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'20 ठिकाने लश्कर के निशाने पर'

१६ मार्च २०१०

पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के निशाने पर भारत के 20 ठिकाने हैं और पूरी दुनिया में वह 320 जगहों पर विनाश करने की योजना रखता है. अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य गैरी एकरमैन ने यह बात कही.

तस्वीर: AP

एकरमैन ने बताया, "भारत में 26/11 के हमलों के बाद ईमेल और दूसरे रिकॉर्डों की जांच की गई, तो पता चला कि दुनिया भर के 320 जगहों को लश्कर ए तैयबा अपना निशाना बनाना चाहता है. इनमें से 20 भारत में हैं."

उन्होंने कहा कि लश्कर ए तैयबा पहले दिन से ही अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी फ़ौज को निशाना बना रहा है और पूरे अफ़ग़ानिस्तान में उनके लड़ाके मौजूद हैं. लश्कर यानी एलईटी लगभग एक दशक से भारतीयों पर भी हमले कर रहा है. एकरमैन का कहना है कि लश्कर पूरी दुनिया को बताना चाहता है कि वह अपने हमले तेज़ कर रहा है.

एकरमैन ने कहा, "इन कार्रवाइयों को रोका जाना ज़रूरी है. एक महीने में नहीं, एक साल में नहीं, तब नहीं जब अफ़ग़ानिस्तान में हालात सामान्य हों, तब नहीं जब पाकिस्तान में चीज़ें नियंत्रण में हों. अभी, आज और आने वाले हर दिन में. हम ऐसा नहीं कर रहे हैं और इसके लिए प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं. हम इस ग़लती पर पछताने वाले हैं. हम बुरी तरह पछताने वाले हैं."

उन्होंने कहा कि यह समझना बिलकुल ग़लत है कि लश्कर की समस्या सिर्फ़ पाकिस्तान और मध्य पूर्व में है, बल्कि यह भी समझना चाहिए कि मुंबई हमलों की साज़िश में एक शख़्स पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है. उनका इशारा डेविड कोलमैन हेडली की तरफ़ था, जिसे अमेरिका में गिरफ़्तार किया गया है. एकरमैन का दावा है कि लश्कर ने पूरी दुनिया में अपना जाल बिछा लिया है.

उन्होंने कहा कि 9/11 के बाद पाकिस्तान ने दिखाने के लिए तो लश्कर ए तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन सच तो यह है कि आज भी लश्कर सार्वजनिक जगहों पर अपनी पहचान बनाए हुए है. एकरमैन ने कहा, "अनुमान है कि पूरे पाकिस्तान के शहरों और गांवों में लश्कर के 2000 से ज़्यादा दफ़्तर हैं और उनका पाकिस्तानी सेना के साथ साठ गांठ है. इस बात को मानने में कोई एतराज़ नहीं किया जाना चाहिए कि पाकिस्तानी सेना शायद 26/11 में मारे गए चरमपंथियों के परिवार वालों को आर्थिक सहायता दे रही है. ये तो आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में हमारे साथी हैं."

एकरमैन ने कहा कि लश्कर को पाकिस्तान में धर्म के नाम पर दिए जाने वाले दान के अलावा विदेशों में बसे पाकिस्तानी कारोबारियों से भी अच्छा ख़ासा पैसा मिलता है. इसके अलावा फ़ारस की खाड़ी से भी उन्हें पैसा मिलता है. उन्होंने कहा कि ये देश भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में अमेरिका के साथी हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः आभा मोंढे

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