34 बच्चों का यौन शोषण करने वाले जर्मनों को मिली भारी सजा
५ सितम्बर २०१९
दो जर्मन पुरुष जिन्होंने जर्मनी की एक कैंपसाइट पर कुछ सालों के दौरान कम से कम 34 बच्चों का यौन शोषण करने का जुर्म कुबूला, उन्हें अदालत ने 12 और 13 साल की जेल की सजा सुनाई है.
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जर्मनी के निजता के कानून के तहत इन दो जर्मन पुरुषों का नाम केवल आंद्रेयास वी, उम्र 56 साल और मारियो एस, उम्र 34 साल बताया गया है. आंद्रेयास को 200 से भी अधिक बाल शोषण के गंभीर मामलों में दोषी पाया गया और इसके लिए 13 साल जेल की सजा सुनाई गई. उसके साथी मारियो पर गंभीर दुर्व्यवहार के करीब 50 मामले सिद्ध हुए और इसके लिए उसे 12 साल जेल की सजा दी गई है.
बच्चों के साथ ऐसे जघन्य अपराध उत्तर पश्चिम जर्मनी के लुइग्डे शहर के पास एक कैंपसाइट पर अंजाम दिए गए थे. मामले की सुनवाई के दौरान एक मनोचिकित्सक ने आंकलन कर बताया कि 56 वर्षीय आंद्रेयास एक जोड़तोड़ करने वाला, आत्ममुग्ध और असामाजिक इंसान है जिसमें बच्चो का शोषण करने की गहरी प्रवृत्ति पाई गई.
वहीं मारियो ने पास ही श्टाइनहाइम में अपने फ्लैट पर ले जाकर बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया. कैंपसाइट पर बच्चों को शिकार बनाने सबसे पहले वह 1999 में गया. वहां दोनों पुरुषों ने बच्चों के साथ अपने दुर्व्यवहार को कैमरा में शूट भी किया. पुलिस ने उनके पास से ऐसी हजारों तस्वीरें और वीडियो जब्त किए हैं, जिनसे गंभीर यौन शोषण के प्रमाण भी मिलते हैं.
जर्मनी के ही लोअर सैक्सनी प्रांत के रहने वाले 49 साल के एक और पुरुष को दो साल के प्रोबेशन पर रखा गया है, जो इन दुर्व्यवहारों की लाइव स्ट्रीमिंग देखा करता था. इस मामले में प्रशासन और बाल कल्याण के लिए काम करने वाली संस्थाओं के बेहद धीमी गति से काम करने को लेकर काफी आलोचना हुई है. पुलिस पर भी मामले से जुड़े कई साक्ष्य खोने के आरोप हैं.
नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में बाल शोषण और बाल पोर्नोग्राफी के मामलों को वरीयता देने की बात कही है. इसके लिए राज्य में ऐसे मामलों में खास तौर पर ट्रेन किए गए अधिकारियों की तादाद भी बढ़ाई जाएगी.
दोनों दोषियों को अपनी अपनी सजा के साल जेल में काटने के बाद भी एहतियातन हिरासत में रखा जाएगा. ऐसा तब तक रहेगा जब तक अदालत उन्हें समाज के लिए खतरा मानना बंद नहीं करती. मामले पर सजा सुनाते हुए जज आंके ग्रुडा ने कहा कि जो इन लोगों ने किया है उसे "घिनौना, राक्षसी और नीच" कहना भी काफी नहीं. कम से कम 34 बच्चों के साथ बार बार ऐसा दुर्व्यवहार हुआ. इनमें से कुछ तो 4 साल के भी थे. जज ने माना कि पीड़ितों की असल संख्या इससे भी कहीं ज्यादा हो सकती है.
पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में ऐसे कई खतरनाक हत्यारे हुए हैं जिन्होंने एक दो नहीं कई लोगों की हत्या की है. देखिए कब और कहां से निकले ऐसे सीरियल किलर.
तस्वीर: Getty Images/M. Marmur
नील्स होएगेल
जर्मनी के एक पूर्व नर्स नील्स होएगेल को अपनी ड्यूटी के दौरान 85 लोगों की हत्या करने के दोष में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वह 2005 तक एक अस्पताल में काम करता था. शांतिकाल में वह जर्मनी का सबसे खतरनाक सीरियल किलर बन गया है. पुलिस को शक है कि 200 से अधिक लोग उसके शिकार बने होंगे.
