दिल्ली में किसान परेड के दौरान हुई अप्रिय घटनाओं ने किसानों को एक कदम पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. उन्होंने एक फरवरी को संसद तक पदयात्रा करने की योजना को स्थगित कर दिया है और 30 जनवरी को एक दिन के उपवास की घोषणा की है.
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संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए एक बार फिर किसान परेड के दौरान तय मार्ग से अलग चले जाने वालों से खुद को अलग किया है, उन्हें कुछ असामाजिक तत्त्व बताया और उन सभी अप्रिय घटनाओं को "सात महीनों से चल रहे एक शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश बताया". मोर्चा ने स्पष्ट रूप से कहा कि आंदोलन को हिंसक बनाने के लिए सरकार जिम्मेदार है.
बयान में पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह पन्नू जैसे लोगों और संगठनों को भी हिंसा का जिम्मेदार बताया गया और सरकार पर इनकी मदद से साजिश रचने का आरोप लगाया गया. हालांकि, इसके साथ ही मोर्चा ने लाल किले और आईटीओ पर हुई घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी भी ली और घोषणा की कि इसी वजह से एक फरवरी को संसद तक पदयात्रा निकालने की योजना को स्थगित किया जा रहा है.
मोर्चा ने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहेगा. दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने लाल किले और आईटीओ पर हुई हिंसा के संबंध में अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने 25 एफआईआर दर्ज की हैं और इनमें जिन लोगों के नाम दर्ज किए हैं उनमें पिछले कुछ महीनों से सरकार के साथ बातचीत करने वाले 40 किसान नेताओं में से 37 नेता भी शामिल हैं.
इनमें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत, पंजाब में बीकेयू के अलग अलग धड़ों के नेता, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल, स्वराज पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और जानी मानी एक्टिविस्ट मेधा पाटकर भी शामिल हैं. दीप सिद्धू और गैंगस्टर से नेता बने लखबीर सिंह सिधाना के खिलाफ भी एक एफआईआर दर्ज की गई है.
एफआईआर में दंगा करने, आपराधिक साजिश, हत्या की कोशिश और चोरी से संबंधित धाराएं लगाई गई हैं. कई किसान नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है और एफआईआर में उनका नाम दर्ज किए जाने का विरोध किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर चुकी है. अभी तक कम से कम 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और 50 और लोगों को हवालात में रखा गया है.
जानकारों का कहना है कि अगले कुछ दिन आंदोलन के भविष्य के लिए नाजुक होंगे. ग्रामीण विषयों की समाचार वेबसाइट रूरलवॉयस के संपादक हरवीर सिंह ने डॉयचे वेले से कहा कि 26 जनवरी की घटनाओं को किसान संगठनों की नाकामी के रूप में देखा जाएगा क्योंकि परेड का आयोजन उन्होंने ही किया था. हरवीर सिंह का यह भी मानना है कि इन घटनाओं से पिछले दो महीनों में बनी आंदोलन की साख पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और इसके लिए किसान संगठन अपनी जवाबदेही से हट नहीं सकते.
राज्य सभा में तीन घंटों में सात विधेयकों का पास हो जाना अपने आप में एक नई घटना है. यह तब संभव हुआ जब विपक्ष ने उसकी बात ना सुने जाने के विरोध में सदन का बहिष्कार कर दिया. जानिए क्या है इन विधेयकों में.
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बहिष्कार
मानसून सत्र 2020 के दौरान राज्य सभा से विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन के बाद, अधिकतर विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. लेकिन इसके बावजूद सदन की कार्रवाई चलती रही और साढ़े तीन घंटों में ही एक के बाद एक सात विधेयक पारित हो गए.
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आईआईटीयों पर विधेयक
इनमें सबसे पहले पास हुआ भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020. इसके तहत पांच नए आईआईटीयों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया जाना है. इसके अलावा बाकी छह विधेयक भी लोक सभा से पहले ही पारित हो चुके थे.
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आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक
यह उन कृषि संबंधी विधेयकों में से एक है जिनका किसान और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को निकालना और उन पर भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना है.
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बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक
इस बिल का उद्देश्य सहकारी बैंकों को आरबीआई की देखरेख में लाना है. 2019 में पीएमसी सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था, जिससे आम खाताधारकों की जमापूंजी के डूब जाने का खतरा पैदा हो गया था.
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कंपनी (संशोधन) विधेयक
कंपनी अधिनियम, 2013 का और संशोधन करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य है पुराने कानून के तहत कुछ नियमों के उल्लंघन के लिए सजा को कम करना. विपक्ष की आपत्ति थी कि सजा कम करने से कंपनी मालिकों को लगेगा की वे वित्तीय अनियमितताओं के दोषी पाए जाने पर भी बच जाएंगे.
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राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य गुजरात स्थित गुजरात न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय बनाना और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना है.
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राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य है गुजरात में ही स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय बनाना और उसे भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना.
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कराधान संबंधी विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य कराधान यानी टैक्सेशन संबंधी नियमों में कुछ संशोधन करना था, जिससे कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए नुक्सान को देखते हुए कर संबंधी नियमों के पालन और भुगतान आदि के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सके. यह एक धन विधेयक यानी 'मनी बिल' था, इसलिए इसे लोक सभा वापस लौटा दिया गया.
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पहले भी हुआ
शोरगुल के बीच बिलों को पास कराने का काम पहले भी हुआ है. 2008 में लोक सभा में शोरगुल के बीच 17 मिनटों में आठ विधेयक पास करा लिए गए थे.