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मीडियाभारत

कश्मीर: आतंकी संगठन की धमकी के बाद पत्रकारों का इस्तीफा

चारु कार्तिकेय
१६ नवम्बर २०२२

कश्मीर में एक आतंकी संगठन की धमकी के बाद 'राइजिंग कश्मीर' अखबार के पांच पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है. घाटी में पत्रकार पुलिस कार्रवाई का सामना तो कर ही रहे थे, अब आतंकी संगठन भी उन्हें निशाना बना रहे हैं.

श्रीनगर
श्रीनगर में सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Mukhtar Khan/AP

पांचों पत्रकार श्रीनगर से छपने वाले अंग्रेजी भाषा के अखबार 'राइजिंग कश्मीर' के लिए काम करते थे. इनमें से कुछ ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफों के बारे में जानकारी दी है. इन सभी का नाम "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (टीआरएफ) नाम के आतंकी संगठन द्वारा छापी गई एक सूची में था जिसमें संगठन ने इन्हें सुरक्षाबलों का मुखबिर बताया था.

टीआरएफ को पाकिस्तान से चलने वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा की ही एक शाखा माना जाता है. यह संगठन पिछले कुछ सालों में कई आतंकवादी हमलों में भी शामिल रहा है. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि इसने पत्रकारों को निशाना बनाना शुरू किया है.

धमकी भरे पोस्टर

पिछले हफ्ते शनिवार 12 नवंबर को एक ब्लॉग वेबसाइट पर टीआरएफ के हवाले से एक धमकी भरा पोस्टर डाला गया जिसमें कश्मीर के दो जाने माने अखबारों पर सरकार का मुखपत्र होने का आरोप लगाया गया. अगले दिन ऐसी एक नई सूची सामने आई जिसमें 12 पत्रकारों और अखबारों के मालिकों के नाम थे.

इस सूची में इन लोगों को "पुलिस, सेना और खुफिया एजेंसियों के एजेंट" बताया गया. सोमवार को एक और सूची जारी की गई जिसमें 12 और पत्रकारों के नाम थे. इनमें से कई पत्रकार मुख्य संपादक जैसे ऊंचे पदों पर काम करते हैं और मशहूर हैं. उन्हें पुलिस से सुरक्षा भी मिली हुई है.

लेकिन कई पत्रकार ऐसे भी हैं जो ना तो इतने ऊंचे पदों पर हैं और ना मशहूर हैं. कइयों ने ना कभी कश्मीर में मिलिटेंसी के बारे में लिखा, न सेना के बारे में और ना राजनीति के बारे में.

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अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक कश्मीरी पत्रकार ने डीडब्ल्यू को बताया कि मुमकिन है कि मुख्य सम्पादकों के अलावा अन्य पत्रकारों को भी निशाना बनाने के पीछे आतंकी संगठन का उद्देश्य इन अखबारों को पूरी तरह से अपंग कर देना हो.

मीडिया का बुरा हाल

उन्होंने यह भी बताया कि कश्मीर में 2019 में की गई पूरी कार्रवाई के बाद से यहां के दो प्रमुख अखबार पूरी तरह से खुफिया एजेंसियों के नियंत्रणमें हैं.

इन अखबारों को बड़ी मात्रा में सरकारी विज्ञापन मिलते हैं, ये लगभग पूरी तरह से सरकार के पक्ष को छापते हैं और आलोचना के स्वरों को जगह नहीं देते हैं. इनके मालिकों और मुख्य सम्पादकों को भारी सुरक्षा भी मिली हुई है.

ये धमकियां इस बात का संकेत हैं कि टीआरएफ जैसे आतंकी संगठनों ने अब इन अखबारों और इनके लिए काम करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया है. इससे कश्मीर के पत्रकारों की चुनौतियों की लंबी सूची में एक चुनौती और जुड़ गई है.

पत्रकार अभी तक पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों के दबावका सामना कर रह थे, लेकिन अब उन्हें आतंकवादी संगठनों के निशाने पर होने का डर भी सताने लगा है. पत्रकार इसलिए भी डरे हुए हैं क्योंकि ये धमकियां हमेशा खाली साबित नहीं होती हैं.

जून 2018 में राइजिंग कश्मीर के संस्थापक संपादक की श्रीनगर में उनके दफ्तार के बाहर ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. जम्मू और कश्मीर पुलिस का कहना था कि हत्या के पीछे लश्कर-ए-तय्यबा का हाथ था.

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