दक्षिण कैरोलाइना के एक रिसर्च सेंटर से पिछले हफ्ते भागे 43 बंदरों में से आधे से अधिक को सुरक्षित पकड़ लिया गया है लेकिन अभी भी 18 बंदर फरार हैं, जिन्हें पकड़ना एक बड़ी चुनौती है.
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अमेरिका के दक्षिणी कैरोलाइना में अधिकारियों ने बताया कि रविवार को 24 बंदरों को पकड़ा गया. एक दिन पहले भी एक बंदर को पकड़ लिया गया था. हालांकि कई बंदर अभी भी यमासी इलाके में सेंटर के पास की बाड़ के बाहर घूम रहे हैं और पेड़ों पर रात बिताते देखे गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि पकड़े गए बंदरों कों स्वास्थ्य जांच के बाद ठीक पाया गया है.
बंदरों के भागने की यह घटना बीते बुधवार को हुई जब अल्फा जेनेसिस सेंटर की एक कर्मचारी ने खाना खिलाने के दौरान एक नया दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया. तब से, बंदरों को सेंटर की बाड़ के पास घूमते और अंदर के अपने साथी बंदरों के साथ "कू-कू” की आवाजें निकालते देखा गया है. पुलिस के मुताबिक यह एक सकारात्मक संकेत है.
बाकी बंदरों को पकड़ने के लिए प्रयास
अल्फा जेनेसिस के सीईओ ग्रेग वेस्टर्गार्ड ने कहा कि सभी बंदरों को वापस लाने के लिए प्रयास लगातार जारी रहेंगे. कंपनी ने इन बंदरों को वापस लाने के लिए एक-तरफा जाल लगाए हैं, जिनमें सेब रखकर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है.
सभी बंदर युवा मादा हैं और लगभग 3 किलो वजन के हैं. अधिकारियों ने बताया कि ये बंदर किसी भी बीमारी से मुक्त हैं और लोगों के लिए खतरा नहीं हैं. अल्फा जेनेसिस और स्थानीय प्रशासन ने आसपास के लोगों को सावधान रहने और बंदरों को देखने पर तुरंत अधिकारियों को सूचित करने की सलाह दी है.
कुत्ते की पूंछ इतना डांस क्यों करती है
हम सोचते हैं, कुत्ता पूंछ हिलाकर खुशी जाहिर करता है. लेकिन कुत्ता तो अक्सर बहुत तेज-तेज पूंछ हिलाता है, तो क्या इसका मतलब हुआ कि उसकी खुशी भी इसी अनुपात में होती है? कुत्तों के इस "पूंछ डांस" की पहेली आखिर है क्या?
तस्वीर: Nataliya Nazarova/Zoonar via picture alliance
खुश कुत्ते की तस्वीर
मान लीजिए, आपके साथ एक कुत्ता रहता है. उसके साथ आपका राब्ता यूं है कि आप उसके इंसान, वो आपका कुत्ता. आप बड़ी देर बाद घर लौटते हैं, आहट पहचानकर कुत्ता पहले ही दरवाजे पर खड़ा है और कूदकर आपसे लिपट गया है. वो आपको देखकर बहुत खुश हुआ, इसका सबसे मजबूत संकेत देती है एक लय में डोलती उसकी पूंछ.
तस्वीर: David Becker/Zumapress/picture alliance
पूंछ की लय
पूंछ के हिलने की अपनी एक लय होती है. कभी कुत्ता सिर को एक तरफ झुकाकर पूंछ हिलाता है, तो कभी पीछे के हिस्से को थोड़ा सा टेढ़ा कर लेता है. पूंछ के हिलने की दिशा के आधार पर भी कुत्ते की भावना मापी जाती है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कुत्ता दाहिनी ओर पूंछ हिला रहा है, मतलब अच्छा महसूस कर रहा है. वहीं बाईं ओर पूंछ हिलाने का मतलब यह समझा जाता है कि वो डर या तनाव में है, पीछे हटना चाहता है.
