40 साल बाद जंगल से बाहर आई महिला
२६ सितम्बर २०१०केरल के कालपेटा जिले की लक्ष्मी अव्वा पिछले चार दशक से जंगलों में रह रही थीं. एक एनजीओ ने वहां हाथियों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजना के मद्देनजर लक्ष्मी से जंगल छोड़कर गांव में रहने का अनुरोध किया. लक्ष्मी ने बुझे मन से इस अनुरोध को मान लिया और वह पास के एक गांव में रहने को चली आई हैं.
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया नाम की यह संस्था केरल में हाथियो के संरक्षण की योजना चला रही है. इस योजना के मैनेजर साबू जाहर ने बताया, "लक्ष्मी के पास गणेश की एक मूर्ति के अलावा कुछ भी नहीं है. यह मूर्ति उनके पास सारी उम्र रही है. वह विधवा हैं और उनका कोई बच्चा भी नहीं है."
लक्ष्मी जंगल से बाहर नहीं आना चाहती थीं. जब उनसे अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने जंगल छोड़ने का अनुरोध किया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें वहां शांति मिलती है. लक्ष्मी कहती हैं, "जानवरों से किसी को क्यों डरना चाहिए? वे तो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते." जंगल के गार्ड्स अक्सर जंगल में उनकी झोपड़ी में जाते और उन्हें खाने पीने की चीजें दे आते.
2003 में जंगल में रहने वाले 28 परिवारों को आसपास के इलाकों में दोबारा बसाया गया. लेकिन उस वक्त अव्वा ने जंगल छोड़ने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके पति को यहीं दफन किया गया है इसलिए वह इस जगह को नहीं छोड़ेंगी. अव्वा ने 40 साल पहले अपने पति के साथ जंगल में रहना शुरू किया था. अब वह कट्टीकुलम के पनवाली गांव में रहेंगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा