तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को निर्वासन में रहते हुए 60 साल हो गए हैं, लेकिन अब भी वह तिब्बत में रहने वाले अपने अनुयायियों के दिल में बसते हैं और यही बात चीनी अधिकारियों को परेशान करती है.
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चीन के तिब्बती पहाड़ी इलाके के उत्तरी छोर पर स्थित है टक्टसर जहां पर 1935 में एक किसान परिवार में दलाई लामा का जन्म हुआ था. यह जगह ना सिर्फ दलाई लामा को मानने वालों को अपनी तरफ खींचती है बल्कि विदेशी पर्यटक भी यहां बड़ी संख्या में आते हैं. ऐसे में, यहां कड़ी सुरक्षा भी होती है.
हाल में रॉयटर्स के पत्रकारों ने टक्टसर का दौरा किया जिसे चीनी भाषा में होंग्या के नाम से जाना जाता है. वहां सशस्त्र पुलिसवालों ने पत्रकारों को उस रास्ते की तरफ नहीं जाने दिया जो एक गांव की तरफ जाता है. वहां पर लगभग 60 घर हैं. सुरक्षाकर्मियों और सफेद कपड़े पहने हुए दर्जनों अधिकारियों ने यह कहते हुए पत्रकारों को वहां जाने से रोक दिया कि यह निजी संपत्ति है और जनता के लिए खुली नहीं है.
जब इस बारे में छिंगहाई की प्रांतीय सरकार और चीन के स्टेट काउंसिल इंफर्मेशन कार्यालय से पूछा गया तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. माना जाता है कि इस गांव में अब भी दलाई लामा का परिवार रहता है. उन्हें लकड़ी के दरवाजों और कंक्रीट की बड़ी दीवारों के पीछे रखा गया है. जब भी किसी संवेदनशील राजनीतिक घटना की वर्षगांठ होती है तो चीनी अधिकारी इस गांव में बाहरी लोगों को जाने से रोक देते हैं.
चीन नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को एक खतरनाक अलगाववादी मानता है और वह 83 वर्षीय इस धार्मिक नेता को "साधु के वेश में एक भेड़िया" करार देता है. दूसरी तरफ, दलाई लामा किसी भी तरह की हिंसा भड़काने के आरोपों को खारिज करते हैं. उनका कहना है कि वह बस तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं.
संवाद के कलाकार दलाई लामा
दलाई लामा तिब्बत की पहचान हैं और चीन के अधीन इस इलाके की स्वायत्तता के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं. वहीं चीन उन्हें एक अलगगाववादी मानती है.
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अथक यात्री
दलाई लामा अथक यात्री हैं जो वैश्विक समुदाय के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखते हैं. भले ही उनके पास ज्यादा राजनैतिक ताकत नहीं हो, लेकिन नेताओं, अभिनेताओं और बड़ी हस्तियों से उनके नजदीकी संबंध हैं. हालांकि उनसे मुलाकात दुनिया के कई नेताओं के लिए मुश्किल बन जाती है.
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भारत में बसेरा
दलाई लामा अपने लाखों अनुयायियों के साथ भारत में शरण लिए हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से तिब्बतियों की निर्वासित सरकार चलती है.
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नाराज बीजिंग
2007 में जर्मनी में दलाई लामा के स्वागत के लिए चांसलर अंगेला मैर्केल खुद आई थीं. चीनी सरकार ने इसकी कड़ी आलोचना की थी और कुछ जर्मन नेताओं ने भी. मई 2008 में तत्कालीन विकास मंत्री हाइडेमारी वित्सोरेक सॉइल भी ल्हासा के दंगों के बाद दलाई लामा से उनके निवास के बाहर अनौपचारिक तौर पर मिली थीं.
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मजाक करने वाले
तिब्बतियों के धार्मिक नेता का ह्यूमर जोरदार है. तस्वीर में 2008 में सिएटल की कॉन्फ्रेंस के दौरान दक्षिण अफ्रीका के आर्चबिशप से बातचीत करते हुए दलाई लामा. .
