देवघर के रोपवे हादसे के बाद ट्रॉलियों में फंसे 43 लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है. सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर चार ट्रॉलियों में अभी भी पांच लोग फंसे हुए हैं. सोमवार शाम करीब पांच बजे एयरलिफ्ट किए जाने के दौरान नीचे गिर जाने से एक शख्स की की मौत हो गई थी.इसके बाद अंधेरा होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया. मंगलवार सुबह से ऑपरेशन फिर शुरू हो गया. हादसे में अब तक तीन लोगों की जान चली गयी है. एक दर्जन लोग जख्मी हुए हैं, जबकि रेस्क्यू किए गए लोगों में आधा दर्जन लोग तेज गर्मी की वजह से बीमार हो गए हैं. इन सभी का देवघर के स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है.
देवघर में रविवार शाम चार बजे के करीब यह हादसा हुआ था. रामनवमी के मौके पर यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. इसी दौरान रोपवे की एक ट्रॉली नीचे आ रही थी, जो ऊपर की तरफ जा रही ट्रॉली से टकरा गई और ट्रॉलियां हवा में ही अटक गई.
सोमवार को चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तेज हवा और रोपवे के तारों की वजह से भारी परेशानी हुई. इस वजह से सेना के हेलिकॉप्टरों को कई बार ट्रॉली के नजदीक पहुंच कर भी वापस लौटना पड़ा. तमाम परेशानियों और खतरों के बावजूद सेना के जवान लगातार राहत और बचाव के काम में लगे रहे. दरअसल, कई ट्रॉलियां ऐसी जगहों पर फंसी हैं, जहां आस-पास चट्टानें हैं. खतरा यह था कि ट्रॉलियों के पास पहुंचने के दौरान कहीं हेलिकॉप्टर इन चट्टानों से न टकरा जाए. कई ट्रॉलियों में फंसे लोगों तक ड्रोन के जरिए बिस्किट-पानी पहुंचाया गया, लेकिन कुछ ट्रॉलियों तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई.
सामने 450 मीटर दूर बाजार है, स्कूल है, अस्पताल है, लेकिन वहां तक पहुंचने में बाहरी लोगों का सिर चकरा जाता है. मिलिए, हर दिन डेथ वैली को पार करने वाले लोगों से.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbदक्षिण पूर्वी चीन में जिनशा नदी के ऊपर पहाड़ों में रहने वाले लोगों को नदी पार करने के लिए इसी ट्रॉली की सवारी करनी पड़ती है. तारों पर झूलती ट्रॉली की सवारी तेज हवा में काफी डरावनी होती है. बच्चे हर दिन स्कूल जाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbहवाई दूरी भले ही 450 मीटर ही क्यों न हो, लेकिन 250 मीटर गहरी खाई इसे दुश्वार बना देती है. 1999 में यहां पुल बनाया गया. यही पुल फेनजिआपिंग और झाओतोंग गांव को जोड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbजियांग शिंक्सु ट्रॉली ऑपरेट करने के बदले लोगों से पैसा लेते हैं. इस पैसे को वह ट्रॉली की मरम्मत और ऑयलिंग में खर्च करते हैं. यह ट्रॉली सरकार ने नहीं बनाई बल्कि गांव के 10 परिवारों ने पैसा जमा करके लगाई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbट्रॉली 470 मीटर की दूरी 10 मिनट में तय करती है. दो दशक बाद अब ट्रॉली को खींचने वाली तारें पुरानी पड़ चुकी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbइस ट्रॉली के जरिये बच्चे रोज स्कूल जाते हैं, तो लोग बाजार और अस्पताल. ढलान की तरफ जाने में कम समय लगता है और चढ़ाई की तरफ आने में ज्यादा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsb2018 में चीन सरकार आधारभूत ढांचे में बड़े स्तर पर निवेश करना चाहती है. बीजिंग 1,80,000 किलोमीटर लंबी नई सड़कें बनाना चाहता है. साथ ही 2,500 पुलों की मरम्मत की भी योजना है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/Cdsbसरकार ने वादा किया है कि ट्रॉली के बगल में एक पुल बनाया जाएगा. पुल बनाने का काम 2018 तक पूरा हो जाएगा. बाद में ट्रॉली को बेहतर करके टूरिज्म के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
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