तस्वीर: BEN STANSALL/AFP
कुत्ते पूंछ हिलाते क्यों हैं?
एक हाइड्रोजन एटम, एक ऑक्सीजन एटम, मिलकर बना हाइड्रॉक्सिल आयॉन. कुत्ते का पूंछ हिलाना कैमेस्ट्री इक्वेशन की तरह स्पष्ट नहीं है. वैज्ञानिक अब भी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन एक हालिया स्टडी में शोधकर्ताओं ने इसके कुछ अनुमान बताए हैं. इसके मुताबिक, बात इतनी नपी-तुली नहीं कि हिलती पूंछ माने कुत्ता खुश. बायोलॉजी लेटर्स में छपे इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पहले हुए शोधों को भी खंगाला है.
तस्वीर: Amit Machamasi/ZUMA/picture alliance
पालतू बनाए जाने का विकासक्रम
माना जाता है कि कुत्तों को पालतू बनाने की शुरुआत 15,000 से 50,000 साल पहले हुई. दुनिया में जहां कहीं भी इंसान रहते हैं, वहां कुत्ते भी पाए जाते हैं. यानी इंसानों का हजारों साल से कुत्तों के साथ सीधा रिश्ता है. ऐसे में मुमकिन है कि पूंछ हिलाना, कुत्ते के लिए संवाद का एक तरीका है. पूंछ सीधी है कि मुड़ी हुई, वो हिल रही है कि नहीं, ये इंसान को समझ आने वाले सबसे जाहिर संकेत हैं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
इंसानों के साथ जुड़ाव का नतीजा
पूंछ हिलाने का संबंध डोमेस्टिकेशन प्रोसेस से हो सकता है. कुछ पुराने शोध भी बताते हैं कि कुत्तों को पालतू बनाने के क्रम में इंसानों ने उनसे खास बर्ताव की उम्मीद की होगी. जैसे कि उन्हें वश में करना, आज्ञाकारी बनाना. मुमकिन है इसी वजह से कुत्तों में ये आदत बनी हो और आनुवांशिक याददाश्त के कारण उनके भीतर अब भी वही गुण मौजूद हो.
तस्वीर: Lars Zahner/Zoonar/picture alliance
लय के लिए हमारा खिंचाव
शोध के लेखकों का अनुमान है कि कुत्तों को पालतू बनाने के दौरान जाने-अनजाने इंसानों ने उनके पूंछ हिलाने को सराहा हो. क्योंकि हम इंसान ऐसी लयबद्ध हरकतों से आकर्षित होते हैं, हमें ऐसी अभिव्यक्तियां भाती हैं.
तस्वीर: Przemyslaw Iciak/Zoonar/picture alliance
भौंकना बनाम पूंछ हिलाना
कुत्ते का बड़ी देर तक भौंकते रहना या उसकी लगातार नाचती दुम, आपको दोनों में से क्या ज्यादा पसंद है? कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि शायद पालतू कुत्तों ने भी इंसानी वरीयताओं के मुताबिक खुद को ढालते हुए ये आदत विकसित हो. भौंकने की आवाज से इंसान नाराज होता हो, कुत्ते को चुप कराता हो और मुमकिन है कि कुत्तों ने ये भांपकर इंसानी पसंद के हिसाब से संवाद-संकेत का अलग तरीका विकसित किया हो.
तस्वीर: EDUARDO MUNOZ/REUTERS
हम सिर्फ बोलकर तो नहीं बात करते
इंसान के पास अभिव्यक्ति के लिए भाषा की गुंजाइश है. हम लिख सकते हैं, बोल सकते हैं, हमारे पास सैकड़ों भाषाओं के विकल्प हैं. तकरीबन हर दुनियावी चीज और भाव को समझने-समझाने के लिए खास शब्द हैं. तब भी हम सिर्फ बोलकर नहीं बात करते. हाथ हिलाते हैं, पुतलियां नचाते हैं. ये भी अभिव्यक्ति के संकेत हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि कुत्ता भी पूंछ हिलाकर भाव जाहिर करता है, जिसे हम आसानी से समझ लेते हैं.
