54 फीसदी भारतीय छात्र ऑनलाइन सीखने के लिए सहज हैं: सर्वे
२२ अप्रैल २०२१
भारत के लगभग 54 प्रतिशत छात्र अब ऑनलाइन लर्निंग मॉडल के लिए सहज हैं. यह खुलासा ब्रेनली के सर्वेक्षण से हुआ है, जो एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म है. महामारी के कारण स्कूल बंद हैं और छात्र ऑनलाइन शिक्षा हासिल कर रहे हैं.
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लॉकडाउन एंड लर्न-फ्रॉम-होम मॉडल नाम का सर्वेक्षण देश भर के 2,371 छात्रों पर किया गया था, ताकि यह समझा जा सके कि पिछले साल ने भारत के छात्रों के शिक्षा और सीखने के पैटर्न को कैसे बदला है. हाल ही में कोविड-19 के मामलों में हुए जबरदस्त उछाल के साथ, अधिकांश छात्र वर्तमान में स्कूल जाने के बारे में आशंकित थे. अभी के हालात को देखते हुए लगभग 56 प्रतिशत छात्रों ने ऑनलाइन सीखने को जारी रखा. सर्वे में शामिल आधे से अधिक छात्रों ने दूसरों पर मिश्रित शिक्षण मॉडल को प्राथमिकता दी.
इसके अलावा छात्रों ने ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों के साथ अधिक सशक्त महसूस किया. लगभग दो-तिहाई छात्रों ने कहा कि वे अब पहले से अधिक 'लचीले' और 'आत्मनिर्भर' थे.
उनमें से भी छात्रों ने अधिक 'आत्मविश्वास' महसूस किया. छात्रों के एक बड़े समूह ने यह भी दावा किया कि ऐसे प्लेटफार्मों ने उन्हें अपनी गति से सीखने में मदद की, ऐसा कुछ जो कभी संभव नहीं है.
ब्रेनली में सीपीओ राजेश बिसानी के मुताबिक, "शिक्षाविदों के इतिहास में कभी भी वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन लर्निंग चैनलों का इतने बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया गया था. अब, अधिक छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने शिक्षा के लिए ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल करना सीख लिया है और हमारा मानना है कि मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण तरीका होगा."
ब्रेनली के पास 3,50,00,000 लाख से अधिक छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों का एक समुदाय है, जो मिलकर शिक्षण को चलाते हैं. इसके भारत में कुल 55,00,000 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं और अमेरिका, रूस, इंडोनेशिया, ब्राजील, पोलैंड समेत दूसरे देशों से भी हैं.
आईएएनएस
जर्मनी में पढ़ना पसंद कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय छात्र
भारत से हर साल लाखों छात्र उच्च शिक्षा हासिल करने विदेश जाते हैं. यूनेस्को के 2018 के सर्वे के मुताबिक दुनिया भर 50 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे. डाड के मुताबिक भारतीयों में जर्मनी लोकप्रिय देश बन रहा है.
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जर्मनी है पसंद
अमेरिका अब भी विदेश में जाकर पढ़ने वाले छात्रों का पसंदीदा देश है लेकिन बीत सालों में जर्मनी छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है. वहीं भारत से जर्मनी जाने वाले छात्रों की संख्या बीते कुछ सालों में बढ़ी है. विश्व स्तर पर भी छात्रों की पसंद में बदलाव आया है. जर्मन अकैडमिक एक्सचेंज सर्विस यानी डाड के मुताबिक जर्मनी आने वाले छात्र सबसे ज्यादा चीन और भारत के हैं.
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पिछड़ गया फ्रांस
जर्मनी में 13 फीसदी विदेशी छात्र चीन से आते हैं. वहीं भारत से आने वाले छात्रों की संख्या सात प्रतिशत है. उच्च शिक्षा के मामले में जर्मनी ने फ्रांस को पछाड़ते हुए तीसरा स्थान हासिल कर लिया है. अमेरिका पहले स्थान पर काबिज है और उसके बाद संयुक्त रूप से ब्रिटेन और चीन हैं.
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जर्मनी है आकर्षक
डाड के अध्यक्ष जॉयब्रतो मुखर्जी के मुताबिक विश्व स्तर पर कोरोना महामारी ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आने जाने को बदल दिया है. यह अच्छा मौका है कि हम भविष्य के लिए छात्रों को समझाए कि यह देश शिक्षा के लिए अच्छा विकल्प है.
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कहां-कहां से आते हैं जर्मनी
साल 2019 में चीन से 40,000 छात्र जर्मनी पढ़ाई के लिए पहुंचे, इसके बाद भारत से 20,600, सीरिया से 13,000, ऑस्ट्रिया से 11,500 और रूस से 10,500 छात्र पढ़ने के लिए पहुंचे. दिलचस्प बात यह है कि सीरिया से यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या पिछले तीन साल में 275 फीसदी बढ़ी है. जर्मनी में पढ़ने वाले ज्यादातर सीरियाई छात्र शरणार्थी हैं.
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उच्च शिक्षा के लिए घर से दूर
साल 2001 में 21 लाख छात्रों ने वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा के लिए अपना घर छोड़ दूसरे देशों में गए. यह संख्या साल 2019 में बढ़कर 53 लाख हो गई. इस दौरान विदेशी छात्रों के बीच कनाडा और चीन आकर्षक देश बने तो वहीं अमेरिका की पकड़ थोड़ी ढीली हो रही है. एशिया के छोटे देश जैसे सिंगापुर भी छात्रों को अपनी ओर खींच रहे हैं.
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जर्मनी में मौके
जर्मनी में उच्च शिक्षा से लेकर शोध तक में विदेशी छात्रों को कई मौके मिलते हैं. विज्ञान और आईटी के क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जर्मनी में जाकर शोध करते हैं और अपनी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करते हैं.
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स्कॉलरशिप से शिक्षा आसान
जर्मनी में छात्र स्कॉलरशिप पाने के बाद करीब-करीब मुफ्त शिक्षा पा लेते हैं. रहने के लिए हॉस्टल और खाना भी वहां अन्य देशों के मुकाबले सस्ता है. प्रांतों में यात्रा के लिए छात्रों को ट्रैवल पास भी दिया जाता है.