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2028 में भारत तीसरी इकोनॉमी

२८ दिसम्बर २०१३

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपना नंबर बदलने वाली हैं. अमेरिका को पछाड़ कर अगर चीन बादशाह की कुर्सी पर बैठने वाला है, तो भारत उससे सिर्फ दो पायदान नीचे रहेगा.

तस्वीर: BEHRAM BALOCH/AFP/Getty Images

ब्रिटेन के थिंक टैंक ने जो विश्लेषण किया है, उसके मुताबिक अर्थव्यवस्था में अगला 15 साल एशियाई देशों का होने वाला है. 2028 में भारत तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा. हालांकि जापान और चीन मिल कर एशिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे. लंदन की अर्थव्यवस्था और बिजनेस रिसर्च की संस्था सीईबीआर ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि तालिका ऊपर नीचे होने वाली है, "जापान को पीछे धकेलते हुए 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. जापान को अपनी कमजोर मुद्रा की कीमत चुकानी पड़ेगी और डॉलर के मुकाबले प्रति व्यक्ति आय में भारत उसे पीछे छोड़ देगा. हम जैसा सोच रहे थे, उससे कम समय में ही ऐसा हो जाएगा."

आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्थातस्वीर: Reuters

कनाडा ने पर कतरे

2013 में इसी कमजोर मुद्रा की वजह से कनाडा ने भारत को पीछे छोड़ दिया है. अब वह कॉमनवेल्थ देशों की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और विश्व स्तर पर 10वें नंबर पर पहुंच गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 15 साल में अर्थव्यवस्थाओं का क्रम बदलने वाला है, "चीन पहले नंबर पर पहुंच जाएगा, भारत तीसरे नंबर पर, मेक्सिको शीर्ष 10 में पहुंच जाएगा. उसे नौवां नंबर मिलेगा, जबकि कोरिया और तुर्की 11वें और 12वें नंबर पर होंगे. वे सब फ्रांस से आगे निकल चुके होंगे. इतना ही नहीं, नाइजीरिया, मिस्र, इराक और फिलीपींस जैसे देश शुरुआती 30 में पहुंच जाएंगे."

इस साल के रिसर्च में कहा गया, "हमारा अनुमान है कि चीन 2028 में अमेरिका से आगे निकल जाएगा. वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. कुछ विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि यह बहुत जल्दी हो जाएगा. पर ऐसा नहीं है." रिपोर्ट में ग्रेट ब्रिटेन के लिए भी अच्छी खबर है. वह पश्चिम की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि तब तक वह जर्मनी को पीछे छोड़ सकता है.

ब्रिटेन भी आगे रहेगातस्वीर: Reuters

ब्रिटेन भी आगे

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रेट ब्रिटेन सिर्फ पांच साल में फ्रांस से आगे निकल जाएगा. लेकिन 15 सालों में भारत और ब्राजील उसे पीछे छोड़ देंगे, "अनुमान है कि जर्मनी पश्चिम की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रह जाएगी. यह जगह ब्रिटेन को मिलेगी, क्योंकि वहां तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है और वह दूसरे यूरोपीय देशों पर ज्यादा निर्भर नहीं है." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जर्मनी के नीचे जाने का कारण यूरो भी है, "अगर जर्मन मार्क पर आधारित जर्मन अर्थव्यवस्था चले, तो यह ब्रिटेन से नीचे नहीं जाएगा."

थिंक टैंक के सीईओ डगलस मैकविलियम्स का कहना है, "मेरे विचार से अगर ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ता है, तो शुरू में उसे नुकसान हो सकता है, लेकिन लंबे वक्त में उसे इसका फायदा होगा."

एजेए/एमजे (पीटीआई, एएफपी)

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