36 साल की उम्र में पाया नोबेल
६ अक्टूबर २०१०आंद्रे गाइम और कोन्सान्टिन नोवोसेलोव, दोनों ही मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं. उन्होंने ग्रेफेन के साथ प्रयोग किए जो नए प्रकार का सबसे पतला और सबसे मजबूत कार्बन है. नोबेल कमेटी का कहना है, "व्यवहारिक रूप से पारदर्शी और अच्छा चालक होने की वजह से ग्रेफेन पारदर्शी टच स्क्रीन, प्रकाश पैनल और शायद सौर बैटरी बनाने के लिए बहुत ही उपयुक्त है." एक अणु जितने बेहद पतले कार्बन के व्यवहार के बारे में उनकी खोज क्वांटम भौतिकी से लेकर आम जरूरत की चीजें बनाने में बहुत उपयोगी साबित हुई है.
36 साल के नोवोसेलोव रूसी-ब्रिटिश नागरिक हैं जबकि 51 वर्ष के गाइम डच नागरिक हैं. नोबेल कमेटी का कहना है कि नोवोसेलोव 1973 के बाद नोबेल पुरस्कार पाने वाले सबसे युवा वैज्ञानिक हैं.
टेलीफोन के जरिए नोबेल प्रेस कांफ्रेस को नोवोसेलोव ने बताया कि उन्हें पुरस्कार पाने की कतई उम्मीद नहीं थी और वह अपनी दिनचर्या को इस खबर से प्रभावित नहीं होने देंगे. नोवोसेलोव ने कहा, "आज मेरा इरादा उस पेपर पर काम करने का था जिसे मैं इस हफ्ते खत्म नहीं कर पाया हूं. मुझे इसके लिए निकलना है."
दोनों वैज्ञानिकों ने चिपकाने वाली टेप के जरिए सामान्य पेंसिल में पाए जाने वाले ग्रेफाइट के छोटे से टुकड़े में से बेहद पतले कार्बन ग्रेफेन को निकाला. कमेटी के बयान के मुताबिक, "खेल खेल में चीजें करना उनकी खास पहचान है. इस प्रक्रिया में हम हमेशा कुछ न कुछ सीखते हैं. और फिर किसे पता कि खेल खेल में ही आपको बड़ा खजाना हाथ लग जाए."
नोबेल एकेडमी का कहना है कि एक मिलीमीटर ग्रेफेन में दरअसल एक दूसरे के ऊपर 30 लाख ग्रेफेन परतें होती हैं, हालांकि वे एक दूसरे से ज्यादा मजबूती से नहीं चिपकी रहती हैं. ग्रेफेन लगभग पारदर्शी है और इतना सघन भी है कि उसमें गैस का छोटे से छोटा अणु पार नहीं हो सकता.
एकेडमी का कहना है कि ग्रेफेन से भौतिक शास्त्रियों को अनोखे गुणों वाले द्विआयामी पदार्थों के अध्ययन का मौका मिलता है. साथ ही क्वांटम भौतिकी को भी इससे नई दिशा मिलती है.
दोनों वैज्ञानिकों को पुरस्कार के तौर पर 1 करोड़ स्वीडिश क्राउन (15 लाख डॉलर) की रकम मिलेगी. इस साल के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा में यह दूसरा एलान है. इससे पहले सोमवार को ब्रिटिश फिजियोलॉजिस्ट रॉबर्ट एडवर्ड्स को टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के लिए 2010 का चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल देने की घोषणा की गई.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा