ऑस्ट्रेलिया की 20 कंपनियां दुनियाभर में जारी उस मुहिम का हिस्सा बन गई हैं, जिसके तहत कर्मचारियों को हफ्ते में 4 दिन ही काम करना होगा और तीन दिन की छुट्टी मिलेगी.
विज्ञापन
अगस्त से कुछ ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां अपने कर्मचारियों को हफ्ते में तीन दिन की छुट्टी देंगी. यह योजना फिलहाल आजमाइश के आधार पर शुरू की जाएगी और देखा जाएगा कि काम कैसा चल पाता है. ट्रायल के दौरान कर्मचारियों को 80 प्रतिशत हाजरी के लिए 100 प्रतिशत तन्ख्वाह दी जाएगी. हालांकि यह सुनिश्चित करना होगा कि चार दिन में उतना ही काम हो, जितना पांच दिन में होता.
जिन कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया में चार दिन का सप्ताह करने का ऐलान किया है उनमें मेलबर्न स्थित ‘अवर कम्यूनिटी' नामक कंपनी भी है, जो एक प्रशिक्षण संस्थान है. यह बिना लाभ के काम करने वाली कंपनी है, जिसने छह महीने का ट्रायल शुरू किया है लेकिन उसका कहना है कि शुरुआती संकेतों से लगता है कि यह अब स्थायी हो जाएगा.
कंपनी के प्रबंध निदेशक डेनिस मोरियारटी ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार चैनल नाइन से कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने जिस तरह घर से काम किया उसके बाद यह कदम उठाने में कोई जोखिम नहीं था. उन्होंने कहा, "उन्होंने शानदार काम किया और हमारा धंधा खूब बढ़ा. उस वक्त हमने सोचा कि इन लोगों को बनाए रखने के लिए और बाकी देश से आगे बने रहने के लिए हमें कुछ तो करना चाहिए.”
छह महीने का ट्रायल
इस ट्रायल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की 20 कंपनियां शामिल हुई हैं, जो वित्त प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य, तकनीकी और निर्माण तक विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं. ऑस्ट्रेलिया की फाइनैंस कंपनी ‘मोर दैन मॉर्टगेज', मार्किटिंग एजेंसी ‘द वॉक' और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली संस्था ‘मोमैंटम मेंटल हेल्थ' शामिल हुई हैं.
यह ट्रायल फिलहाल छह महीने के लिए शुरू की गई है. डेनिस ने कहा, "सुनने में लगता है कि यह कैसे हो सकता है, लेकिन हर सबूत बताता है और मुझे पूरा यकीन है कि छह महीने की ट्रायल इसे साबित कर देगी और हम इसे जारी रखेंगे.”
यूं घटा रहे हैं आप अपनी जिंदगी
जुग-जुग जियो, तुम्हारी उम्र सौ साल हो, ईश्वर तुम्हे लंबी आयु दे - ऐसे आशीर्वाद हम देते और हमें मिलते रहते हैं. लेकिन हम खुद ही ऐसे काम करते हैं जो हमारे जीवन से कुछ घंटे, दिन या साल कम कर देते हैं.
तस्वीर: Colourbox
टीवी
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स एंड मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार टीवी का हर एक घंटा आपके जीवन से 22 मिनट कम कर रहा है. यानि अगर आप औसतन हर रोज छह घंटे टीवी देखते हैं, तो आपके जीवन से पांच साल कम हो सकते हैं.
तस्वीर: Colourbox
बैठे रहना
क्या आपको दफ्तर में कई घंटे बैठना पड़ता है? जामा इंटरनल मेडिसिन की रिसर्च बताती है कि दिन में ग्यारह घंटे बैठने से मौत का खतरा 40 फीसदी बढ़ जाता है. इसलिए काम के बीच में ब्रेक लें और हो सके तो कुछ देर खड़े रह कर काम करें.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि जो पुरुष महीने में कम से कम एक बार भी सेक्स नहीं करते, उनके मरने का खतरा उन पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है जो हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं.
तस्वीर: www.imago-images.de
नींद
सोना शरीर के लिए जरूरी है लेकिन बहुत ज्यादा सोने से आपकी उम्र कम हो सकती है. आठ घंटे से ज्यादा बिस्तर पर पड़े रहने से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है. इसलिए नियमित रूप से सोएं, लेकिन आठ घंटे से ज्यादा नहीं.
