दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन पर अमेरिका में पांच महिलाओं ने नस्लीय, लैंगिक भेदभाव और उत्पीड़न का दावा करते हुए मुकदमा किया है. महिलाएं कंपनी में अलग-अलग पदों पर काम चुकी हैं.
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एमेजॉन के खिलाफ उसकी ही पांच महिला कर्मचारियों ने भेदभाव और प्रतिशोधात्मक मुकदमे दर्ज कराए हैं. इन कर्मचारियों ने कॉपोर्रेट भूमिकाओं में या गोदाम प्रबंधन में ई-कॉमर्स कंपनी में काम किया है. शिकायत करने वाली महिलाओं में से दो अश्वेत हैं, एक श्वेत, एक लैटिन और एक एशियाई अमेरिकी है. तीन महिलाएं अभी भी एमेजॉन में काम करती हैं जबकि दो ने कंपनी छोड़ दी. शिकायत करने वाली महिलाओं की उम्र 20 से लेकर 60 के बीच है. उन्होंने अलग-अलग जिला अदालतों में दायर मुकदमे में आरोप लगाया कि जब उन्होंने नस्ल, लिंग, यौन उत्पीड़न या भेदभाव का अनुभव किया और इसकी आंतरिक रूप से शिकायत की तो "श्वेत प्रबंधकों" द्वारा प्रतिशोध किया गया.
विगडोर एलएलपी पार्टनर्स, लॉरेंस एम पियर्सन और जीन एम क्रिस्टेंसन ने शेर्लोट न्यूमाना ब्लैक एमेजॉन मैनेजर का प्रतिनिधित्व किया और कहा कि एमेजॉन की महिलाओं और कर्मचारियों ने दबी आवाज में उत्पीड़न और भेदभाव की शिकायतें की हैं. एक और पीड़ित पर्ल थॉमस, जो एक 64 वर्षीय अश्वेत महिला हैं, उन्होंने मुकदमे में आरोप लगाया कि उनको अपने बॉस की नस्लवादी टिप्पणियों के बारे में शिकायत करने के बाद प्रदर्शन सुधार योजना पर रखा दिया गया था. एमेजॉन के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी इन सभी संबंधित मामलों की गहन जांच कर रही है. प्रवक्ता के हवाले से कहा गया,''हमें आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है. एमेजॉन एक विविध, न्यायसंगत और समावेशी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत करता है. हम किसी भी रूप में भेदभाव या उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं. कर्मचारियों को प्रबंधन के माध्यम से लगातार प्रोत्साहित किया जाता है.''
एए/सीके (एएफपी)
सर्वे: 29 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक स्थलों पर छेड़खानी का सामना किया
एक सर्वे के मुताबिक भारत में 29 प्रतिशत महिलाओं ने ट्रेन, स्टेशनों, सार्वजनिक जगहों और सड़कों पर छेड़छाड़ या यौन शोषण का अनुभव किया.
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पब्लिक प्लेस पर छेड़खानी
लोकल सर्कल्स के सर्वे में दावा किया गया है कि 29 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर छेड़खानी और यौन शोषण का सामना किया. 9 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्होंने या उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने एक बार से ज्यादा इसको अनुभव किया.
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कहां सबसे ज्यादा छेड़खानी
ट्रेन, स्टेशन, सार्वजनिक स्थल और सड़कें शीर्ष स्थान हैं जहां भारतीय महिलाओं ने छेड़छाड़ या यौन शोषण का सामना किया. सर्वे में शामिल 17 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि लोकल ट्रेनों, मेट्रो या इसके स्टेशनों पर ऐसा हुआ. 20 प्रतिशत ने कहा कि भीड़भाड़ वाले समारोहों में ऐसा हुआ. 7 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि धार्मिक स्थानों पर उनके साथ ऐसी घटना हुई, वहीं 10 फीसदी ने बाजार को ऐसी घटना वाली जगह बताया.
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सिर्फ 23 प्रतिशत ने दर्ज कराई एफआईआर
छेड़खानी का सामना करने वाली सिर्फ 23 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्होंने एफआईआर या पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. सर्वे में दावा किया गया कि 15 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की या कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं 23 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया, 15 प्रतिशत ने एफआईआर नहीं करने का फैसला किया.
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319 जिलों में सर्वे
लोकल सर्कल्स ने इस सर्वे के लिए भारत के 319 जिलों में 14,000 नागरिकों से 24,000 से ज्यादा प्रतिक्रिया हासिल किए और उनके आधार पर ये नतीजा जारी किया. सर्वे में 65 प्रतिशत पुरुष थे जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं.
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चिंता है बलात्कार की घटनाएं
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो ने 2019 में कहा था कि महिलाओं के खिलाफ दर्ज 4 लाख मामलों में से 32,033 मामले रेप से संबंधित थे. अक्सर रेप की पीड़ित महिलाएं धमकी के डर से मामले की रिपोर्ट नहीं करती हैं.
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महिला सुरक्षा से जुड़ा बजट
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था हेल्पलाइन केंद्रों की स्थापना, आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाओं और अधिकारियों के लिए लिंग-संवेदीकरण प्रशिक्षण के लिए निर्धारित राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया. उसके मुताबिक फंड में पहले ही आवंटन कम है और उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है.