5000 साल पुरानी शराब की भट्टी मिली
१५ फ़रवरी २०२१जानकार बता रहे हैं कि भारी मात्रा में शराब बनाने वाली यह दुनिया की सबसे पुरानी भट्टी हो सकती है. शनिवार को मिस्र के पर्यटन मंत्रालय ने इसके बारे में जानकारी दी. इसकी खोज नॉर्थ एबिडोस के सोहाग में मिस्र और अमेरिका की एक संयुक्त टीम ने किया है.
अनुमान है कि शराब की भट्टी किंग नारमेर के जमाने की हो सकती है. नारमेर ने 5000 साल पहले मिस्र में शासन किया था. उन्होंने ऊपरी और निचले मिस्र को एकजुट कर पहले राजवंश की स्थापना की थी.
ब्रिटिश पुरातत्वशास्त्रियों ने 20वीं सदी की शुरुआत में पहली बार ब्रुअरी के अस्तित्व का पता लगाया था लेकिन इसकी जगह का कभी भी सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सका. मिस्र और अमेरिका की संयुक्त टीम इसकी जगह और फिर ब्रुअरी को ढूंढने में सफल रही.
इस ब्रुअरी में आठ बड़े हिस्से हैं जिनका इस्तेमाल बीयर बनाने के लिए होता था. इस ब्रुअरी के कई हिस्से हैं जिनमें मिट्टी के 40 बड़े बर्तन हैं जिन्हें दो कतारों में व्यवस्थित किया गया है. अनाज और पानी के मिश्रण का इस्तेमाल बीयर बनाने के लिए किया जाता था. इन्हें हौज में उबाला जाता था. इन हौज को बेसिन के साथ मिट्टी के बने लीवरों के सहारे टिकाया गया था.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के पुरातत्वशास्त्री मैथ्यू एडम्स का कहना है कि रिसर्च से पता चला है कि इस ब्रुअरी से एक बार में 22,400 लीटर शराब बनाई जाती थी. संयुक्त टीम का नेतृत्व मैथ्यू एडम्स ही कर रहे थे. टीम की तरफ से जारी बयान में एडम्स के हवाले से कहा गया है, "इस जगह इसे खास तौर से शाही रिवाजों के दौरान शराब परोसने के लिए बनाया गया था जो राजा के अंतिम संस्कार के दौरान होता थे."
बयान में यह भी कहा गया है कि कुर्बानी के दौरान होने वाले रिवाजों में बीयर का इस्तेमाल करने के सबूत मिले हैं.
मिस्र में बीयर बनाने की बात नई नहीं है. इसके पहले हुई खोजों से भी बीयर बनाने की जानकारी मिलती रही है. मिस्रवासी जिन बर्तनों में बीयर बनाते थे उसके टुकड़े 2015 में तेल अवीव में खोजी गई एक प्राचीन इमारत से भी मिले थे. यह भी करीब 5000 साल पुराने थे.
एबिडोस के जिस इलाके में यह शराब की भट्टी मिली है वहां इस साल और भी कई प्राचीन चीजें सामने आईं हैं. यह जगह अपने मंदिरों के लिए विख्यात है.
हाल ही में मिस्र के एलेकसैंड्रिया शहर के पास मौजूद एक मिशन ने 2000 साल पुरानी कई ममियों की खोज की है. इन ममियों को सोने की तावीजें भी पहनाई गई हैं. इन तावीजों को इसलिए मरने वाले के मुंह में रखा जाता था जिससे कि वो मरने के बाद भी बोल सकें.
मिस्र ने इस साल कई खोजों की जानकारी दी है और उसे उम्मीद है कि इन सब की वजह से देश में पर्यटन उद्योग नई ऊंचाई पर पहुंचेगा. हालांकि हाल के वर्षों में 2011 की अरब वसंत क्रांति से लेकर कोरोना वायरस की महामारी तक इसने कई मुश्किलें देखी हैं. अधिकारियों ने 2020 में करीब डेढ़ करोड़ सैलानियों के आने की उम्मीद लगाई थी लेकिन कोरोना के कारण कम ही लोग आ सके. इससे पिछले साल यहां करीब 1.3 करोड़ लोग आए थे.
एनआर/आईबी(एएफपी)
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