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मिखाएल पोपकोव
साइबेरिया के इस पूर्व पुलिसकर्मी को दिसंबर 2018 में दोषी पाया गया. 54 साल की उम्र में उस पर 56 हत्यारों का आरोप सिद्ध हुआ. 22 लोगों की हत्या के दोष में वह पहले से ही जेल में था. रात में पुलिस की नौकरी के दौरान वह महिलाओं का बलात्कार और हत्या करता था. वह रूस का सबसे खतरनाक सीरियल किलर है.
तस्वीर: Imago/Russian Look
सैमुएल लिटिल
78 साल की उम्र में इसने 90 लोगों की हत्या का जुर्म कुबूला. नबंवर 2018 में उसने सन 1970 से 2005 के बीच की गई हत्याओं के बारे में बताया. इनमें से 40 से अधिक को साबित किया जा चुका है. अगर सब 90 हत्याएं साबित हो जाती हैं तो वह सबसे बुरा अमेरिकी सीरियल किलर माना जाएगा.
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आंद्रेई रोमानोविच चिकात्सिओ
सन 1992 में रूस के इस पूर्व शिक्षक को 52 लोगों की हत्या का दोषी पाया गया. "बुचर ऑफ रोस्तोव" कहलाने वाले आंद्रेई ने सन 1978 से 1990 के बीच दक्षिणी रूस के रोस्तोव इलाके में इनमें से ज्यादातर हत्याएं की थीं. सन 1994 में उसे फांसी दे दी गई. आरपी/एनआर (एएफपी)
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गैरी रिजवे
एक अमेरिकी ट्रक ड्राइवर ने 2003 में 48 लोगों की हत्या की बात मानी. उसके शिकार बने लोगों में ज्यादातर यौनकर्मी या फिर घर से भागे हुए लोग थे. उसे "ग्रीन रिवर किलर" का उपनाम मिला क्योंकि सिएटल की इसी नदी के पास उसका पहला पीड़ित पाया गया था. पुलिस को शक है कि उसने इससे ज्यादा लोगों को मारा.
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अलेक्जांडर पिचुश्किन
48 लोगों की हत्या करने के जुर्म में इसे साल 2007 में मास्को में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. यह हत्याएं उसने 2002 से 2006 के बीच में की थीं. केवल 33 साल की उम्र में मुकदमे की सुनवाई के दौरान उसने बताया कि शतरंज के 64 खानों के हिसाब से वो 64 लोगों को मारना चाहता था. हर हत्या के बाद वह एक खाने को क्रॉस करता इसीलिए "चेसबोर्ड किलर" कहलाया.
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लुइस आलफ्रेदो गारावीतो
सन 2000 में गारावितो को 835 सालों की कैद की सजा सुनाई गई. उसके शिकार बने लोगों की लंबी फेहरिस्त में 189 लड़के थे, जिन्हें उसने मात्र पांच सालों के भीतर मार डाला था. अपने काले कृत्यों के कारण उसे कोलंबिया में उसके जन्मस्थान के नाम पर "मॉन्स्टर ऑफ जेनोवा" कहा गया. उसके सभी शिकार आठ से सोलह साल की उम्र के लड़के थे.
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चार्ल्स शोभराज
बिकिनी किलर के नाम से कुख्यात चार्ल्स शोभराज को 1975 में एक अमेरिकी पर्यटक की हत्या के आरोप में 2004 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इसके अलावा भी थाईलैंड के पटाया में भी कई पर्यटकों की हत्या के पीछे फ्रांस में जन्मे शोभराज का हाथ माना जाता है. उसके माता-पिता भारतीय और वियतनामी मूल के थे.
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हैरल्ड शिपमैन
मैनचेस्टर के पास रहने वाले एक डॉक्टर को सन 2000 में अपने 15 मरीजों को जान से मारने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा हुई. वह अपने बुजुर्ग मरीजों को मॉर्फीन के खतरनाक डोज देकर मारता था. सन 2004 में उसने जेल में ही खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.