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जानवरों के खुश होने का तरीका
हमारी तरह जानवर भी कई भाव महसूस करते हैं. जैसे दर्द, डर, भूख, सेक्स की चाह. लेकिन जानवर के लिए खुशी का क्या मतलब है, इसे हम अक्सर अपने दायरे में बांध देते हैं. उनकी भावना का इंसानीकरण करने लगते हैं. मुमकिन है कि इससे जानवरों के प्रति करुणा पैदा होती हो, लेकिन वैज्ञानिक नजरिये से "एनिमल हैपीनेस" की कोई ठोस परिभाषा नहीं है.
तस्वीर: Bastien Chill/IMAGO
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यमासी में स्थित यह अल्फा जेनेसिस सेंटर मुख्य रूप से मेडिकल और अन्य रिसर्च के लिए बंदरों का पालन-पोषण करता है. उनकी वेबसाइट के अनुसार, यह सेंटर दुनियाभर के शोधकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता के प्राइमेट्स (बंदर) और बायो-रिसर्च सेवाएं उपलब्ध कराता है.
यह पहली बार नहीं है जब अल्फा जेनेसिस सेंटर से बंदर भागे हैं. 2018 में, कई बंदरों के भागने के बाद इस सेंटर पर 12,600 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. इससे पहले, 2014 में 26 और 2016 में 19 बंदर भाग चुके हैं.
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संरक्षण संगठनों की अपील
जानवरों के लिए काम करने वाली संस्थाएं रिसर्च में इन बंदरों के इस्तेमाल का विरोध करती रही हैं. जंगली जीवों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन, बॉर्न फ्री यूएसए ने इस घटना के बाद अल्फा जेनेसिस से बंदरों को एक सुरक्षित अभयारण्य में भेजने का अनुरोध किया है.
बॉर्न फ्री यूएसए की सीईओ एंजेला ग्राइम्स ने कहा कि इन बंदरों के पास प्राकृति वातावरण में रहने का अनुभव नहीं है, जिससे उन्हें खतरा हो सकता है.
उन्होंने कहा, "हम इन बंदरों को लेकर चिंतित हैं. हम अल्फा जेनेसिस से आग्रह करते हैं कि वे हमारे साथ मिलकर इन बंदरों को सुरक्षित अभयारण्य में भेजने में मदद करें." हालांकि, फिलहाल अल्फा जेनेसिस का ध्यान सभी बंदरों को पकड़ने पर है.
रिसर्च में क्यों इस्तेमाल होते हैं रीसस मकाक बंदर
रीसस मकाक बंदर शोध कार्यों में सबसे अधिक उपयोग होने वाले जानवरों में से हैं. मानव शरीर के समान अंग प्रणाली और जीन के कारण ये बंदर मेडिकल रिसर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन बंदरों पर एचआईवी, पोलियो और कोविड-19 जैसी बीमारियों पर शोध किया गया है, जिससे इलाज में काफी मदद मिली है.
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2003 में, अमेरिका में रीसस मकाक बंदरों की कमी के कारण शोध कार्य प्रभावित हुआ था, और वैज्ञानिकों को इन बंदरों की अधिक कीमत चुकानी पड़ी थी. शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डारियो मेस्ट्रिपीरी के अनुसार, ये बंदर बहुत ही सामाजिक और राजनीतिक व्यवहार दिखाते हैं. वे अक्सर परिवार के सदस्यों का साथ देते हैं और संघर्ष में सहयोगियों को शामिल करते हैं, जो मनुष्यों जैसे ही सामाजिक गुण हैं.