केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बाहर से कुल 34 लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश में संपत्तियां खरीदी हैं.
विज्ञापन
नित्यानंद राय ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सांसद हाजी फजलुर रहमान के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के बाहर के 34 लोगों ने तत्कालीन राज्य से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति खरीदी है.
उन क्षेत्रों के सवाल पर, जहां ये संपत्तियां खरीदी गई हैं, गृह राज्यमंत्री ने कहा, "ये संपत्तियां जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में हैं." अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूमि और संपत्तियों की खरीद के कानूनों में बदलाव किया और उसके बाद नए भूमि खरीद कानून बनाए गए हैं.
केंद्र ने पिछले साल कहा था कि जम्मू-कश्मीर के बाहर से दो लोगों ने क्षेत्र में जमीन खरीदी है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सूत्रों के हवाले से लिखा कि ये सभी संपत्तियां पंजाब और दिल्ली के व्यक्तियों समेत व्यापारियों और पेशेवरों द्वारा खरीदी गई हैं. अखबार ने लिखा कि सभी मामलों में भूमि के भूखंड बहुत बड़े नहीं होते हैं और बड़े पैमाने पर हॉलिडे होम या फार्महाउस स्थापित करने के लिए उपयुक्त होते हैं.
एक अधिकारी ने अखबार को बताया, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में जमीन की कीमतें लगभग छह गुना बढ़ गई हैं. 3 लाख रुपये प्रति कनाल में उपलब्ध प्लॉट अब 18 लाख रुपये प्रति कनाल में बिक रहे हैं. कई लोग भविष्य को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं. निवेशकों के बीच भरोसा है कि अंततः घाटी में शांति कायम होगी और अभी किए गए निवेश से भविष्य में लाभदायक व्यवसाय के अवसर पैदा होंगे."
अनुच्छेद 370, जिसने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया था और बाहरी लोगों को संपत्ति हासिल करने से रोका था, उसे 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान किया गया है जबकि लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं है.
कश्मीर में केसर की खेती
नवंबर में कश्मीर में केसर की फसल होने लगती है. इसे दुनिया जाफरान के नाम से भी जानती है. खेती का मुख्य इलाका पुलवामा जिले में पंपोर है. पत्रकार गुलजार बट ने केसर के फूल चुनते किसानों को तस्वीरों में कैद किया है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
मसालों का राजा
जाफरान यानि केसर को मसालों का राजा माना जाता है. हालांकि कश्मीर में केसर की खेती तीन इलाकों में होती है लेकिन घाटी के पंपोर इलाके में सबसे ज्यादा फसल के कारण इसे कश्मीर का केसर टाउन कहा जाता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
क्वालिटी केसर
पुलवामा जिले में सालाना 60-80 क्विंटल उच्च क्वालिटी के केसर की खेती होती है. किसानों के अनुसार अच्छी क्वालिटी के एक ग्राम केसर के लिए बाजार में 250 से 300 रुपये तक मिलता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
परिवार की मदद
केसर के पौधों में जब फूल लग जाते हैं तो उन्हें तोड़ने के लिए खेतों में पूरा परिवार पहुंचता है और फूलों को इकट्ठा किया जाता है. बाद में इन्हीं फूलों से केसर के तार निकाले जाते हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सूखे की मार
इस साल उत्पादन कम हुआ है. इसकी वजह बरसात का कम होना है. किसानों का कहना है कि फसल कम होने की मुख्य वजह लंबे वक्त तक मौसम का सूखा रहना है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
ड्रिपिंग सिंचाई का फायदा नहीं
यूं तो इस इलाके में केसर के खेतों की सिंचाई के लिए सरकार ने ड्रिपिंग तकनीक शुरू की है. लेकिन किसानों का कहना है कि यह सुविधा बहुत देर से आई और इस साल उसका उतना फायदा नहीं हुआ.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
जीआई टैग
इस साल से कश्मीर के केसर को जीआई टैग भी मिला है जो उसे दूसरे उत्पादों से अलग करता है और दार्जिलिंग चाय की तरह खास बनाता है. लेकिन बहुत से छोटे किसानों का इसका फायदा मालूम नहीं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
होगा फायदा
अक्सर कश्मीरी केसर के नाम पर कम क्वालिटी वाले केसर भी लोगों को बेच दिए जाते हैं. इसकी वजह से कश्मीरी केसर बदनाम हो रहा था. अब जीआई टैग मिल जाने से किसानों को माल बेचने में आसानी होगी.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
खेतों की सैर
अभी पंपोर का माहौल देश के दूसरे हिस्सों जैसा ही है जहां परिवार की लड़कियां भी फसल कटाने जाती हैं. ये कश्मीरी लड़कियां केसर के फूल जमा कर लौट रही हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
काम के बाद आराम
केसर के फूलों को चुनने का काम आसान नहीं. क्रोकस के छोटे फूलों को झुककर खोंटने में कमर दुख जाती है. काम के बाद खेतों पर ही थोड़ा आराम अच्छा ही लगता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
केसर वाले इलाके
कश्मीर के जिन दूसरे इलाकों में केसर होता है, वे हैं बड़गाम, श्रीनगर और डोडा. इस बार पंपोर के केसर पार्क में केसर की टेस्टिंग और पैकेजिंग होगी. अच्छी क्वालिटी के केसर को विदेशों में बेचने का लक्ष्य है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सबसे महंगा मसाला
जाफरान दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. इसकी वजह ये भी है कि यह कठोर परिश्रम से तैयार किया जाता है. पांच ग्राम जाफरान पाने में केसर के 800 फूलों की जरूरत होती है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
स्पेन में जाफरान
करीब 1000 साल से स्पेन में भी केसर की खेती होती है. ला मांचा के पठार में उपजाए जाने वाले स्पेनी केसर को अजाफरान दे ला मांचा कहते हैं. कंसुएगरा शहर में अक्तूबर के अंत में जाफरान महोत्सव मनाया जाता है.
तस्वीर: DW
ईरान में केसर
कहते हैं भारत में केसर ईरानी लोग लेकर आए थे. इसका श्रेय ईरान के सूफी संतों का जाता है. ईरान अभी भी केसर का मुख्य उत्पादक है जहां दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा केसर का उत्पादन होता है.
तस्वीर: Tasnim/M. Nesaei
और ये है केसर
और ये हैं केसर के धागे जो हम बाजार से खरीद कर लाते हैं. फूलों से ये धागे हाथ से एक एक कर निकाले जाते हैं. तभी तो इतना महंगा होता है जाफरान.