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2100 तक डूब जाएगी डेढ़ मीटर धरती

१ दिसम्बर २००९

इस सदी के अंत तक सभी महासागरों का जलस्तर साढ़े चार फुट तक बढ़ सकता है. साइंनटिफिक कमेटी ऑन अंटार्कटिक रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से अंटार्किटिका की बर्फ तेज़ी से गल रही है और धरती डूब रही है.

पिघल रही बर्फतस्वीर: AP

जलवायु परिवर्तन को लेकर किए गए इस महत्वपूर्व शोध में पता चला है कि 2100 तक दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर डेढ़ मीटर तक बढ़ सकता है. अंटार्कटिका का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां सदियों से जमी बर्फ का बड़ा हिस्सा और तेज़ी से गल रहा है. इसके लिए ग्लोबल वॉर्मिंग को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.

साइंटिफिक कमेटी ऑन अंटार्कटिक रिसर्च के मुताबिक वायुमंडल को गर्म करने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गई हैं. इसकी वजह से दुनिया और महासागर तेज़ी से गर्म हो रहे हैं. समुद्रों का जलस्तर बढ़ने की वजह से अनाज भी कम पड़ता जा रहा है.

अंटार्कटिका का हालतस्वीर: AP

ताज़ा रिपोर्ट का अनुमान जलवायु परिवर्तन के लिए बनी संयुक्त राष्ट्र की समिति के अध्ययन से कहीं ज़्यादा डराने वाला है. 2007 में आईपीसीसी ने कहा था कि इस सदी के अंत तक समुद्री जलस्तर ज़्यादा से ज़्यादा 16 इंच तक बढ़ेगा.

ब्रिटिश अंटार्कटिक रिसर्च सर्वे के प्रमुख जॉन टर्नर कहते है, ''सबसे ज़्यादा हैरान करने वाला सबूत यह है कि यह बदलाव इंसान की वजह से हो रहे हैं, ओज़ोन परत में छेद की वजह से.''

रिसर्च टीम का कहना है कि कि अगर कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन जैसी गैंसों के उत्सर्जन पर प्रभावशाली ढंग से काबू पाया गया तो 50 से 60 साल के भीतर ओज़ोन परत दुरुस्त हो जाएगी. लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस सदी के अंत तक धरती का तामपान 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा.

यह रिपोर्ट कोपेनहेगन में होने वाले जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से ठीक पहले आई है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट की गूंज कोपेनहेगन में भी सुनाई देगी.

रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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