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2018 में पत्रकारों का खूब खून बहा

१८ दिसम्बर २०१८

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में पत्रकारों की मौत के मामले आठ फीसदी बढ़े हैं. पत्रकार राजनीतिक और धार्मिक घृणा का शिकार बन रहे हैं.

Symbolbild Journalisten in Krisengebiet
तस्वीर: gemeinfrei

2018 के 11 महीनों में दुनिया भर में 80 पत्रकार मारे गए. गैर सरकारी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के मुताबिक इस दौरान 348 पत्रकारों को जेल में बंद किया गया और 60 से ज्यादा को बंधक बनाया गया.

18 दिसंबर को जारी हुई आरएसएफ की रिपोर्ट में विस्तार से पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र है. रिपोर्ट कहती है कि 49 पत्रकारों की हत्या की गई. संस्था के मुताबिक सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी और स्लोवाकिया के डाटा जर्नलिस्ट यान कुसिएक की हत्या "दर्शाती है कि प्रेस की आजादी के दुश्मन किस हद तक जा सकते हैं."

संस्था ने रिपोर्ट के साथ एक बयान जारी करते हुए कहा, "पत्रकारों के खिलाफ हिंसा इस साल अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुकी है और अब स्थिति गंभीर है." इसके लिए राजनेताओं, धार्मिक नेताओं और कारोबारियों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है, "कभी कभार तो पत्रकारों के खिलाफ खुलकर घृणा व्यक्त की जा रही है, ऐसा करने वालों में बेशर्म राजनेता, धार्मिक नेता और कारोबारी भी हैं. इसका बुरा नतीजा, पत्रकारों के खिलाफ विचलित करने वाली हिंसा में दिखाई पड़ रहा है."

ये बने 2018 में पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश

अफगानिस्तान अब भी पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश बना हुआ है. 2018 में वहां 15 मीडियाकर्मियों की मौत हुई. नौ पत्रकार तो सिर्फ 30 अप्रैल के दोहरे धमाके में मारे गए. भारत, अमेरिका और मेक्सिको जैसे युद्ध न झेलने वाले देश भी पत्रकारों के लिए जोखिम भरे बने हुए हैं. मेक्सिको में इस साल नौ पत्रकारों की हत्या हुई. भारत में छह पत्रकार मारे गए. दोनों ही देशों में कई पत्रकारों ने जानलेवा हमले झेले और धमकियों का सामना भी किया. अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में एक शूटिंग के दौरान एक अखबार के पांच कर्मचारी मारे गए.

चीन और तुर्की का बुरा हाल

सरकार या प्रशासन के खिलाफ अपनी राय जाहिर करने वालों के लिए चीन सबसे बड़ी जेल बना हुआ है. आरएएसफ के मुताबिक चीन में गैर पेशेवर पत्रकारों को बड़ी संख्या में कैद किया गया. रिपोर्ट कहती है, "सोशल नेटवर्कों या मैसेजिंग सर्विस में सिर्फ एक पोस्ट लिखने के कारण उन्हें अकसर अमानवीय परिस्थितियों में कैद किया गया."

इन देशों में कैद हुए सबसे ज्यादा पत्रकार

पेशेवर पत्रकारों के लिए तुर्की सबसे बड़ा कैदखाना बना. उसके बाद मिस्र, ईरान और सऊदी अरब का जिक्र है. मध्य पूर्व के देशों में 2018 में 60 पत्रकारों को कैद किया गया. इन देशों के अलावा आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अब तक 24 पत्रकारों को बंधक बनाया हुआ है. यमन के हूथी विद्रोहियों के कब्जे में 16 जर्नलिस्ट हैं.

रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक 21 जनवरी को मेक्सिको से, 14 मार्च को हैती से और सात जून को रूस से गायब हुए तीन पत्रकारों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)

 

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