2.7 करोड़ लोग गुलामी के चंगुल में
१९ मई २०११अमेरिका के राजदूत लुइस डेबाका ने दुनिया के देशों को गुलामों की संख्या का हवाला देते हुए चेतावनी दी है. अमेरिकी राजदूत के मुताबिक शरणार्थियों को तुरंत उनके देश वापस भेजने से उनके मानव तस्करों के हाथ में पड़ने की आशंका है. ऐसे में जरूरी है कि शरण देने वाले देश उनकी रक्षा करें.
सरकार विरोधी आंदोलनों और राजनीतिक संकट से जूझ रहे उत्तर अफ्रीकी देशों से हजारों शरणार्थी नावों के जरिए यूरोप के देशों में पहुंच रहे हैं. लोगों को गुलाम बना कर रखने की समस्या पूरी दुनिया में है लेकिन भारत, थाईलैंड और मलेशिया इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देश हैं.
नजर रखें
यूरोपीय संघ ने अफ्रीकी सीमा पर मौजूद अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे मानव तस्करों को मौके का फायदा उठाने से रोकने के लिए अपनी चौकसी बढ़ा दें. डेबाका अमेरिकी विदेश मंत्रालय की मानव तस्करी पर निगाह रखने वाली संस्था से जुड़े हैं.
उनका कहना है कि बचाव के लिए कदम उन देशों में उठाया जाना ज्यादा जरूरी है जहां लोगों को गुलाम बना कर रखा जा रहा है. डेबाका ने कहा, "सीमा पर तस्करी रोकने से काम नहीं चलेगा क्योंकि कई बार लोगों को यह भी नहीं पता होता कि वे तस्करों के चंगुल में फंस चुके हैं. उन्हें तो इसके बारे में तब पता चलता है जब वे उस जगह पहुंच चुके होते हैं जहां उन्हें गुलाम बना कर शोषण किया जाता है."
डेढ़ करोड़ से ज्यादा गुलाम
डेबाका ने ये बातें वैटिकन में अमेरिकी दूतावास की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन के दौरान कही. डेबाका ने कहा कि लोगों को इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि ये शरणार्थी आखिरकार जाते कहां हैं, उन्हें कहां नौकरी मिलती है और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है. उन्होंने आंकड़ों के आधार पर कहा कि करीब 1.25-2.70 करोड़ लोग दुनिया भर में गुलाम बना कर रखे गए हैं. इनमें घरेलू या दुकानों में काम के लिए रखे गए बच्चों से लेकर वेश्यावृत्ति के धंधे में उतारी गई महिलाओं तक हर तरह के लोग शामिल हैं.
सम्मेलन में आए दूसरे लोगों ने भी इस समस्या पर काबू के लिए अलग अलग देशों की सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत पर जोर दिया. इसके साथ ही कंपनियों और धार्मिक गुटों से भी लोगों को गुलामी से बचाने के लिए आगे आने की मांग की गई.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार