यूक्रेन ने वापस कब्जे में लिया राजधानी कीव का अहम हिस्सा
२२ मार्च २०२२यूक्रेन ने कहा है कि मंगलवार (22 मार्च) को उसने कीव के पास रणनीतिक रूप से अहम एक उपनगर को रूसी कब्जे से वापस ले लिया. वहीं रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास के अन्य इलाकों में दाखिल होने में कामयाब हो गई है. उसने मारियोपोल के उत्तरी बंदरगाह के पास हमले तेज कर दिए हैं.
मंगलवार को विस्फोटों और गोलियों की बौछार ने कीव को हिलाकर रख दिया. इसके उत्तर में एक इलाके से काला धुआं उठते देखा गया. उत्तर-पश्चिमी इलाके से तोपों की तेज आवाजें सुनी जा सकती थीं. रूसी सैनिकों का लक्ष्य कीव के आसपास के अहम उपनगरों को अपने कब्जे में लेकर राजधानी को घेरना है.
कीव प्रशासन ने 35 घंटों के कर्फ्यू का एलान किया था, जो बुधवार सुबह खत्म होगा. इससे पहले निवासी अपने घरों और बेसमेंट में दुबके हुए हैं. शहर के दक्षिणी बंदरगाह पर सुरक्षाबलों ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद रूसी सैनिकों ने मारियुपोल की घेरेबंदी जारी रखी.
मारियुपोल और इसके आसपास के इलाके से जान बचाकर भागते लोग बमबारी और सड़कों पर लाशों का जिक्र कर रहे हैं. उधर यूक्रेन के बाकी हिस्से में रूसी सैनिक बहुत धीमे आगे बढ़ रहे हैं या बिल्कुल नहीं बढ़ रहे हैं. यूक्रेनी सैनिकों के 'हिट ऐंड रन' हमले इस मामले में उनके लिए कारगर साबित हुए हैं.
यूक्रेन के रक्षामंत्री ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा कि कीव के उपनगर माकारीव में यूक्रेन और रूसी सैनिकों के बीच जोरदार संघर्ष हुआ, जिसके बाद यूक्रेनी सैनिकों ने रूसी सैनिकों को खदेड़ दिया. इससे यूक्रेनी सैनिकों ने अहम हाइवे अपने नियंत्रण में ले लिया है और रूसी सैनिकों को उत्तर-पश्चिम से कीव को घेरने से रोक दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से बयान
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि रूस के इस हमले की वजह से यूक्रेन के एक करोड़ लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है. यह युद्ध से पहले यूक्रेन की कुल जनसंख्या का करीब एक चौथाई हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अब तक इस युद्ध में 953 आम नागरिक मारे जा चुके हैं. संस्था का यह भी कहना है कि असल संख्या इससे ज्यादा हो सकती है.
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वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अब इस बेहूदी जंग को खत्म करने और शांति वार्ता शुरू करने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा, "यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट पैदा होने जैसे हालात बन गए हैं. यूक्रेन के साथ लड़ना नैतिक रूप से बिल्कुल अस्वीकार्य है, राजनीतिक रूप से अक्षम्य है और सैन्य रूप से निरर्थक है. इस जंग को जीता नहीं जा सकता है."
इटली की संसद में बोले जेलेन्स्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की ने मंगलवार को इटली की संसद को संबोधित किया. अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इटली के नीति-निर्माताओं को अपने देश को रूस के खेलने का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए. जेलेन्स्की ने चेतावनी दी कि इस युद्ध की वजह से खाद्यान्न का जो संकट पैदा होगा, उससे शरणार्थियों का एक नया संकट पैदा हो सकता है.
जेलेन्स्की इन दिनों रूस के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए पश्चिमी देशों की संसदों को संबोधित कर रहे हैं. इस क्रम में इटली की संसद उनके भाषण के बाद सांसदों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. दरअसल इटली टस्कनी से लेकर सार्डीनिया के आइलैंड के लिए जाना जाता है, जहां के महंगे-महंगे विला में रूस के अमीर लोग छुट्टियां बिताने आते हैं.
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जेलेन्स्की ने कहा, "इनका स्वागत मत कीजिए. हमें इनकी संपत्तियां, इनके खाते और इनकी यॉट जब्त कर लेनी चाहिए. हम उन सभी रूसी लोगों की संपत्तियां जब्त कर लेनी चाहिए, जिनके हाथ में फैसले लेने की ताकत है." जेलेन्स्की के बाद इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि इटली ने अब तक रूसी ओलिगार्कों की 80 करोड़ यूरो की संपत्ति जब्त की हैं, जिनमें से 50 करोड़ यूरो से ज्यादा की तो यॉट ही हैं.
