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20 साल हुए पहला एसएमएस भेजे

३ दिसम्बर २०१२

प्यार में पंगा हो, बच्चा होने का संदेश हो, कुछ महत्वपूर्ण समाचार या दोस्तों की चिटचैट. एसएमएस संदेश भेजने का लोकप्रिय तरीका है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया का पहला एसएमएस 3 दिसंबर 1992 को भेजा गया.

तस्वीर: Fotolia/mars

20 साल बाद एसएमएस यानी शॉर्ट मेसेजिंग सर्विस कई लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. जर्मनी में ही रोजाना एक करोड़ 15 लाख संदेश ऐसे भेजे जाते हैं. जर्मनी में तो एसएमएस भेजने का क्रियापद बना दिया गया है, सिमसन यानी एसएमएस करना. और इस शब्द को औपचारिक तौर पर शब्दकोश में भी शामिल कर लिया गया है. संदेश भेजना आम जिंदगी का हिस्सा है, खाने जैसा. और इसके साथ कुछ अजीब सी कहानियां जुड़ी हुई हैं. मिसाल के तौर पर एक महिला, जिसने अपने प्रेमी के संदेश का बड़े दिन इंतजार किया और आखिरकार जब संदेश आया, तो वह उसे खोलना नहीं चाह रही थीं क्योंकि उन्हें डर लग रहा था. बाद में जब संदेश खोला तो वह उनकी टेलिफोन कंपनी के नए दामों के बारे में जानकारी थी.

प्यार में पंगा

कुछ प्रेमियों को तो एसएमएस के जरिए ही पता चलता है कि उनकी प्रेमिकाओं ने उन्हें छोड़ दिया है. टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर की मंगेतर ने उन्हें एसएमएस पर लिखा, "या तो अपनी खबर दो या फिर मैं तुमसे अलग हो रही हूं." और इस तरह के संदेश किसे नहीं मिलते. इस रिपोर्ट की लेखिका को खुद एक संदेश मिला जिसमें लिखा था, "हम अगर ये ड्रामा खत्म करें तो अच्छा होगा."

एसएमएस के बीस सालतस्वीर: picture-alliance/dpa

एमएमएस पर ब्रेक ऑफ, प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए यब बड़ा मुद्दा है और कई बार जर्मनी में यह बहस का मुद्दा भी बना है. 92 प्रतिशत जर्मनों का मानना है कि रिश्ते को एसएमएस पर खत्म करना सही नहीं है. लेकिन जर्मन सामाजिक परंपरा संस्थान के अधिकारी मिषाएल क्लाइन कहते हैं कि न्यू मीडिया में नए तरीके भी सामने आते हैं और जरूरी केवल यह है कि आप सही तरह अपना संदेश कहें.

एक नई भाषा

160 चिह्नों में अपनी बात पूरी करना मुश्किल है. इसके लिए एसएमएस में इमोटिकॉन्स लाए गए. हंसी और दुख को दिखाने के लिए स्माइली का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे अच्छे मूड के लिए :-), बुरे के लिए :-( और आंख मारने के लिए ;-). 160 चिह्नों का मतलब है, अपनी बात जल्दी खत्म करो और इसलिए टीजीआईएफ यानी थैंक गॉड इट्स फ्राइडे जैसे शब्द सामने आ रहे हैं.

एक नई बीमारी

एसएमएस संदेश भेजने का जरिया ही नहीं बल्कि एक बीमारी भी साथ लेकर आया है. जब आप सेलफोन पर टाइप करते रहते हैं तो अपने अंगूठे का इस्तेमाल करते हैं. पुराने सेलफोन में अगर आप "सॉरी मैं लेट हो जाऊंगी" जैसे संदेश लिखते, तो आपको सैंकड़ों बार सेलफोन पर टाइप करने की जरूरत होती और इसकी वजह से कई लोगों को अंगूठे में परेशानी होने लगी. "आज शाम कहां मिलना है" और "आज तुम क्या पहन रही हो" जैसे संदेशों की वजह से एसएमएस अंगूठे की बीमारी भी फैलती रही. इंटरनेट पर अब इस बीमारी के लिए कई इलाज हैं, स्वीडन की जड़ी बूटियों से लेकर खास जानवरों के खून से बनी क्रीम तक को इलाज के तौर पर पेश किया गया है.

सभी में लोकप्रियतस्वीर: dapd

टूं... टूं...

पहले तो एसएमएस आने पर फोन की घंटी हल्के से बजती, आजकल हर तरह के साउंड को आप एसएमएस के लिए लगा सकते हैं, अलार्म से लेकर कोयल की कूक तक. और यह साउंड एसएमएस आने पर ही नहीं, बल्कि ईमेल और चैट के लिए भी इस्तेमाल होती हैं. स्मार्टफोन की बात करें तो संदेश भेजने के इतने विकल्प हैं. जैसे आईफोन में आईमेसेंजर और वॉट्सऐप. जिसके पास इंटरनेट फोन के लिए फ्लैटरेट हो, वह एसएमएस नहीं बल्कि वॉट्सऐप भेजता है और एसएमएस के पैसे बचाता है.

अब टेलिफोन सर्विस कंपनियां शिकायत कर रही हैं. एसएमएस से बन रहे 40 प्रतिशत पैसे अब इंटरनेट मेसेजिंग खा रहे हैं. और इनमें स्माइली, इमोटिकॉन सब है. फोटो भी भेज सकते हैं, बिना पैसे खर्च किए.

तो जाते जाते, आपके लिए खूब सारा प्यार और :-).

रिपोर्टः सिल्के वुंश/एमजी

संपादनः आभा मोंढे

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