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मिलने से डर नहीं
जर्मनी के रुढ़िवादी नेता रोनाल्ड कॉख की आलोचना की जाती रही है क्योंकि दलाई लामा उनके नजदीकी मित्र हैं. 2009 में फ्रैंकफर्ट में दलाई लामा और कॉख.
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दोस्त और शिक्षक
2005 में वीसबाडेन शहर में दलाई लामा अपने दोस्त हाइनरिष हारेर के साथ. हारेर बाद में दलाई लामा के टीचर बने. 94 साल की उम्र में हारेर की ऑस्ट्रिया के त्सारिंथिया में मृत्यु हुई.
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फ्रांस में दलाई लामा
फ्रांस की पूर्व प्रथम महिला कार्ला ब्रूनी-सारकोजी दक्षिणी फ्रांस में एक बौद्ध मंदिर के उद्घाटन के दौरान. हालांकि 2008 में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी तिब्बती आध्यात्मिक नेता से नहीं मिले.
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नकली नजदीकी
तिब्बत की आजादी में दलाई लामा को शामिल करने की चीन की कोशिशें विफल रहीं. चीनी कम्युनिस्ट नेता माओ जेडॉन्ग को दलाई लामा और पंचम लामा के रक्षक के रूप में दिखाया गया है. यह तस्वीर दलाई लामा के भारत भागने से तीन साल पहले 1956 की है.
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कूटनीति
2014 की शुरुआत में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दलाई लामा को निजी बातचीत के लिए व्हाइट हाउस में बुलाया. यह दोनों के बीच तीसरी बैठक थी. चीन ने चेतावनी दी कि वह इस बैठक को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मानेगा.
चीन में रहने वाले 60 लाख से ज्यादा तिब्बतियों में ज्यादातर अब भी दलाई लामा का बहुत सम्मान करते हैं. हालांकि चीन में दलाई लामा की तस्वीर और उनके प्रति सम्मान के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध है. 1959 में दलाई लामा को एक सैनिक के वेश में तिब्बत से भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी.
उस वक्त अफवाह उड़ी थी कि चीनी सैनिक उनके अपहरण या हत्या की योजना बना रहे हैं. इससे तिब्बत में बगावत शुरू हो गई. लेकिन चीन ने जल्द ही उसे दबा दिया और दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा. तब से वे कभी तिब्बत वापस नहीं जा सके हैं.
दलाई लामा का नाम पहले ल्हामो थोंडुप था. वह सिर्फ दो साल के थे जब उन्हें तिब्बतियों के सबसे अहम अध्यात्मिक नेता दलाई लामा का नया अवतार घोषित किया गया. और इस तरह उन्हें ल्हासा में रहने वाले अपने परिवार से अलग कर दिया गया.
दलाई लामा के चीन से भागने की वर्षगांठ चीन के सियासी कैलेंडर की सबसे संवेदशील तारीखों में से एक होती है. एक ऐसी ही तारीख है 1989 में बीजिंग के थिएनानमन चौक पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को कुचलना. इस घटना को इस साल जून में 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी नहीं चाहेगी कि इसे लेकर किसी तरह का विवाद हो.
चीनी संसद के हालिया सत्र के दौरान तिब्बत के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख वु इंगची ने कहा कि तिब्बत के लोग दलाई लामा से ज्यादा लगाव चीन की सरकार से रखते हैं. उनके मुताबिक, "दलाई लामा ने तिब्बत के लोगों के लिए एक भी अच्छी चीज नहीं की है."
दलाई लामा की उम्र बढ़ रही है. ऐसे में, बहुत से तिब्बतियों को डर है कि चीन की सरकार उनकी जगह अपने किसी पसंदीदा व्यक्ति को नियुक्त कर देगी. दलाई लामा ने कहा कि उनके अवतार को चीन नियंत्रित इलाके के बाहर से ढूंढा जा सकता है. या फिर दलाई लामा नाम की संस्था उनके साथ ही खत्म हो सकती है.
