1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

40 की उम्र में चौका मारने की तैयारी में मिल्खा सिंह

Priya Esselborn५ अप्रैल २०१२

भारत के बेहतरीन गोल्फर जीव मिल्खा सिंह ने गुरुवार को आईएसपीएस हांडा सिंगापुर क्लासिक गोल्फ टूर्नामेंट में अपना पहला कदम रख दिया है. मिल्खा सिंह की कोशिश यह साबित करने की है कि जिंदगी 40 की उम्र में शुरू होती है.

तस्वीर: Isaac Brekken/AP/dapd

एशियाई टूर में दो बार नंबर वन रहे मिल्खा सिंह चार लाख डॉलर के इनामी रकम वाले इस टूर्नामेंट के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे हैं. उनका मुकाबला दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी ऑर्डर ऑफ मेरिट ज्बे क्रुगर और इस खिताब के मौजूदा विजेता भारतीय खिलाड़ी हिम्मत राय से है. वैसे स्थानीय लोग लाम चिह बिंग, मार्दन मामत और लाम झिकुन से भी उम्मीद लगाए बैठे हैं और उम्मीद की जा रही है कि वो कड़ी टक्कर देंगे. साथ में जापानी सितारे तेत्सुजी हिरात्सुका और युता इकेदा भी हैं.

मिल्खा सिंह के हमवतन दिग्विजय सिंह ने अपना पहला एशियाई टूर पैनासोनिक ओपन इंडिया रविवार को 40 साल की उम्र में जीता. जीव मिल्खा सिंह भी इसी साल दिसंबर में 40 साल के हो गए और उनके खेल पर बारीकी से नजर रखने वाले लोग मानते हैं कि छह एशियाई टूर के विजेता कुछ और जीतों का ताज अपने सिर सजा सकते हैं.

मिल्खा सिंह ने आखिरी टूर्नामेंट 2008 में बार्कले सिंगापुर ओपन के रूप में जीता था. 2006 और 2008 में एशिया के नंबर वन खिलाड़ी रहे मिल्खा सिंह ने कहा है, "सिंगापुर मुझे हमेशा अच्छा अहसास और सकारात्मक उर्जा देता है खासतौर से एक गोल्फर के नजरिए से." मिल्खा सिंह ने इसके साथ ही यह भी कहा, "इस टूर पर हम सब लोग कह रहे हैं, जिंदगी 40 की उम्र में शुरू होती है. मैं भी इसमें यकीन करता हूं. दिग्विजय को जीतते देखना मजेदार रहा. इससे हम लोगों की भी उम्मीद बढ़ी है, मैं तो महसूस करने लगा हूं कि अभी मेरे कई साल बाकी हैं."

शारीरिक चोटों में मिल्खा सिंह को उनके पूरे करियर में सबसे ज्यादा परेशान किया है और बीता साल भी इससे अलग नहीं था. बाप बनने और इस उम्र में पहुंचने के बाद उनका कहना है कि अब वो अपने शरीर को बहुत ज्यादा तकलीफ नहीं दे रहे हैं. मिल्खा सिंह ने हिस्सा लेने वाले टूर्नामेंट की तादाद में भी काफी कटौती की है. ज्यादातर बड़े गोल्फ खिलाड़ियों की तरह ही मिल्खा सिंह ने भी माना है कि वो इस हफ्ते साल के पहले बड़े टूर्नामेंट मास्टर्स में नहीं रहेंगे. 2007 से लगातार तीन साल तक वो इस टूर्नामेंट में खेलते रहे और तभी वो खिलाड़ियों की वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष के 50 खिलाड़ियो में भी शुमार हुए. मिल्खा कहते हैं, "जिंदगी में गोल्फ किसी रोलर कोस्टर की तरह है. आप ऊपर जाते हैं और फिर नीचे आते हैं. यह सब सीखने का हिस्सा है और यह एक बड़ा सादा खेल है. आपको अपना सिर हमेशा अपने कंधे पर रखना होता और काम करते रहना होता है."

उधर क्रुगर दूसरे एशियाई टूर में जीत के आसार को लेकर आश्वस्त हैं. फरवरी में भारत में हुए अवंथा मास्टर्स में उन्होंने बड़ा करिश्मा दिखाया. 2010 में सिंगापुर में उपविजेता रहे क्रुगर पिछले सत्र में आठवें नंबर पर थे. 25 साल के क्रुगर ने कहा, "मैं विश्वास से भरा महसूस कर रहा हूं. मुझे थोड़ा संघर्ष करना पड़ा है लेकिन मेरा गेम वापस लौट रहा है."

एनआर/ओएस(एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें