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30 का हुआ टेनिस का राजा

८ अगस्त २०११

एक दशक टेनिस पर राज करने वाले फेडरर खुद नई दहाई में दाखिल हो रहे हैं. टेनिस चैंपियन 30 के बाद सर्वश्रेष्ठ देते हैं, फेडरर इस उम्र में ढलान पर आ गए हैं. भले ही अब नंबर एक नहीं हैं, लेकिन टेनिस के राजा तो अब भी वही हैं.

तस्वीर: AP

लंबे बेतरतीब बालों के साथ हेड बैंड बांध कर विम्बलडन ग्राउंड पर उतरने वाले एक छरहरे नौजवान को दुनिया ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ते देखा. फेडरर की यह खुशकिस्मती रही कि वह ऐसे वक्त में आए, जब टेलीविजन और इंटरनेट क्रांति चरम पर थी और लोगों को उनके जौहर देखने के पूरे मौके मिले. शुरुआती मैच में आंद्रे अगासी को नाकों चने चबवा देने वाले फेडरर देखते ही देखते कब सिरमौर बन बैठे, पता ही नहीं चला.

वक्त से आगे चलने वाले फेडरर खुद कहते हैं कि वह इस जन्मदिन के बारे में तो साल भर पहले ही सोच चुके थे. उनका कहना है, "मैं आम तौर पर एक साल बाद का सोचता हूं. इस वक्त मैं ओलंपिक के आगे की रणनीति बना रहा हूं. मैं खुश हूं कि मेरा जन्मदिन आया है. मैं बड़ा हो रहा हूं. मैं समझता हूं कि 30 की दहाई 20 की दहाई से बेहतर है."

धड़धड़ाते चैंपियन

करियर के दो एक साल में 10 साल का अनुभव हासिल कर लेने वाले रोजर ने उलझ जाने वाले बाल छंटवा दिए लेकिन इतने छोटे नहीं कराए कि हेड बैंड न पहनना पड़े. महंगी घड़ी रोलेक्स के ब्रैंड एम्बैस्डर बन गए और सूट बूट के साथ बड़े अधिकार के साथ टेलीविजन पर नजर आने लगे. उनकी शख्सियत भी उनके खेल जितनी ही सुनहरी बन गई. दो साल की जुड़वां लड़कियों के पिता फेडरर ने हाल में इश्तिहार शूट करते हुए कुछ करामाती शॉट्स दिखाए, जो यूट्यूब्स पर खूब देखे जाते हैं. उन्होंने एक पत्रकार के सिर पर कोल्ड ड्रिंक की कैन रख कर उस पर टेनिस की गेंद से सफल निशाना लगाया.

तस्वीर: AP

फेडरर जब एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर तैयार हो रहे थे, तो शायद उन्हें भी इस बात का एहसास हो चला था कि वह कुछ बड़ा करने वाले हैं. उन्होंने खुद को सांचे में ढालना शुरू किया और आज उनकी मिसाल टेनिस में वैसी ही है, जैसी क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर की और फुटबॉल में डियागो मैराडोना की. उन्हें टेनिस का सर्वकालिक महान खिलाड़ी समझा जाने लगा है. रॉड लेवर, आंद्रे अगासी, पीट सैंप्रस और ब्योर्न बॉर्ग महान टेनिस खिलाड़ी रहे होंगे, फेडरर उनसे आगे निकल चुके हैं. सिर्फ इसलिए नहीं कि उन्होंने सबसे ज्यादा 16 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं. इसलिए भी नहीं कि उन्होंने चारों बड़े खिताब ऑस्ट्रेलियाई ओपन, फ्रेंच ओपन, विंम्बलडन और अमेरिकी ओपन जीते हैं, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने टेनिस को अलग पहचान दिलाने में मदद की है.

फेडरर और क्रिकेट

फेडरर टेनिस के पर्याय बन गए हैं. वह स्विट्जरलैंड के छोटे से शहर बासेल से हैं, जहां क्रिकेट के बारे में कोई नहीं जानता. पर फेडरर जानते हैं. वह सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फैन हैं और हाल में दोनों की विम्बलडन में मुलाकात हुई, दोनों घंटों बतियाये. फेडरर ग्राउंड के अंदर बेहद सुलझे हुए खिलाड़ी हैं, जो न कभी रैकेट फेंकता है न रेफरी पर चिल्लाता है. ग्राउंड के बाहर वह एक पैनी समझ रखने वाले दूरदर्शी हैं, जो बेहतर खेल के बारे में पूरे अधिकार के साथ बात कर सकता है.

आम तौर पर टेनिस खिलाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ समय 30 साल की उम्र के आस पास आता है, जब वे अपनी टेनिस खेल चुके होते हैं और अनुभव के साथ बड़े रिकॉर्ड के पास पहुंचते हैं. फेडरर के साथ ऐसा नहीं है. उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ टेनिस 20 की दहाई में ही खेल लिया है. छह विम्बलडन और पांच-पांच ऑस्ट्रेलियाई ओपन तथा अमेरिकी ओपन के साथ वह बहुत आगे निकल चुके हैं. लगातार 237 हफ्तों तक पहले नंबर पर रह चुके हैं. लगभग दो साल पहले वह इस जगह को छोड़ चुके हैं और अब तो तीसरे नंबर पर हैं लेकिन टेनिस की दुनिया तो अभी भी उन्हें ही नंबर एक मानती है. रफाएल नडाल और नोवाक जोकोविच पता नहीं कितनी बार उन्हें पराजित कर चुके हैं लेकिन आज भी उनके खिलाफ ग्राउंड पर उतरने से कतराते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

शो अभी बाकी है

फेडरर इस बात को मान चुके हैं कि ये दोनों खिलाड़ी उनसे आगे निकल चुके हैं. पर उनके अंदर भी आग बाकी है, "आग तो बनी हुई है. मैं इन दोनों के साथ हमेशा अपना मैच पसंद करता हूं. खास तौर पर राफा (रफाएल नडाल) के साथ मेरी प्रतिद्वंद्विता मुझे बहुत पसंद है. मेरे अंदर इन दोनों के खिलाफ खेलने की क्षमता है."

फेडरर कब तक खेलेंगे, इस बारे में वह कुछ नहीं बताते. लेकिन अगर वह हर चीज की पहले से तैयारी करते हैं, तो उन्होंने यह भी तय कर रखा होगा. फिलहाल तो वह अमेरिकी ओपन की तैयारी करने में जुटे हैं, जो इस महीने के आखिर में शुरू हो रहा है. न्यू यॉर्क के फ्लशिंग मिडोज पर वह लगातार पांच बार खिताब चूम चुके हैं पर पिछले दो साल से फीका पड़ा है. दरअसल जनवरी 2010 के बाद से उन्होंने कोई ग्रैंड स्लैम नहीं जीता है, फिर भी उनका जलवा बना हुआ है.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

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