उत्तर प्रदेश: आधे विधायकों के खिलाफ दर्ज हैं आपराधिक मामले
चारु कार्तिकेय
१७ अप्रैल २०२३
कभी विधायक और सांसद रहे गैंगस्टर अतीक अहमद की पुलिस हिरासत में हत्या के बाद उत्तर प्रदेश में अपराधियों और राजनीति के रिश्ते पर चर्चा हो रही है. विधानसभा में 51 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाली निजी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 2022 में हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवारों के हलफनामों के आधार पर ये आंकड़े प्रस्तुत किए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 403 विधायकों में से 205 यानी 51 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों के दर्ज होने की जानकारी दी थी. यही नहीं, 403 में से 158 या 39 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, बलात्कार, अपहरण आदि जैसे गंभीर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.
बीजेपी में 90 दागी विधायक
पांच विधायकों के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज थे. इनमें से तीन सपा में और दो बीजेपी में थे. कुल 29 विधायकों के खिलाफ हत्या की कोशिश के मामले दर्ज थे. छह विधायकों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज थे, जिनमें से एक के खिलाफ तो बलात्कार का मामला दर्ज था. यह विधायक बीजेपी में है.
गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा बीजेपी में पाई गई. बीजेपी में ऐसे 90 विधायक पाए गए, सपा में 48, कांग्रेस में दो और बसपा में एक विधायक पाया गया.
कई विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ एक-दो नहीं बल्कि बीसियों मामले दर्ज हैं. एक विधायक ऐसा भी है जिसके खिलाफ 87 मामले दर्ज हैं. ये आंकड़े उस हकीकत को साबित करते हैं जिसके बारे में प्रदेश के राजनेता, मतदाता और समीक्षक अच्छी तरह से परिचित हैं - राजनीति और अपराध का गहरा रिश्ता.
प्रदेश में लंबे समय से राजनीतिक दल गैंगस्टरों को शरण देते आए हैं. 15 अप्रैल की रात पुलिस हिरासत में मारे गए अतीक अहमद की भी ऐसी ही पृष्ठभूमि थी. अहमद गैंगस्टर होने के साथ साथ पांच बार उत्तर प्रदेश विधान सभा का और एक बार लोक सभा का भी सदस्य रहा.
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मुठभेड़ राज
उसने 2004 के लोक सभा चुनावों में फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव जीता था. उसने 2009 में अपना दल पार्टी के टिकट पर फिर से फूलपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया. 2014 में उसने एक बार और सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन एक बार फिर हार गया.
इन आंखों से नहीं बच पाते अपराधी
07:45
2019 में उसे पूर्व बसपा विधायक राजू पाल की हत्या की साजिश में शामिल होने का दोषी पाया गया था. तब से वो जेल में था. उसकी हत्या की रात उसे उत्तर प्रदेश पुलिस रूटीन चेकअप के लिए प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल ले जा रही थी.
इस तरह पुलिस के पहरे में हुई हत्या को संदिग्ध बताया जा रहा है और हत्या की जांच की मांग उठ रही है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के ही किसी सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में एक विशेष समिति द्वारा हत्या की जांच कराए जाने की मांग की गई है.
इतना ही नहीं याचिका में यह भी अपील की गई है कि यह समिति 2017 से अभी तक प्रदेश में हुई सभी 183 मुठभेड़ों की भी जांच करे. उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अफसरों ने खुद बताया है कि मार्च 2017 से शुरू हुए योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में 183 मुठभेड़ हो चुकी हैं.
इन्हीं छह सालों में प्रदेश में 5,046 अपराधी पुलिस की कार्रवाई में घायल होने के बाद गिरफ्तार किए गए. सिर्फ अपराध ही नहीं बल्कि अपराधियों का "सफाया" आदित्यनाथ का चुनावी वादा था और वो अपने कई भाषणों और साक्षात्कारों में इसे दोहरा चुके हैं.
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
तस्वीर: imago/Hindustan Times
पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
तस्वीर: APImages
लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.