तस्वीर: Colourbox
बेरोजगारी
15 देशों में 40 साल तक दो करोड़ लोगों पर चले एक शोध के अनुसार बेरोजगार लोगों के अचानक मौत का खतरा नौकरीपेशा लोगों की तुलना में 63 फीसदी ज्यादा होता है.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
अकेलापन
इंसान के लिए किसी का साथ, किसी से बातचीत करना जरूरी है. कुछ लोग तनाव से दूर रहने के लिए अकेले रहना पसंद करते हैं. लेकिन दरअसल वे खुद को दुनिया की खुशियों से वंचित कर रहे हैं. अवसाद उम्र कम होने की एक बड़ी वजह है.
तस्वीर: Imago-Images/W. Zwanzger
लंबी छुट्टी
यह सही है कि आपको काम से छुट्टी की जरूरत है ताकि शरीर को आराम मिल सके. लेकिन बहुत ज्यादा आराम नुकसानदेह हो सकता है. काम के बाद अचानक लंबे वक्त तक आराम इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है.
तस्वीर: Matthew Williams-Ellis/robertharding/picture alliance
कसरत
शरीर के लिए कसरत बेहद जरूरी है लेकिन सिर्फ शौक के चलते जरूरत से ज्यादा कसरत करना नुकसानदेह है. बेहतर होगा अगर डॉक्टर या फिजिकल ट्रेनर की राय के मुताबिक कसरत की जाए.
तस्वीर: Fotolia/lunamarina
8 तस्वीरें1 | 8
काम के नए तरीकों को लेकर कुछ लोगों की चिंताएं भी हैं. मसलन, यह कहा जा रहा है कि चार दिन में पांच दिन का काम खत्म करना होगा. क्या इसका अर्थ यह होगा कि लोग प्रतिदिन ज्यादा घंटे काम करेंगे? डेनिस ने अपने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि काम के घंटे बढ़ाए नहीं जाएंगे. वह कहते हैं, "कुछ मॉडल इस बात पर आधारित हैं कि आप पांच दिन को चार दिन में समेट दो. लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे हैं. हम कह रहे हैं कि आप सोमवार से गुरुवार तक वैसे ही काम करते रहिए, जैसे करते हैं. यानी 8-5 या फिर 9-5, जो भी आप करते रहे हैं, और हम आपको एक दिन की छुट्टी अतिरिक्त दे रहे हैं.”
विज्ञापन
कई हिस्सों में परीक्षण
पिछले हफ्ते ब्रिटेन में 70 कंपनियों ने चार दिन के हफ्ते की शुरुआत कर दी है. इसका फायदा 3,300 कर्मचारियों को मिल रहा है. ‘4 डे वीक ग्लोबल' नामक एक संस्था ने यूके के अलावा अमेरिका में भी ऐसी ही ट्रायल शुरू करवाई है. अमेरिका और कनाडा में 38 कंपनियां इस ट्रायल में हिस्सा ले रही हैं.
कहां होता है हफ्ते में चार दिन काम
आइसलैंड में चार दिन के हफ्ते का प्रयोग ऐसा सफल हुआ कि दुनिया भर में अब हफ्ते में चार दिन काम की चर्चा हो रही है. लेकिन आइसलैंड से पहले भी कई देश ऐसा प्रयोग कर चुके हैं. देखिए, कहां क्या हुआ...
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
आइसलैंड की सफलता
इसी महीने आई एक रिपोर्ट में आइसलैंड के शोधकर्ताओं ने कहा है कि हफ्ते में चार दिन काम कराने का प्रयोग काफी सफल रहा है. 2015 से 2019 के बीच परीक्षण के तौर पर सरकारी कर्मचारियों को समान वेतन पर हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प दिया गया था.
तस्वीर: Stefan Ziese/imageBROKER/picture-alliance
कमतर नहीं हुआ प्रदर्शन
आइसलैंड का अनुभव कहता है कि कर्मचारियों का प्रदर्शन किसी सूरत पहले से घटा नहीं. राजधानी रेक्याविक की काउंसिल ने यह प्रयोग शुरू किया जिसमें बाद में देश के 86 प्रतिशत कर्मचारियों को शामिल कर लिया गया. 5 दिन में 40 घंटे के बजाय कर्मचारियो को 4 दिन में 35 से 36 घंटे काम करने का विकल्प दिया गया.