इटली ने यूक्रेन से जान बचाकर भागने वाले करीब 60 हजार यूक्रेनवासियों को अपने यहां शरण दी है, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. इटली की संसद में जेलेन्स्की का भाषण स्थानीय लोगों को ध्यान में रखते हुए दिया गया था. यूक्रेन को यूरोप का अन्न का कटोरा भी कहा जाता है. अब जेलेन्स्की जापान की संसद में बोलेंगे. जापान ने भी यूक्रेन मुद्दे पर रूस की आलोचना की है.
रूस का नुकसान बताने से इनकार
रूसी प्रशासन ने एक अखबार में यूक्रेन में हताहत हुए रूसी सैनिकों के बारे में बात करने से इनकार कर दिया. रोजाना प्रकाशित होने वाले नामी अखबार कोमसोमोल्स्क्या प्रावडा ने सोमवार को छापा था कि यूक्रेन में अब तक 9,861 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं, जबकि 16,153 घायल हुए हैं. अखबार ने यह जानकारी रूसी रक्षा मंत्रालय के हवाले से दी थी.
हालांकि, अखबार ने जल्द ही इस खबर को अपनी वेबसाइट से यह कहते हुए हटा दिया कि यह हैकरों का काम था. जब इस रिपोर्ट के बारे में सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसका जवाब देने से इनकार कर दिया. साथ ही, उन्होंने यह सवाल रक्षा मंत्रालय की ओर टाल दिया. 2 मार्च को रूसी रक्षा मंत्रालय ने 498 सैनिकों के मारे जाने की जानकारी दी थी. उसके बाद से इस बारे में कोई जानकारी नहीं आई है.
मानवीय मदद ले जाएंगे: ग्रीस
ग्रीस के विदेशमंत्री ने कहा है कि वह रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति के साथ यूक्रेन के मारियुपोल में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए निजी तौर पर जाना चाहते हैं. विदेशमंत्री निकोस डेंडियास ने कहा कि उन्होंने यूक्रेनी पक्ष से शहर में मानवीय सहायता भेजने के लिए औपचारिक तौर पर आग्रह किया था. उन्होंने रूसी पक्ष से भी इस सहायता के पहुंचाने जाने में मदद करने का अनुरोध किया था. मारियुपोल में काफी संख्या में ग्रीस के लोग रहते हैं.
हालांकि, डेंडियास ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि यह मदद कब तक पहुंचाई जाएगी या फिर इसमें किन-किन चीजों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने यह एलान मारियुपोल में ग्रीस के वाणिज्यदूत मैनोलिस एंड्रोलाकिस से मिलने के बाद किया, जिन्हें 15 मार्च को शहर से निकाल दिया गया था. वह पिछले रविवार को एथेंस पहुंचे.
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पोलैंड ने किया हिटलर का जिक्र
पोलैंड के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में मौजूद रूसी सैनिकों की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एडोल्फ हिटलर के कुख्यात SS ट्रूप्स से की है. मंगलवार को बुल्गारिया के दौरे पर गए राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने कहा, "आज रूसी सेना वैसा ही बर्ताव कर कर रही है, जैसा जर्मनी के SS कर रहे थे."
पोलैंड ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों की बर्बरता झेली थी. इसके मौजूदा राष्ट्रपति डूडा ने कहा कि रूस 2008 में जॉर्जिया पर हमला करके पहले ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर चुका है. फिर 2014 में इसने यूक्रेन पर भी हाथ डाला. उन्होंने उम्मीज जताई कि यूक्रेन के नागरिकों पर हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को अंतरराष्ट्रीय अदालतों के सामने लाया जाएगा.
रूस के साथ कारोबार नहीं करेगी नीदरलैंड्स की कंपनी
ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली नीदरलैंड्स की कंपनी इनेको ने मंगलवार को एलान किया है कि वह रूसी गैस आपूर्तिकर्ताओं के साथ नए कारोबारी समझौते नहीं करेगी. इसके लिए कंपनी ने रूस के यूक्रेन पर हमला करने को जिम्मेदार बताया है. जापान के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि वह मौजूदा समझौतों का तो पालन करेगी, लेकिन किसी भी हालत में रूसी कंपनियों के साथ कोई नया समझौता नहीं करेगी.
कंपनी ने जानकारी दी है कि वह अपने करीब 56 लाख ग्राहकों को जितनी गैस की आपूर्ति करती है, उसका 15 फीसदी हिस्सा रूस से आता है. कंपनी ने मौजूदा अनुबंध न तोड़ने के पीछे वजह बताई है कि ऐसा करने पर जो गैस बचेगी, वह मौजूदा हालात में अन्य ग्राहकों को ऊंचे दामों पर बेची जाएगी, जिससे रूस को ही फायदा होगा.
वीएस/आरपी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)