एके/आईबी (रॉयटर्स)
बापू से प्रभावित
दो अक्टूबर 1869 को भारत में एक ऐसी ज्योति ने जन्म लिया, जिसने पूरे विश्व को अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया. आईये देखें उन बड़ी हस्तियों को जिन्हें महात्मा गांधी से प्रेरणा मिली.
बराक ओबामा
2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा वर्जीनिया प्रांत के एक हाईस्कूल में गए. तभी एक छात्र ने सवाल किया कि आप जीवित या गुजर चुकी किस हस्ती के साथ डिनर करना चाहेंगे. ओबामा ने जवाब दिया, "महात्मा गांधी." अमेरिकी संसद में ओबामा के दफ्तर में महात्मा गांधी की तस्वीर भी लगी है.
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मार्टिन लूथर किंग
अमेरिका के मशहूर क्रांतिकारी मार्टिन लूथर किंग ने नागरिक अधिकारों के लिए अहिंसक तरीके से लड़ाई लड़ी और कामयाबी पाई. मार्टिन लूथर किंग गांधी की सोच और उनके विचारों से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे. किंग ने कहा, "ईसा मसीह ने हमें लक्ष्य दिये हैं और महात्मा गांधी ने उन लक्ष्यों तक पहुंचने की रणनीति."
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स्टीव जॉब्स
जवानी में भारत भ्रमण पर आए स्टीव जॉब्स गांधी की जिंदगी और आध्यात्म से प्रभावित थे. स्टीव जॉब्स ने 1980 के दशक में जब अपनी कंपनी बनाई और एप्पल कंप्यूटर बेचना शुरू किया तो उन्होंने विज्ञापनों में चरखे के साथ बापू की तस्वीर लगाई. विज्ञापन का नारा था, "अलग सोचो."
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अल्बर्ट आइनस्टाइन
20वीं सदी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन भी महात्मा गांधी के कायल थे. दोनों एक दूसरे को खत भी लिखा करते थे. गांधी जी के हत्या की खबर पाते ही आइनस्टाइन की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा, "एक दिन ऐसा भी हो सकता है कि आने वाली पीढ़ी को यकीन ही नहीं होगा कि मांस और खून का बना ऐसा आदमी कभी पृथ्वी पर चला होगा."
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नेल्सन मंडेला
दक्षिण अफ्रीका का आधुनिक इतिहास नेल्सन मंडेला से जुड़ा है और नेल्सन मंडेला गांधी से जुड़े हैं. नेल्सन मंडेला ने गांधी के पदचिह्नों पर चलते हुए दक्षिण अफ्रीका को रंग भेद और नस्लवाद से आजादी दिलाई. भारत में तैनात दक्षिण अफ्रीका के राजदूत हैरिस माजेके ने कहा, "नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पिता हैं और महात्मा गांधी हमारे दादा."
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जॉन लेनन
संगीत की दुनिया के सबसे बड़े नामों में शुमार बीटल्स बैंड के ब्रिटिश संगीतकार जॉन लेनन भी गांधी से प्रभावित थे. बापू के जैसा गोल चश्मा लेनन भी पहना करते थे. लेनन कहते थे कि गांधी ने कहा है "वो बदलाव खुद बनो, जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो."
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दलाई लामा
तिब्बत में चीन के दमन के बाद दलाई लामा भागकर भारत आए. 1956 में 20 साल की उम्र में दलाई लामा राजघाट में बापू की समाधि पर गए. दलाई लामा ने समाधि को छुआ और जीवन में कभी हिंसा का रास्ता न अपनाने का प्रण किया. 1989 में दलाई लामा ने अपना शांति पुरस्कार महात्मा गांधी को समर्पित किया.
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आंग सांग सू ची
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और म्यांमार की नेता आंग सांग सू ची अपने जीवन को महात्मा गांधी से प्रभावित बताती है. सू ची दुनिया भर में जगह जगह बच्चों को गांधी के बारे में पढ़ने को कहती हैं. म्यांमार में सेना के सत्ता हथियाने के लिए खिलाफ सू ची ने लंबा अहिंसक विरोध किया. वह 15 साल नजरबंद रहीं.