पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में बंद कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश कार्यालय में उनसे मुलाकात की.
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हालांकि, जाधव और उनकी मां-पत्नी के बीच ग्लास पैनल लगे हुए थे और उन्होंने इंटरकॉम के जरिए बातचीत की. पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने जाधव और उनके परिजनों के बीच 22 महीने बाद हुई इस मुलाकात की तस्वीर जारी की है.
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के मुताबिक मुलाकात स्थानीय समय के अनुसार 2 बजकर 18 मिनट पर शुरू हुई. जाधव के परिवार के साथ विदेश कार्यालय गए भारतीय उप उच्चायुक्त जेपी सिंह दूर से बातचीत के गवाह बने. मुलाकात लगभग आधे घंटे चली.
पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने वहां की एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें जाधव को ग्लास पैनल के आर-पार इंटरकॉम के जरिए अपनी मां अवंति और पत्नी से बात करते हुए दिखाया गया है.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि इस मुलाकात की इजाजत पूरी तरह से मानवीय आधार पर दी गई है, हालांकि जाधव और उनके परिवार को सीधे एक-दूसरे से (वन आन वन) मुलाकात की इजाजत नहीं दी गई.
पत्नी और मां से मिले कुलभूषण जाधव
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इससे पहले विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा, "हमने अपनी प्रतिबद्धता निभाई है." एक अन्य ट्वीट में फैसल ने कहा था कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की जयंती के अवसर पर मानवीय आधार पर यह इजाजत दी गई है. इस मुलाकात से पहले विदेश कार्यालय की इमारत की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया.
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था. उन पर जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. लेकिन भारत सरकार जाधव पर लगे जासूसी के आरोपों को खारिज करती है और उन्हें निर्दोष बताती रही है.
आईएएनएस
पाकिस्तान को ये जवाब दे सकता है भारत
पाकिस्तान से होने वाले आतंकी हमलों के बाद हर बार भारत के सामने एक ही सवाल होता है कि क्या जवाब दें. एक नजर भारत सरकार के पांच संभावित कदमों पर:
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पहला कदम
भारत में कई राजनेता और पूर्व सैन्य अफसर सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो सीमा पार कर पाकिस्तान में आंतकवादी ट्रेनिंग कैंपों पर हवाई हमले करे. लेकिन जानकारों का कहना है कि भारत के पास इस तरह की क्षमता नहीं है. उसने कभी पहले ऐसा नहीं किया और इससे बड़ी जंग शुरू होने का खतरा है. वहीं कुछ लोगों की राय है कि भारत को गुपचुप तरीके से नियंत्रण रेखा के उस पार अभियान चलाना चाहिए.
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दूसरा कदम
भारत अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों को दशकों से इस बात के लिए राजी करने में जुटा है कि पाकिस्तान को ‘एक आतंकवादी राष्ट्र’ मानते हुए अलग थलग किया जाए ताकि उस पर अपने यहां से सक्रिय चरमपंथियों पर कार्रवाई करने का दबाव पड़े. लेकिन भारत की ये कोशिशें अब तक कोई खास रंग नहीं ला पाई हैं.
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तीसरा कदम
भारतीय मीडिया ये भी कह रहा है कि भारत को पाकिस्तान से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लेना चाहिए. पाकिस्तान उच्यायुक्त को दिल्ली से निकालने की मांगें भी उठ रही हैं.
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चौथा कदम
भारत पर अकसर आरोप लगते रहे हैं कि वो पाकिस्तान के संसाधनों से मालामाल बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी गुटों को मदद दे रहा है. 2016 में लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने बलूचिस्तान के संघर्ष का जिक्र किया और वहां के लोगों को खुले तौर पर समर्थन जताया. विशेषज्ञ कहते हैं कि बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष को जोर शोर से उठा कर मोदी पाकिस्तान पर दबाव बना सकते हैं.
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पांचवां कदम
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए अभियान शुरू कर सकता है. ठीक वैसे ही प्रतिबंध जैसे अमेरिका ने ईरान पर लगाए थे. लेकिन इनका असर ज्यादा हो पाएगा, ये कहना मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान के साथ भारत का अपना व्यापार बहुत ही कम है. अगर बहुत सारे देशों को भारत ऐसे प्रतिबंधों लगाने के लिए राजी कर ले तो दूसरी बात है.