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300 पेड़ों की कब्र पर नया रेलवे स्टेशन

२ अक्टूबर २०१०

जर्मन सरकार के रेलवे टनेल प्रोजेक्ट के विरोध में भारी संख्या में लोगों ने स्टुटगार्ट में लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन किया. गुरुवार को इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई.

तस्वीर: dpad

पुलिस ने बताया कि स्टुटगार्ट के सिटी पार्क में करीब 50 हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शन में रैली निकाली. यहां खुदाई शुरू करने के लिए 25 पेड़ पहले ही गिराए जा चुके हैं. रैली के आयोजकों का दावा है कि 50 हजार से कहीं ज्यादा लोग इसमें शामिल थे. लेकिन दोनों ही पक्षों का कहना है कि रेलवे टनेल प्रोजेक्ट के विरोध में कई महीनों से चली आ रही रैलियों में ये सबसे बड़ी रैली थी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन सरकार ने प्रदर्शनकारियों से शांत रहने की अपील की क्योंकि गुरुवार को पुलिस को उन पर आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. बादेन व्युर्टेम्बर्ग की सरकार ने चेतावनी दी है कि वह और प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं करेगी. हिंसा से बचने के लिए पुलिस भी शुक्रवार को एक कदम पीछे ही रही. स्टुटगार्ट के लोगों का समर्थन करने के लिए बर्लिन और फ्रैंकफर्ट में भी रैलियां निकाली गईं.

इस विवादास्पद प्रोजेक्ट पर समझौते की कोई संभावना नहीं है. इसके तहत स्टुटगार्ट के मुख्य रेलवे स्टेशन और 23 किलोमीटर की रेलवे लाइन को 4.1 अरब यूरो की लागत पर दूसरी जगह बनाया जा रहा है. या तो ये पूरा बनेगा या बिलकुल नहीं बनेगा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रवक्ता श्टेफान साइबर्ट ने प्रोजेक्ट का समर्थन किया है. दोनों पक्षों के बातचीत करने की अपील करते हुए कहा कि "इस समस्या का कोई न कोई रचनात्मक समाधान जरूर निकलेगा. कि लोगों की चिंता भी खत्म हो और प्रोजेक्ट भी पूरा हो." उन्होंने कहा कि गुरुवार को हुई हिंसा की तस्वीरें परेशान करने वाली थीं. लेकिन निर्माण कार्य नहीं रुक सकता क्योंकि इस पर "लोकतांत्रिक तरीके" से सहमति बनी है.

स्टुटगार्ट के सेंटर पार्क के पास बनने वाले इस रेलवे स्टेशन के कारण तीन सौ पेड़ों को काटना होगा और इस जमीन की खुदाई करनी होगी. लगातार विरोध के बावजूद अभी के स्टेशन की एक बिल्डिंग को अगस्त में गिरा दिया गया. विरोधकों की दलील है कि ये लोगों के धन की बर्बादी है और स्टुटगार्ट के लोग इसे नहीं चाहते. पर्यावरणवादियों का भी कहना है कि छोटे प्रोजेक्ट्स पर पैसा खर्च किया जाना चाहिए.

यह सिर्फ लोगों के ही विरोध की बात नहीं है. बादेन व्युर्टेम्बर्ग सीडीयू का गढ़ है और अगर यहां वह आधार खो देती है तो उसके लिए ये बड़ा नुकसान होगा.

स्टुटगार्ट के पुलिस प्रमुख ने कहा कि चालीस साल में ये पहली बार हुआ कि प्रदर्शनकारियों पर पानी फेंका गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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