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5 आप्रवासी सैनिकों की हत्या की साज़िश के दोषी घोषित

गुल्शन मधुर, वॉशिंगटन२३ दिसम्बर २००८

न्यू जर्सी राज्य में एक संघीय जूरी ने पांच मुस्लिम आप्रवासियों को, राज्य में स्थित फ़ोर्ट डिक्स सैनिक ठिकाने पर अमरीकी सैनिकों की हत्या की साज़िश तैयार करने का दोषी ठहराया है.

अमेरिकी सैनिक शिविर फोर्ट डिक्स पर हमले की योजना का आरोपतस्वीर: AP

यह फ़ैसला 15 महीनों की संघीय जांच और 8 सप्ताह चले मुक़दमे के बाद आया है. जूरी के सदस्यों ने एक वक्तव्य में कहा कि "यह उनके लिए बहुत कठिन प्रक्रिया थी". बचाव और अभियोक्ता, दोनों पक्षों का कहना है कि जूरी ने अपना काम पूरी मेहनत से अंजाम दिया है. लेकिन अभियोक्ताओं के परिवारों के सदस्यों ने अदालत के बाहर अपनी भावनाएं जताने में कोई कसर नहीं रखी, जैसे कि मोहम्मद श्नीवर की मां फ़ातेन श्नीवर ने, जिसने कहा, "हम इस देश में स्वतंत्रता के लिए आए हैं; एक अच्छे देश की तलाश में. मेरे बेटे ने किसी की हत्या नहीं की है."

जॉर्डन में जन्मे - टैक्सी ड्राइवर श्नीवर के अलावा अन्य अभियुक्त हैं - तुर्की में जन्मा सरदार तातार, जो एक स्टोर-क्लर्क है, और भूतपूर्व युगोस्लाविया से आए अल्बानियाई मूल के तीन भाई द्रितान, ऐल्यविर और शाइन ड्यूका.

हमले की योजना

सरकार का कहना है कि ये लोग फ़ोर्ट डिक्स को अपने हमले का निशाना बनाने की साज़िश रच रहे थे, लेकिन साथ ही उन्होंने डैलवेयर के वायुसैनिक ठिकाने और अन्य सैनिक प्रतिष्ठानों पर टोहक कार्रवाइयां अंजाम दीं.

उनकी जांच तब शुरू की गई, जब सर्किट सिटी शृंखला के एक स्टोर के एक क्लर्क ने संघीय जांच ब्यूरो एफ़ बी आई को बताया कि कुछ ग्राहकों ने, आक्रामक हथियारों से गोली चला ने और जिहाद के नारों वाली एक विडियो फ़िल्म, डीवीडी पर उतारने के लिए दी है.

बचाव पक्ष का कहना है कि एफ़बीआई के दो मुख़बिरों की घुसपैठ के बिना अभियुक्तों को दोशी नहीं ठहराया जा सकता था. इन मुख़बिरों ने दल में शामिल होकर उसकी बातचीत रिकॉर्ड की थी. बचाव पक्ष के एक वकील रॉको सिपरोनी के शब्दों में, "मेरे विचार में प्रमाणों की भूमिका इन मुख़बिरों के काम ने ही अंजाम दी है."

लेकिन दूसरी ओर, सरकारी अभियोक्ता रैल्फ़ जे मैरा का कहना था, "हमने इन प्रतिवादियों के इरादों और उनकी कार्रवाइयों के आधार पर ही सतर्कतापूर्वक यह केस तैयार किया है - सरकार से सहयोग करने वाले किसी गवाह की झूठमूठ कहानी के आधार पर नहीं"

सज़ाएं अप्रैल में सुनाई जानी हैं, जब इन पांचों को आजीवन कारावास का दंड दिया जा सकता है. अभियोक्ताओं ने कहा है कि इन अपराधियों ने अमरीकी सैनिकों को भारी नुक़सान पहुंचाने की तैयारियां की थीं.

लेकिन अनेक मुस्लिम नेताओं का खना है कि 23 से 30 वर्ष तक की आयु के ये लोग मूर्खतापूर्ण आचरण कर रहे थे - महज़ एक मज़ाक़ के रूप में.

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