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22 जुलाई को प्रक्षेपित होगा चंद्रयान-2

१८ जुलाई २०१९

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित करने के लिए एक नई तारीख का एलान कर दिया है. जानिए अब कब भेजा जाएगा भारत का चंद्रमा पर दूसरा मानवरहित अभियान.

Indien Mond Mission Landefähre Chandrayaan-2
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है कि चंद्रयान-2 को पूर्व निर्धारित समय के सात दिन बाद 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा. इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी पाए जाने पर नियत समय से एक घंटा पहले रोक दिया गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने ट्वीट किया, "तकनीकी गड़बड़ी के कारण 15 जुलाई, 2019 को रोका गया चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण अब भारतीय समय के अनुसार सोमवार, 22 जुलाई, 2019 को अपराह्न 2.43 बजे तय किया गया है."

इसरो ने अपने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) में आई तकनीकी खामी दूर करने के बाद प्रक्षेपण के लिए संशोधित समय तय किया है.  इससे पहले जब 15 जुलाई को जीएसएलवी-एमके तृतीय में तकनीकी खामी आने के कारण अधिकारियों ने निर्धारित समय से एक घंटा पहले प्रक्षेपण रोका था, तब इसरो की ओर से ट्वीट किया गया था, "प्रक्षेपण से एक घंटा पहले एक तकनीकी खराबी का पता चल गया. एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को आज रोक लिया गया है."

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

अनुमान है कि चंद्रयान को चंद्रमा तक की अपनी यात्रा में लगभग दो महीने का समय लगेगा. इस अंतरिक्षयान का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का मानचित्र बनाना, उसके खनिजों का विश्लेषण करना और पानी की खोज करना होगा. अंतरिक्षयान में एक लूनर ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर होगा. लैंडर में एक कैमरा, एक सीस्मोमीटर (भूकंप मापने का यंत्र), एक थर्मल उपकरण और एक नासा से मिला लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर लगा होगा जो कि धरती से चंद्रमा के बीच की दूरी नापने में मदद करेगा.

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी जुटाना बहुत दिलचस्प होगा क्योंकि उत्तरी ध्रुव के मुकाबले इसका एक बड़ा हिस्सा छाया में है. इसका मतलब है कि इस हिस्से में पानी के मिलने की संभावना ज्यादा है. कहीं भी जीवन को संभव बनाने के लिए पानी एक बुनियादी जरूरत है. यही कारण है कि सौर मंडल में धरती के अलावा कहीं भी जीवन की संभावना तलाशने के बड़े लक्ष्य के अंतर्गत पानी तलाशना सबसे अहम है. साउथ पोल में पानी की तलाश करने वाला यह दुनिया का पहला रोवर होगा.

आरपी/एए (आईएएनएस)

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