30 साल का हुआ एप्पल मैक
२४ जनवरी २०१४पहली बार माउस इस्तेमाल में लाया गया. धीरे धीरे पूरा कंप्यूटर जगत बदलता चला गया. सफेद रंग के उस कंप्यूटर के साथ स्टीव जॉब्स ने एक नए दौर की शुरुआत की थी. उस कंप्यूटर के साथ ही जॉब्स और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ी और दोनों ने ही इस दुनिया में अपने हिस्से की कामयाबी पाई. 24 जनवरी, 1984 आज ही की तरह एक शुक्रवार था. इस शुक्रवार को 30 साल पूरा होने के साथ एप्पल के लोग पार्टी की भी उम्मीद कर रहे हैं.
एप्पल के रैंडी विगिनटन का कहना है, "हमने सब कुछ खुद नहीं बनाया था लेकिन हमने लोगों तक इन चीजों की पहुंच बनाई." इससे पहले कंप्यूटर को एक बड़े बॉक्स की तरह इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें किसी भी तरह के कमांड के लिए टेक्स्ट का प्रयोग होता था. हालांकि 1960 के दशक में डॉ एंगेलबार्ट ने माउस का आविष्कार किया था, लेकिन उसका पहला अच्छा इस्तेमाल स्टीव जॉब्स के लैपटॉप कंप्यूटर में ही हुआ. एंगेलबार्ट की पिछले साल 88 साल की उम्र में मौत हो गई.
कंप्यूटर में तहलका
सिलिकॉन वैली में कंप्यूटर इतिहास म्यूजियम के डैग स्पाइसर का कहना है, "मैक की खूबी यह थी कि उसकी वजह से ग्रैफिकल असर हम तक पहुंचा. एप्पल खुद भी ऐसा ही कहता है." उनका कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट भी इससे बहुत प्रेरित था.
जिस व्यक्ति को आज मार्केटिंग का गुरु माना जाता है, वह 27 साल की उम्र में पहली बार एक कंप्यूटर को दुनिया के सामने पेश कर रहा था. नाम थाः स्टीव जॉब्स. उस वक्त एप्पल के मुख्य कार्यकारी रहे जॉन स्कली कहते हैं, "उसने हर मुद्रा की बार बार तैयारी की थी. हालांकि जब वह स्टेज पर गया, तो उसने ऐसा दिखाने की कोशिश की कि सब कुछ पहली बार अचानक हो रहा है."
एप्पल ने इस कंप्यूटर को पेश करने के लिए एक विशालकाय इश्तिहार का सहारा लिया. इसका नाम "1984" रखा गया था और इसे सुपर बॉउल के दौरान पेश किया गया था. यह एक बेहद महंगा विज्ञापन था. आईबीएम के डैनियल कोटके का कहना है, "एप्पल के बोर्ड रूम में ऐसी चर्चा थी कि यह सही कदम नहीं है. इस पर काफी बहस हुई थी. भाग्य से स्टीव जॉब्स और उनकी टीम जीत गई. हर किसी के जेहन में इसे लेकर गहरी याद छाई है."
कैसी थी क्रांति
64 किलोबाइट के रैम और 1000 डॉलर की कीमत वाले पहले मैकिनटोश की याद अब भी ताजा है. एप्पल के विगिनटन कहते हैं, "जॉब्स हर बात की बारीकी को लेकर जुनूनी थे. वह चाहते थे कि हर चीज सही हो." उनके मुताबिक मैकिनटोश ने कंप्यूटर की दुनिया में वही काम किया, जो 25 साल बाद आईपॉड ने संगीत की दुनिया में किया. कंप्यूटर में उस वक्त फोटो एडिटिंग और पेज लेआउट किसी क्रांति की तरह लगी थी. कोटके कहते हैं, "ऐसा था कि आप अपने कंप्यूटर पर एक पेज बनाएं और दूसरे पेजों के लिंक उसमें लगाएं. कुछ वैसा ही, जैसा आज इंटरनेट पर संभव है."
मैक ने अपना अच्छा बाजार बना लिया, लेकिन तभी माइक्रोसॉफ्ट ने सस्ते दाम में अपना प्रोडक्ट लॉन्च कर दिया. माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज का पहला एडिशन 1985 में बाजार में उतारा. सिलिकॉन वैली ने इसके बाद लंबे वक्त तक जॉब्स और गेट्स की प्रतिद्वंद्विता देखी. कोटके कहते हैं, "मैं समझता हूं कि यह स्टीव जॉब्स का काम था कि उसने विंडोज और मैक के बीच मुकाबला खड़ा किया. स्टीव हमेशा कहता था कि वह माइक्रोसॉफ्ट से आगे है लेकिन जब विंडोज आया, तो मुश्किल हुई. जॉब्स का कहना था कि यह उनकी नकल थी."
सॉफ्टवेयर पर ध्यान देकर माइक्रोसॉफ्ट ने घरेलू कंप्यूटरों के बाजार में आधिपत्य जमा लिया, जबकि बिजनेस के क्षेत्र में उनका उत्पाद अच्छे खासे दाम में बिकने लगा. कोटके कहते हैं, "1990 के दशक में तो एप्पल को कंगाल हो जाना चाहिए था. ऐसा होता तो कोई ताज्जुब नहीं होता." लेकिन जबरदस्त समझ रखने वाले स्टीव जॉब्स ने एप्पल को फिर से बुलंदियों पर ला खड़ा किया.
एजेए/एमजे (एएफपी)