है तो फिर दुनिया की कोई भी एयरलाइन वहां जाने से कतराएगी.
हवाई सफर को सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है. लेकिन इसके इतिहास में कई दर्दनाक हादसे भी दर्ज हैं. एक नजर दुनिया की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटनाओं पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Zykina
25 मई 1979, 273 मौतें
मरने वालों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े हादसों में दसवें नंबर पर है अमेरिका के इलेनॉय में 25 मई 1979 को हुई दुर्घटना. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 191 शिकागो से उड़ान भरने के चंद मिनटों में ही क्रैश हो गई और इसमें सवार सभी 258 मुसाफिर, 13 चालक दल के सदस्य और दो लोग जमीन पर मारे गए थे.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/F. Jewell
19 फरवरी 2003, 275 मौतें
ईरान में केरमेन के पास पहाड़ी इलाके में 19 फरवरी 2003 को बड़ा विमान हादसा हुआ जिसमें विमान पर सवार सभी 275 लोग मारे गए थे. विमान ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के जवानों को लेकर जा रहा था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Pfeiffer
3 जुलाई 1988, 290 मौतें
3 जुलाई 1988 को हरमुज जलमडमरूमध्य में ईरान एयर की फ्लाइट को अमेरिकी नौसेना ने मार गिराया था, जिसमें विमान पर सवार सभी 290 लोग मारे गए थे. अमेरिकी सरकार का कहना था कि उसकी नेवी ने विमान को गलती से कोई लड़ाकू विमान समझ लिया था. तेहरान से दुबई जा रही ये उड़ान नियमित रूट पर नहीं थी.
तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Taherkenareh
17 जुलाई 2014, 298 मौतें
17 जुलाई 2014 को एम्सटरडैम से कुआलालंपुर जा रहे मलेशिया एयरलाइंस के विमान को यूक्रेन में दोनेत्सक इलाके में मार गिराया गया. विमान पर सवार सभी 283 यात्री और चालक दल के 15 सदस्य मारे गए. डच सेफ्टी बोर्ड ने 2015 में अपनी जांच में कहा कि विमान को रूस समर्थक विद्रोहियों ने जमीन से हवा में मार करने वाली बक मिसाइल से गिराया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Zykina
19 अगस्त 1980, 301 मौतें
सऊदी अरब की राजधानी रियाद से 19 अगस्त 1980 को उड़ाने भरने के बाद ही सऊदिया एयरलाइंस की फ्लाइट 163 में आग लग गई. हादसे में सभी 287 यात्रियों समेत 301 लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
23 जून 1985, 329 मौतें
23 जून 1985 का दिन एयर इंडिया के इतिहास में एक दर्दनाक दिन था जब जमीन से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर आयरलैंड के आसमान में उसके एक विमान को बम से उड़ा दिया गया. इसमें चालक दल के 22 सदस्यों समेत 329 लोग मारे गए थे. कनाडा की जांच में इसके लिए सिख अलगाववादी संगठन बब्बर खालसा के सदस्यों को जिम्मेदार बताया गया था.
तस्वीर: picture alliance/empics/R. Remiorz
3 मार्च 1974, 346 मौतें
3 मार्च 1974 को टर्किश एयरलाइंस का एक विमान पेरिस के पास जंगलों में क्रैश हो गया. हादसे में विमान पर सवार सभी 346 लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
12 नवंबर 1996, 349 मौतें
हवाई दुर्घटनाओं के इतिहास का तीसरा सबसे दर्दनाक हादसा हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था जब आकाश में सऊदी अरब और कजाखस्तान के विमान टकरा गए. हादसे में दोनों विमानों में सवार 349 लोग मारे गए.
तस्वीर: Imago/Rüdiger Wölk
12 अगस्त 1985, 509 मौतें
जापान एयरलाइंस का एक विमान 12 अगस्त 1985 को राजधानी टोक्यो से लगभग 100 किलोमीटर दूर हादसे का शिकार हो गया. इस हादसे में कुल 520 लोग मारे गए जिनमें 509 यात्री और 15 चालक दक के सदस्य थे.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Toshiki Ohira
27 मार्च 1977, 583 मौतें
सबसे बड़ा विमान हादसा 27 मार्च 1977 को हुआ था जब स्पेन के द्वीप टेनेरीफ के हवाई अड्डे पर दो विमान रनवे पर एक दूसरे से टकरा गए. दो बोइंग 747 विमानों की इस टक्कर में 583 लोग मारे गए थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/ANP
10 तस्वीरें1 | 10
अब भले ही ईरान खुले तौर पर अपनी गलती कबूल करके 'ईमानदारी' का परिचय दे रहा है. लेकिन अगर कनाडा और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का दबाव नहीं होता, तो 176 लोगों की हत्या सिर्फ हादसे में मारे गए लोगों के तौर पर दफन हो जाती. ईमानदारी तो तब होती, जब ईरान की सरकार विमान के गिरने के तुरंत बाद अपनी गलती मानती. इसके बजाय उसने विमान के इंजन की तकनीकी खराबी बताते हुए अपने अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश की. लेकिन जब बात खुलती चली गई तो ईरान के सामने अपनी गलती मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. इससे ईरान की सरकार अपनी ही जनता की नजरों में गिर गई. कई शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और उन्होंने अपनी सरकार को 'झूठा' करार दिया. प्रदर्शनकारी ना सिर्फ राष्ट्रपति का बल्कि ईरान के सर्वोच्च नेता का भी इस्तीफा मांग रहे हैं.
