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2023 में बैंकिंग का बादशाह बन जाएगा चीन

३ जून २०११

उभरते बाजारों में अगले 20 सालों में चीन और भारत पश्चिमी देशों के बैंकों को कड़ी टक्कर देंगे. 2023 में चीन अमेरिका के बैंकों को पछाड़ देगा. तो वहीं भारतीय बैंक भी पश्चिमी देशों के बैंकों को चुनौती देते नजर आएंगे.

तस्वीर: AP

चीन अमेरिका को बैंकिंग के क्षेत्र में पछाड़ते हुए 2023 में दुनिया की सबसे बड़ी बैंकिंग अर्थव्यवस्था बन जाएगा. पूर्वानुमानों से 20 साल पहले ऐसा होगा. पश्चिमी देशों के बैंकों पर इससे दबाव बढ़ गया है कि वे उधार संकट से उबरें और पूर्व की तरफ बढ़ने की कोशिश करें. प्राइस वॉटर हाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2035 में जापान को घरेलू बैंकिंग के क्षेत्र में पछाड़ देगा.

पीडब्ल्यूसी के मुख्य अर्थशास्त्री जॉन हॉक्सवर्थ दुनिया के दिग्गज बैंकों से आग्रह कर रहे हैं कि वह उधार संकट से निपटते हुए उभरते हुए बाजारों की तरफ रुख करें. बैंकिंग क्षेत्र का विस्तार वहां तक करें जहां कि आबादी इससे दूर है. हॉक्सवर्थ के मुताबिक, "चीन और भारत दोनों की ही आबादी एक अरब के पार है. विकास के लिए ये दोनों देश अहम हैं."

चीन के बैंक पहले ही दुनिया भर के बाजार में छाए हुए हैं. वैश्विक बाजार में उनकी रैंकिंग अच्छी है. कुछ दिग्गज बैंकों ने तो उभरते हुए बाजारों पर अच्छी पकड़ भी बना ली है, जिससे आने वाले समय में वित्तीय उत्पादों की मांग को भुनाने में वह कामयाब हो सकते हैं.

तेजी से बढ़ते बाजारों में जैसे चीन, भारत, ब्राजील, मेक्सिको, इंडोनेशिया और तुर्की के बैंक उधार संकट से अपेक्षाकृत बचे रहे. संकट ने पश्चिमी देशों के बैंकों को घुटनों पर ला दिया और संपत्ति मूल्यों में भारी गिरावट भी दर्ज की गई. ब्रिटेन जो कि घरेलू बैंकिंग संपत्ति के क्षेत्र पर चौथे पायदान पर आता है उसे भारत अगले 20 सालों में पांचवें पायदान पर धकेल देगा, ऐसा अनुमान पीडब्ल्यूसी का है.

रिपोर्टः राइटर्स/ आमिर अंसारी

संपादनः ओ सिंह

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