520 दिन बाद निकले बाहर, मार्स टेस्ट पूरा
४ नवम्बर २०११शुक्रवार को यह मार्स 500 टेस्ट पूरा कर छह सदस्य यान से बाहर निकल आए. छह सदस्यों वाले इस दल में सिर्फ पुरुष हैं, जिसमें तीन रूसी, एक फ्रांसीसी, एक इतालवी-कोलंबियाई और एक चीनी वैज्ञानिक है. इन्हें जून 2010 से एक साथ एक अंतरिक्ष यान जैसी जगह में रखा गया था. यह प्रयोग अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान होने वाली थकान, व्यग्रता और भारहीनता की स्थिति का आकलन करने के लिए किया गया. टीम के सदस्य इतालवी डिएगो उरबीना ने कैप्सूल से उतरते ही कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल हो सकना एक सम्मान की बात थी. वहीं चीनी सदस्य वांग युई ने कहा, "520 दिन बाद आखिरकार हम आ ही गए."
एक एक दिन
पूरे 520 दिन ये वैज्ञानिक एक अंतरिक्ष यान में रहे. लेकिन क्रू के सदस्यों ने आयोजकों और परिजनों से इंटरनेट के जरिए संपर्क बनाए रखा. इस कनेक्शन को बीच बीच में डिस्टर्ब भी किया गया ताकि स्पेस ट्रैवल की स्थिति पैदा की जा सके. इस दौरान सभी ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मिलने वाले खाने जैसा डिब्बाबंद खाना खाया. आयोजकों ने कहा के कि दल के हर सदस्य को एक लाख डॉलर यानी करीब 50 लाख रुपये मिलेंगे.
थोड़े से पीले पड़े अंतरिक्ष यात्री रूस में बैठे बैठे मार्स पर पहुंचे और अपना प्रयोग खत्म कर बाहर निकले. रूस की विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष अनातोली ग्रिगोरियेव ने कहा, "दल के सदस्यों का स्वास्थ्य एकदम अच्छा है, शरीर ने बिलकुल अच्छे से काम किया. इस प्रयोग का उद्देश्य सफल रहा."
इस प्रोजेक्ट के उप निदेशक मार्क बेलाकोवस्की ने कहा, "अलग अलग देशों, ग्रुप्स और विचारधारा के लोगों के साथ 520 दिन रहना आसान नहीं है. उन्होंने बहुत अच्छे से व्यवहार किया." यूरोपीय स्पेस एजेंसी(ईएसए) में ह्यूमन लाइफ साइंसेस विशेषज्ञ पैट्रिक सनब्लैड ने कहा, "हां यह दल अलग थलग रह सकता है, मार्स मिशन पर जाने और आने तक. मनोवैज्ञानिक स्तर पर हम यह कर सकते हैं."
छोटे छोटे कमरे
नीले रंग के स्पेस ड्रेस में इन लोगों ने अपने 520 दिन छोटे छोटे कमरों के बंद कमरों में गुजारे और वे प्रोजेक्ट लीडर के आदेशों का पालन करते थे. मिशन के आखिरी दिनों में उन्होंने धरती के गुरुत्वाकर्षण में आने का भी अभ्यास किया.
जर्मन अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने एक करोड़ चालीस हजार डॉलर वाले इस प्रयोग के लिए 28 लाख डॉलर दिए थे.
रेड स्क्वेयर से लाल ग्रह की इस मार्स 500 यात्रा में दल को न तो भारहीनता महसूस करनी पड़ी और न ही कॉस्मिक रेडिएशन से दो चार होना पड़ा. डिएगो उरबीना ने डीपीए समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, हमें अकेलापन और ऊब ही ज्यादा महसूस होती थी. सच में तो हमें यह पता था कि हम मंगल पर नहीं हैं. यह बिलकुल असली जिंदगी जैसा था. आपको हर एक का अच्छा दोस्त होने की जरूरत नहीं है. उनके साथ रूस के अलेक्जेंडर स्मोलिवस्की और चीन के वांग युई भी थे. रूसी और यूरोपीय दल में सिर्फ वांग यूई ही एशियाई थे. प्रयोग खत्म होने के पहले उन्होंने कहा, मुझे मां के पकाए खाने की याद आ रही है.
रिपोर्टः डीपीए,एएफपी/आभा मोंढे
संपादनः महेश झा