सिक्किम में बादल फटने के बाद अचानक आई बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है. बाढ़ के बाद भारतीय सेना के कम से कम 23 कर्मी लापता बताए जा रहे हैं.
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बुधवार रात 1.30 के करीब उत्तरी सिक्किम की लोनाक झील के ऊपर अचानक बादल फट गया. इससे तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई. नदी में काफी पानी भर जाने की वजह से चुंगथांग बांध से पानी छोड़ा गया, लेकिन उससे नदी में नीचे की तरफ का जलस्तर 15 से 20 फुट बढ़ गया.
सेना को नुकसान
गुवाहाटी स्थित सेना के प्रवक्ता के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि इसके बाद जो फ्लैश बाढ़ आई उससे सेना के कुछ ठिकाने प्रभावित हुए. विस्तृत जानकारी अभी तक जारी नहीं की गई लेकिन प्रवक्ता के मुताबिक अभी तक सेना के 23 कर्मी लापता बताए जा रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश को हो रहा अंधाधुंध विकास का नुकसान
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कई वाहन भी डूब गए हैं और तलाशी व बचाव अभियान चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर मौजूद कई वीडियो में राज्य में हुआ भारी नुकसान देखा जा सकता है. एक वीडियो में राष्ट्रीय राजमार्ग 10 बुरी तरह से टूटा हुआ नजर आ रहा है.
पत्रकार और पर्यावरण से जुड़े मामलों के जानकार हृदयेश जोशी ने यह वीडियो साझा करते हुए 'एक्स' पर लिखा कि जुलाई में जो हिमाचल में देखा गया था, सिक्किम में वही दोहराया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्टों में यह भी बताया जा रहा है कि राज्य में कम से कम दो पुल भी टूट गए हैं, जिसकी वजह से कुछ इलाकों से संपर्क टूट गया है. राज्य सरकार ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी चेतावनी जारी कर दी है और उन्हें सतर्क रहने को कहा है. लोगों को नदियों, झीलों आदि से दूर रहने के लिए कहा गया है.
सिक्किम से सटे उत्तरी बंगाल के इलाकों के भी फ्लैश बाढ़ से प्रभावित होने का अंदेशा है, जिसे देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कलिम्पोंग, दार्जीलिंग और जलपाईगुड़ी इलाकों को खाली कराने के आदेश दे दिए हैं.
2022 में भारत में रोज आई एक आपदा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में अभी तक भारत में लगभग रोज किसी न किसी तरह की एक प्राकृतिक आपदा देखने को मिली. इनमें कम से कम 2,755 लोग मारे गए.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
रोज एक आपदा
गैर लाभकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और डाउन टू अर्थ पत्रिका की यह रिपोर्ट कहती है कि सितंबर, 2022 तक भारत में रोज एक प्राकृतिक आपदा देखने को मिली. इसमें गर्मी की लहर, शीत लहर, चक्रवात, बिजली, भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं शामिल हैं.
चरम मौसम की इन घटनाओं में जानमाल का भारी नुकसान हुआ. कम से कम 2,755 लोग और करीब 70,000 मवेशी मारे गए, 18 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गईं और 4,16,667 मकान टूट गए. संस्था का कहना है कि इस अनुमान के वास्तविक आंकड़ों से कम ही होने का अंदेशा है.
तस्वीर: National Disaster Response Force/AFP
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा
मध्य प्रदेश को सबसे ज्यादा चरम मौसम की घटनाओं का सामना करना पड़ा. राज्य में औसत हर दूसरे दिन कोई न कोई आपदा आई और इन आपदाओं में 301 लोगों की मौत हो गई. असम में भी 301 लोग मारे गए, लेकिन वहां इतनी आपदाएं नहीं आईं.
तस्वीर: Sanjev Gupta/dpa/picture alliance
हिमाचल प्रदेश का खूनी रिकॉर्ड
हिमाचल प्रदेश में भी मध्य प्रदेश जितनी आपदाएं नहीं आईं लेकिन वहां आपदाओं से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा रही. प्रदेश में कुल 359 लोग मारे गए.
तस्वीर: Reuters
कर्नाटक में फसलें बर्बाद
पूरे देश में फसलों की जितनी बर्बादी हुई, उसमें से 50 प्रतिशत हिस्सा अकेले कर्नाटक का रहा. प्रदेश में चरम मौसम के कुल 82 दिन देखे गए.
तस्वीर: Kashif Masood/AP/picture alliance
केंद्रीय भारत में सबसे ज्यादा असर
केंद्रीय और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में चरम मौसम की घटनाओं के दिन सबसे ज्यादा रहे (198 और 195). केंद्रीय भारत में सबसे ज्यादा (887) लोग मारे गए. उसके बाद स्थान रहा पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत का, जहां 783 लोग मारे गए.
तस्वीर: Ashim Paul/AP Photo/picture alliance
सबसे गर्म, सबसे गीला और सबसे सूखा
जनवरी 2022, 1901 के बाद सबसे ज्यादा बारिश वाला जनवरी का महीना रहा. मार्च 2022 इतिहास में सबसे ज्यादा गर्म और 121 सालों में सबसे सूखा मार्च रहा. यही नहीं 1901 के बाद इस साल तीसरा सबसे गर्म अप्रैल, 11वां सबसे गर्म अगस्त और आठवां सबसे गर्म सितंबर दर्ज किया गया. पूर्वी और पूर्वोत्तरी भारत में 121 सालों में सबसे गर्म और सबसे सूखा जुलाई दर्ज किया गया.
तस्वीर: Syamantak Ghosh/DW
एक अच्छी खबर
इन आंकड़ों में एक ऐसी खबर भी है जो तुलनात्मक रूप से अच्छी है. 2022 में भी तूफानों ने लोगों की जान ली लेकिन इस बार सिर्फ दो लोग मारे गए. रिपोर्ट के मुताबिक यह तूफानों के पूर्वानुमान को लेकर मौसम विभाग के अच्छे काम और ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसी राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन की वजह से हो पाया.