तस्वीर: Hans Lucas/picture alliance
स्पेन
मार्च में स्पेन की सरकार ने काम के दिन हफ्ते में चार करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था. सत्ताधारी गठबंधन की वामपंथी पार्टी मास पाइस ने कहा कि सरकार ने उनका काम के दिन को चार करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. पार्टी ने कहा कि इस विचार का वक्त अब आ चुका है.
तस्वीर: Corte Ingles Madrid-Callao
जापान
इसी साल जून में जापान की सरकार ने अपने सालाना आर्थिक दिशा निर्देश जारी करते हुए हफ्ते मे चार दिन काम करने की जरूरत पर जोर दिया था. सरकार की कोशिश है कि लोग काम और जिंदगी के बीच संतुलन को बेहतर बनाएं. इसी सिलसिले में सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को हफ्ते में पांच दिन के बजाय चार ही दिन काम करने का विकल्प दें.
तस्वीर: picture alliance/Imaginechina/dpa/S. He
फिनलैंड
पिछले साल फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मैरिन ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था. मौजूदा दौर में दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री मैरिन ने कहा था कि देश में काम के घंटे कम किए जाने की जरूरत है, तो या हफ्ते में चार दिन कर दिए जाएं या फिर दिन में छह घंटे ही काम हो.
तस्वीर: Olivier Matthys/AP Photo/picture alliance
न्यूजीलैंड
बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनिलीवर की न्यूजीलैंड शाखा भी हफ्ते में चार दिन काम के विकल्प का प्रयोग कर रही है. पिछले साल दिसंबर से कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अपने काम के घंटों में 20 प्रतिशत की कमी का विकल्प दिया, जिसकी एवज में सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी. यह ट्रायल इस साल दिसंबर तक चलेगा.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
गांबिया
गांबिया ने 2012 में ही यह क्रांतिकारी फैसला ले लिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति याहया जामेह ने देश में चार दिन का हफ्ता लागू कर दिया था. शुक्रवार का दिन पूजा-पाठ और खेती करने के लिए दे दिया गया था. लेकिन उनके बाद राष्ट्रपति बने अदामा बैरो ने 2017 में यह योजना बंद कर दी और शुक्रवार को भी आधे दिन काम को जरूरी बना दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Taiwan Press Office
7 तस्वीरें1 | 7
इससे पहले आइसलैंड और स्कॉटलैंड में भी ऐसे ही परीक्षण हो चुके हैं और वे काफी सफल रहे थे. इस बारे में सबसे बड़ा ट्रायल 2015 से 2019 के बीच हुआ था जबकि आइसलैंड के सरकारी क्षेत्र के 2,500 कर्मचारियों ने हफ्ते में चार दिन काम किया और तब विशेषज्ञों ने कहा कि उत्पादकता में कोई कमी नहीं आई.
‘4 डे वीक ग्लोबल' के साथ इस परीक्षण का अध्ययन कई विशेषज्ञ कर रहे हैं जिनमें न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और सिडनी यूनिवर्सिटी व अमेरिका का बॉस्टन कॉलेज शामिल हुआ है.
हफ्ते में चार दिन की इस अवधारणा को लेकर अभियान छेड़ने वाले ‘4 डे वीक ग्लोबल' के संस्थापक ऐंड्र्यूज बार्न्स कहते हैं कि इस परियोजना का मकसद सिर्फ काम और आराम के बीच संतुलन व उत्पादकता नहीं है. एक बयान में उन्होंने कहा, "महामारी शुरू होने से बहुत पहले हमने इस बात को पहचान लिया था कि पांच दिन का हफ्ता अपना मकसद पूरा नहीं कर पा रहा है. इसी आधार पर हमने कई परीक्षण किए और स्थापित किया कि बहुत सारे अन्य फायदों के अलावा जलवायु संतुलन स्थापित करने के लिए भी यह एक आवश्यक कदम है.” स्पेन और स्कॉटलैंड में भी इस साल सरकार समर्थित परीक्षण शुरू होने हैं.