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50 देशों ने एक बयान जारी कर की चीन की आलोचना

१ नवम्बर २०२२

दुनिया के 50 देशों ने चीन में उइगुर अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर चिंता जताई है. इन देशों ने चीन से अनुरोध किया है कि यूएन की रिपोर्ट में की गईं सिफारिशों का पालन करे.

Uiguren China
तस्वीर: Thomas Krych/ZUMA Wire/IMAGO

दुनिया के 50 देशों ने एक बयान जारी किया है जिसमें चीन की आलोचना की गई है. चीन के शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक उइगुर समुदाय की प्रताड़ना की आलोचना करते हुए इन देशों ने यूएन से मानवाधिकारों के उल्लंघन के इस मामले पर ‘आपातकालीन रूप से कदम' उठाने का आग्रह किया है.

ज्यादातर पश्चिमी देशों द्वारा साझा तौर पर जारी किया गया यह बयान कहता है, "हम चीनी गणराज्य में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं, खासतौर पर शिनजियांग प्रांत में उइगुर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्य समुदायों को लेकर.”

यह बयान उस प्रस्ताव के खारिज होने के बाद जारी किया गया है, जिसे हाल ही में चीन की स्थिति पर चर्चा के मकसद से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश किया गया था. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों के लिए सबसे बड़ी संस्था में चीन को उस वक्त मामूली अंतर से लेकिन बड़ी जीत मिली थी जब उसके शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघन पर चर्चा का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया.

ब्रिटेन, तुर्की, अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों ने इस विषय पर बहस का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत उइगुर मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे कथित शोषण पर अगले साल मार्च में आयोजित सत्र में बात होनी थी. संयुक्त राष्ट्र की 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद में 17 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि 19 ने विरोध में. 11 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया और प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया.

कौन-कौन हुआ शामिल

उस प्रस्ताव में मिली हार के बाद पश्चिमी देशों ने यह बयान जारी किया है, जिसे यूएन में कनाडा के दूत बॉब रे ने मानवाधिकार परिषद की एक बैठक में पढ़कर सुनाया. इस बयान पर दस्तखत करने वाले देशों में कनाडा के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इस्राएल, तुर्की, ग्वाटेमाला और सोमालिया आदि शामिल हैं.

इस बयान का आधार मानवाधिकार परिषद की वह रिपोर्ट है, जिसे अगस्त में जारी किया गया था. मानवाधिकार परिषद प्रमुख मिशेल बैचलेट के दफ्तर द्वारा 31 अगस्त को जारी एक रिपोर्ट थी जिसमें कहा गया था कि शिनजियांग में ‘मानवता के विरुद्ध' अपराध हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि शिनजियांग में उइगुर और अन्य मुस्लिम समूहों को 2017 से 2019 तक उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया, जो "मानवता के खिलाफ अपराध" है. रिपोर्ट कहती है, "जबरन मेडिकल उपचार और दयनीय परिस्थितियों में हिरासत समेत यातना या दुर्व्यवहार के आरोप सही और विश्वसनीय हैं."

चीन का इनकार

चीन मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को पश्चिमी देशों का प्रोपेगैंडा बताते हुए खारिज करता रहा है. जब मिशेल बैशले की रिपोर्ट जारी हुई थी तब संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत जांग जुन ने कहा था कि बीजिंग महीनों से तैयार हो रही रिपोर्ट का पुरजोर विरोध करता है. जुन ने दावा किया कि "कथित शिनजियांग मुद्दा पूरी तरह से मनगढ़ंत है और इसका उद्देश्य चीन को बदनाम करना है."

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र के दूत, उइगुर अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और संयुक्त राष्ट्र के विशेष जांचकर्ता उस रिपोर्ट पर हुई प्रगति की चर्चा करने के लिए मिले थे. चीन ने उस बैठक का विरोध किया और कहा था यह एक ‘चीन विरोधी आयोजन' है. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को लिखे एक पत्र में चीन ने कहा था कि यह बैठक ‘राजनीति से प्रेरित एक आयोजन है' जिसका मकसद चीन के खिलाफ ‘दुष्प्रचार' करना है.

वीके/सीके (एपी, एएफपी)

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