असम तीसरी बार बाढ़ की चपेट में आ गया है. राज्य के नौ जिलों के 2.25 लाख लोग बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं. भारी बारिश के बाद पिछले कुछ दिनों से ब्रह्मपुत्र नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा था.
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भारी बारिश के कारण पूर्वोत्तर राज्य असम तीसरी बार बाढ़ की चपेट में आ गया है. पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के मुताबिक इस साल तीसरी बार बाढ़ के कारण नौ जिलों के 2.25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. एएसडीएमए की रिपोर्ट के मुताबिक, "नौगांव जिले में ही केवल 1.51 लाख लोग प्रभावित हुए हैं जबकि मोरीगांव में 32,700, धेमाजी में 17,000, डिब्रूगढ़ में 11,000 और तिनसुकिया जिले में 9,300 लोग प्रभावित हुए हैं."
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नौगांव, मोरीगांव, पश्चिम कार्बी आंगलांग, धेमाजी, माजुली, शिवसागर, तिनसुकिया और लखिमपुर जिले के 219 गांवों में बाढ़ का पानी 9,948 हेक्टेयर कृषि भूमि को बर्बाद कर चुका है.
ताजा बाढ़ का सबसे ज्यादा असर नौगांव जिले पर पड़ा है. बाढ़ के पानी ने तटबंधो को तोड़ दिया और घरों में जा घुसा. कई गांवों के लोगों को मजबूरी में अपने घरों को छोड़कर ऊंचाई वाले इलाके में जाना पड़ा है. कुछ लोगों ने पानी से बचने के लिए सड़क पर भी पनाह ली है. बताया जा रहा है कि 38 हजार से अधिक पालतू जानवर भी बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं.
राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित जिलों में 43 राहत शिविर भी बनाए हैं. असम सिर्फ बाढ़ ही नहीं बल्कि कोरोना वायरस से भी जूझ रहा है. सितंबर और अक्टूबर का महीना भारत में इसलिए भी अहम माना जाता है क्योंकि मलेरिया और डेंगू के मामले भी इसी दौरान तेजी से सामने आते हैं. राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण बोझ और बढ़ने की आशंका है.
इस साल बाढ़ ना केवल भारतीय राज्यों पर कहर बनकर टूटी बल्कि पड़ोसी मुल्क नेपाल और बांग्लादेश में भी इसका कहर दिखा. बाढ़ के कारण तीनों देशों में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा है.
भारत, बांग्लादेश और नेपाल में कोरोना संकट के बीच बाढ़ से भारी तबाही मची हुई है. असम, बिहार में तो हालात बेहद खराब हैं. वहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी बाढ़ का पानी मुसीबत बना हुआ है. बाढ़ के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए.
तस्वीर: DW/M. Kumar
बाढ़ और बर्बादी
बिहार में बाढ़ के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए. कोसी, गंडक और बागमती नदियों का पानी घरों और फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. बिहार सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में इससे निपटने के लिए प्रबंधन का दावा किया है. बाढ़ के हालात से निपटने के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ) की 19 टीमें बिहार में तैनात की गईं हैं.
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पानी का कहर
उत्तर और पूर्वी बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्तर ने लोगों को खौफ में डाल दिया है. पहले तो कोरोना वायरस का खौफ और अब बाढ़ और उससे जुड़ी बीमारी होने का भय. लोग किसी तरह से पानी के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. कोसी नदी में आई बाढ़ ने कई गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है.
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असम में आफत
ऐसा लगता है कि हर साल मॉनसून में असम की किस्मत में भयावह बाढ़ लिखी हुई है. साल दर साल आने वाली बाढ़ लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है. इस बार बाढ़ से 70 लाख लोग प्रभावित बताए जा रहे हैं. यहां राज्य की आपदा टीम के अलावा एनडीआरएफ की कई टीमें लगातार काम कर लोगों तक राहत पहुंचा रही है.
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ब्रह्मपुत्र का कहर
पूर्वोत्तर राज्य असम में बाढ़ ने सरकार और आम जनता के लिए मुसीबतों का पिटारा खोल दिया है. राज्य के 33 में से 30 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. हजारों एकड़ की फसल बाढ़ के पानी के कारण बर्बाद हो गई है. ब्रह्मपुत्र नदी कई जिलों में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है.
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कम नहीं हुई मुसीबत
आने वाले दिनों में असम को बाढ़ से राहत की कम उम्मीद है क्योंकि नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है और भूस्खलन की वजह से रास्ते बंद हो गए हैं. आम जनता को एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.
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जोखिम के साथ
असम के कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां पानी का स्तर कम है और वहां लोग जोखिम के साथ मोटरसाइकिल चला रहे हैं. हालांकि यह खतरों से भरा है क्योंकि पता नहीं आगे सड़क का क्या हाल हो.
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बांग्लादेश में बाढ़
भारत ही नहीं पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी बाढ़ से भारी तबाही मची है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 1988 के बाद बांग्लादेश में ऐसी बाढ़ आई है. यूएन के मुताबिक देश में 24 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं.
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खतरा अभी टला नहीं
बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि अगले 10 दिनों तक जानलेवा बाढ़ के हालात बने रहेंगे. बांग्लादेश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है. यूएन के रिकॉर्ड के मुताबिक बांग्लादेश में 1988 में आई बाढ़ में 500 लोगों की मौत हो गई थी और 25 लाख लोग बेघर हो गए थे.
तस्वीर: Reuters/M. P. Hossain
डूबने से मौत
बांग्लादेश में बाढ़ के कारण अब तक 81 लोगों की मौत हो चुकी है और कुछ लोग लापता हैं. अधिकतर लोगों की मौत डूबने के कारण हुई है. बाढ़ का पानी घरों में घुस आया है और लोगों को शिविरों में रहना पड़ा रहा है.
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जान की चिंता
बाढ़ की वजह से ना केवल आम लोग प्रभावित हुए हैं बल्कि जानवरों की जान भी जोखिम में पड़ गई है. लोग तो शिविरों में पनाह ले रहे हैं लेकिन पालतू जानवरों को देखने वाला कोई नहीं है.
तस्वीर: Mortuza Rashed
नेपाल में भी आफत
पड़ोसी मुल्क नेपाल में भारी बारिश के बाद नदियां उफान पर हैं और बाढ़ के कारण कई गांव डूब चुके हैं और अब तक 51 लोग लापता बताए जा रहे हैं.
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नेपाल में भी कई जानें गईं
नेपाल में भारी बारिश और फिर बाढ़ के कारण अब तक 84 लोगों की मौत हो चुकी है. बचाव और राहत दल लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं.