48 साल बाद अंतिम संस्कार
१६ जुलाई २०१०1962 की जंग के दौरान डोगरा राइफल्स की एक टुकड़ी अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना से घिर गई. 25 अक्टूबर 1962 को चीनी सेना ने अरुणाचल के वालोंग इलाके में बनी भारतीय चौकी पर हमला किया. बचाव और राहत सामग्री के बिना 22 दिन तक लड़ाई चलती रही. इस दौरान कई भारतीय जवान मारे गए और कई लापता घोषित कर दिए गए. लापता सैनिकों की सूची में पालमपुर के करम चंद का भी नाम था. उनका परिवार मानकर चल रहा था कि उन्हें बंदी बना लिया गया है. लेकिन 48 साल बाद अधूरे इंतजार की उम्मीद भी टूट गई.
वालोंग इलाके में सड़क बनाने के दौरान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को एक शव के अवशेष मिले. अवशेषों के पास करम चंद का आई-कार्ड, कुछ दस्तावेज और उनकी बंदूक मिली. बीआरओ ने इसकी जानकारी डोगरा राइफल्स को दी.
इसके बाद 4 डोगरा राइफल्स के कमांडिग अफसर कर्नल एसके सिंह चंद परिवार के पास खबर लेकर गए. करम चंद के अवशेषों को तिरंगे में लपेट कर उनके परिवार के हवाले किया गया. करम चंद की मौत की खबर सुनकर आस पास के इलाके से बड़ी संख्या में लोग उनके गांव पहुंचे. वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के अलावा दूर दराज के पूर्व सैनिक भी 48 बाद हुए अंतिम संस्कार में पहुंचे. गुरुवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: उभ