इराक में एक अमेरिकी हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान के लिए पैदा होने वाली थोड़ी बहुत सहानुभूति अब फुर हो गई है और हर कोई 176 लोगों की मौत पर सवाल कर रहा है. जाहिर है जांच होगी, कुछ लोग जिम्मेदार करार दिए जाएंगे, हो सकता है कि ईरान खस्ताहाल होने के बावजूद पीड़ित परिवारों को कुछ मुजावजा देने को भी राजी हो जाए. लेकिन इन सब कदमों से उन हंसते मुस्कराते चेहरों की भरपाई नहीं हो सकती है, जो यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइंस के विमान पर सवार हुए थे.
तस्वीर: Reuters/Wana/N. Tabatabaee
ऐसा नहीं है कि किसी यात्री विमान को मार गिराए जाने की यह पहली घटना है. कुछ साल पहले यूक्रेन-रूस संकट के दौरान मलेशिया का एक यात्री विमान यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में गिराया गया था. इसके पहले 1980 के दशक में ईरान के एक यात्री विमान को अमेरिका ने मिसाइल से मार गिराया था. लेकिन ये दोनों ही मामले इस तरह अलग हैं कि विमान कहीं और से आ रहे थे. लेकिन ईरान ने जिस विमान को गिराया, उसने तो तेहरान से ही उड़ान भरी थी और चंद मिनटों के भीतर उसे एयरपोर्ट के करीब ही मार गिराया गया. ईरान ने जब पहली बार इसे मार गिराने की बात स्वीकारी तो इसके लिए 'मानवीय गलती' को जिम्मेदार बताया. लेकिन इस मानवीय गलती ने सिर्फ 176 निर्दोषों की जान ही नहीं ली है बल्कि ईरान की साख को बट्टा भी लगाया है.
मध्य पूर्व में बीते कई दशक इस बात के गवाह हैं कि चाहे जितनी मुश्किलें आईं, लेकिन ईरान इस इलाके में एक दमदार खिलाड़ी है. इतना दमदार कि एक तरफ वह लगभग अकेला है और दूसरी तरफ अमेरिका, इस्राएल और अरब देशों का गठजोड़. सब ईरान की महत्वाकांक्षाओं को अपने लिए चुनौती समझते हैं. आप जितने ताकतवर होते हैं, उतना ही आपसे जिम्मेदार होने की उम्मीद भी की जाती है. लेकिन अपनी सरजमीन से उड़ान भरने वाले एक यात्री विमान को मार गिरा कर ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों को वजन दिया है कि वह एक जिम्मेदार देश नहीं है और इसीलिए अगर ईरान के पास एटमी ताकत आ गई तो इससे विश्व शांति को खतरा होगा. ऐसे में, ईरान को वाकई सोचना होगा कि वह इस आरोप का जवाब कैसे देगा.
प्लेन क्रैश होने की खबर सुनकर लगता है कि किसी भी यात्री और स्टाफ की जान नहीं बची होगी. लेकिन चमत्कार होते हैं और कई बार लोग सही सलामत बच जाते हैं. कहते हैं न, जाको राखे साइयां मार सके न कोय.
तस्वीर: gemeinfrei
मेक्सिको में बची सैकड़ों की जान
मेक्सिको के दुरांगों शहर से एयरोमेक्सिको फ्लाइट 2431 ने 31 जुलाई 2018 को उड़ान भरी और कुछ देर बाद क्रैश हो गई. इस विमान में 100 से अधिक लोग सवार थे. कुछ को मामूली चोटें आईं और सभी की जान बच गई.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua
हडसन नदी पर हुआ चमत्कार
15 जनवरी 2009 को यूएस एयरवेस के प्लेन के दोनों इंजनों से दो चिड़ियां टकरा गईं. विमान को उड़ा रहे कैप्टन सुली सुलेनबर्गर ने किसी तरह मैनहैटन के करीब हडसन नदी पर प्लेन को उतारा. उनकी जज्बे को लोगों ने सलाम किया और बाद में एक फिल्म भी बनी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Day
तेज बारिश से हुआ हादसा
297 यात्रियों और 12 क्रू मेमबर्स को ले जा रहे एयर फ्रांस की विमान ए340 टोरंटो में लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया. तेज बारिश की वजह से हुए इस हादसे में 12 लोगों को गंभीर चोटें आईं. क्रू मेमबर्स ने यात्रियों को जल्द ही प्लेन से उतारा.
तस्वीर: dpa - Report
टेक-ऑफ के दौरान ही क्रैश
कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस बोइंग 737 अमेरिका के डेनवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से 20 दिसंबर 2008 की सुबह उड़ान भर ही रहा था कि तेज हवाओं की वजह से रनवे पर प्लेन क्रैश हो गया. गनीमत रही कि वक्त रहते सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया.
तस्वीर: Getty Images/D. Zalubowski
पानी में कराई इमरजेंसी लैंडिंग
1956 में होनोलुलु और सैन फ्रैंसिस्को के बीच बोइंग 377 के उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों में उसके इंजन फेल हो गए. पायलट ने पानी में इमरजेंसी लैंडिग कराई और 24 यात्रियों और 12 क्रू सदस्यों की जान बची.