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3,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा भारत

५ जुलाई २०१९

इस बार का बजट अलग है. ना केवल पहली बार एक महिला वित्त मंत्री इसे पेश कर रही हैं, बल्कि पहली बार ब्रीफ केस की जगह बहीखाता संसद में पहुंचा है.

Indien Neu Delhi Nirmala Sitharaman und Ram Nath Kovind
तस्वीर: IANS/RB

सीतारमण से पहले इंदिरा गांधी को भी बजट पेश करते हुए देखा जा चुका है लेकिन सीतारमण भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री है, वहीं इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह मंत्रालय संभाला था. शुक्रवार को बजट पेश करने से पहले निर्मला सीतारमण को पारंपरिक ब्रीफकेस की जगह लाल रंग के कपड़े में लिपटे बजट दस्तावेज के साथ देखा गया. कपड़े के ऊपर अशोक स्तंभ भी बना था और यह बहीखाता पीले और लाल धागे से बंधा हुआ था. मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रमण्यम ने इसे "पश्चिमी प्रथा की गुलामी से प्रस्थान" बताया. भारतीय व्यापारी पारंपरिक रूप से अपने व्यापार का हिसाब रखने के लिए बहीखाते का ही इस्तेमाल करते रहे हैं.

राष्ट्रपति राजनाथ कोविंद से मिलने के बाद सुबह 11 बजे सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करना शुरु किया. भारी जनादेश के साथ आई मोदी सरकार के सामने देश की अर्थव्यवस्था को गति देने, किसानों की हालत में सुधार करने, रोजगार सृजन और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौतियां हैं. सीतारमण ने अपने पहले बजट भाषण में सशक्त राष्ट्र, सशक्त नागरिक के सिद्धांत पर जोर दिया.

सीतारमण ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की अर्थव्यवस्था 3,000 अरब डॉलर की होगी. ठीक एक दिन पहले पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में देश को 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई संरचनात्मक बदलाव करने की जरूरत है. इसके लिए भारत को प्रतिवर्ष आठ प्रतिशत की दर से विकास करना होगा. फिलहाल यह दर सात प्रतिशत है.

भारतीय रेलवे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ट्रैक, रेल इंजन, कोच और वैगन निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी मॉडल को अपनाया जाएगा. इसके लिए 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत है. उन्होंने कहा, "यह देखते हुए कि रेलवे का पूंजीगत व्यय 1.5 से 1.6 लाख करोड़ प्रति वर्ष है, सभी स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने में दशकों लगेंगे."

आईबी/एए (आईएएनएस)

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