हिरोशिमा में एक अदालत ने अमेरिका द्वारा किए परमाणु बम हमले से प्रभावित लोगों की सूची का और विस्तार कर दिया. अब और भी लोग ऐसे लोगों की सूची में शामिल हो पाएंगे जिन पर 75 साल पहले हुए उस हमले का असर पड़ा था.
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हिरोशिमा जिला अदालत ने कहा कि अपील करने वाले सभी 84 वादियों को वो सभी चिकित्सा संबंधी सुविधाएं दी जाएं जो हमले के पीड़ितों को दी जाती हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किए उस हमले के पीड़ितों को हिरोशिमा में स्थानीय लोग "हिबाकुशा" कहते हैं.
युद्ध के बाद, जापान की सरकार ने कुछ इलाकों को बमबारी की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित घोषित किया था और उस समय जो लोग वहां रह रहे थे उन्हें मुफ्त चिकित्सा देने की घोषणा की थी. ये 84 वादी जिन इलाकों में रहते थे वो हमले से प्रभावित घोषित इलाके से तो बाहर थे लेकिन हमले के बाद हुई रेडियोएक्टिव "काली बारिश" की चपेट में आ गए थे.
उन्होंने अदालत में दलील दी थी कि उनके स्वास्थ्य पर भी उसी तरह का प्रभाव पड़ा था जैसा कि उन लोगों पर पड़ा था जो घोषित इलाके में थे. जज योशियुकी ताकाशीमा ने कहा, "काली बारिश में भीग जाने से इन लोगों के वक्तव्यों में कोई तर्कहीनता नहीं है. मेडिकल कागजात दिखाते हैं कि इन लोगों को भी ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें परमाणु बम से संबंधित माना जाता है और जो हिबाकुशा की कानूनी परिभाषा के तहत आते हैं."
जापान में यूं भी बुजुर्गों के लिए एक उदार स्वास्थ्य व्यवस्था है. जो भी 75 वर्ष या उससे ज्यादा की आयु के हैं उन्हें अपने इलाज के खर्च का सिर्फ 10 प्रतिशत भुगतान करना पड़ता है, लेकिन इस मुकदमे का उन लोगों के लिए प्रतीकात्मक मूल्य था जो सालों से कह रहे हैं कि उस भयानक हमले में उन्हें भी कष्ट झेलना पड़ा था. फैसले की घोषणा के बाद वादियों और उनके समर्थकों में खुशी की एक लहर दौड़ गई. एक व्यक्ति ने अदालत से निकलने के बाद एक बैनर भी लहराया जिस पर लिखा था, "संपूर्ण विजय."
मार्च 2020 तक जापान की सरकार ने 1,36,682 लोगों को बतौर हिबाकुशा मान्यता दी हुई थी. इनमें नागासाकी में रहने वाले लोग भी शामिल थे, जहां नौ अगस्त, 1945 को दूसरा और अंतिम हमला हुआ था. हिरोशिमा पर बमबारी और उसके बाद की घटनाओं में करीब 1,40,000 लोग मारे गए थे और नागासाकी पर हमले में 74,000 लोग मारे गए थे. अगले सप्ताह दोनों हमलों को 75 साल पूरे हो जाएंगे और इस मौके पर जापान में विशेष आयोजन किए जाएंगे.
जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर 1945 में हुए परमाणु हमले अब तक अकेले परमाणु हमले हैं. दुनिया भर में बढ़ती हिंसा के बीच जापानी शहरों पर परमाणु हमले मानव सभ्यता के लिए चेतावनी है.
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कयामत
6 अगस्त 1945. जापानी समय के अनुसार सुबह के 8 बजकर 15 मिनट. हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ. शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा इस विस्फोट की चपेट में आया. जैसे नाभिकीय आग का गोला फूटा हो जिसमें लोग, जानवर और पौधे जल गए. मलबे में तब्दील शहर और लोगों की त्रासदी के बीच मानव सभ्यता को एक नया प्रतीक मिला, परमाणु बम का कुकुरमुत्ते जैसा गुबार.
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फैसला
जर्मनी द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान का पराजित साथी था. उसने मई में ही समर्पण कर दिया था.जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिए जर्मनी के पोट्सडम शहर में मिले. प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था. जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने से इंकार कर रहा था.
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लिटल बॉय
पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह खबर मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है और लिटल बॉय नाम का बम प्रशांत क्षेत्र की ओर भेजा जा रहा है. परमाणु बम के इस्तेमाल की तैयारी पूरी हो चुकी थी और पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान फौरन बिना शर्त हथियार डालने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा.
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इनोला गे
जापान के समर्पण नहीं करने पर हिरोशिमा पर हमले के लिए पहली अगस्त 1945 की तारीख तय की गई. लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोक देना पड़ा. पांच दिन बाद इनोला गे विमान 13 सदस्यों वाले कर्मीदल लेकर हमले के लिए रवाना हुआ. लड़ाकू विमान के कर्मियों को उड़ान के दौरान पता लगा कि उन्हें लक्ष्य पर परमाणु बम गिराना है
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भारी नुकसान
कहते हैं कि परमाणु बम हमले के बाद हिरोशिमा के ढाई लाख निवासियों में 70-80 हजार की फौरन मौत हो गई. धमाके के कारण पैदा हुई गर्मी में पेड़ पौधे और जानवर भी झुलस गए. इस इमारत को छोड़कर कोई भी इमारत परमाणु बम की ताकत को बर्दाश्त नहीं कर पाई. यह इमारत थी धमाके से 150 मीटर दूर शहर के वाणिज्य मंडल की. लकड़ी के बने कुछ पुराने मकान परमाणु हमले और उसके बाद हुई तबाही की दास्तान सुनाने के लिए बच गए.
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हमले के शिकार
हिरोशिमा में परमाणु धमाके के आस पास के लोगों के लिए मौत से बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. दूर में जो बच गए उनका शरीर बुरी तरह जल गया था. जलने, विकिरण का शिकार और घायल होने के कारण लोगों का मरना कई दिनों और महीनों में भी जारी रहा. यह महिला सौभाग्यशाली रही, बच गई लेकिन गर्मी की वजह से शरीर पर कपड़ा चिपक गया. पांच साल बाद परमाणु हमलों में मरने वालों की संख्या 230,000 आंकी गई.
दूसरा हमला
हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं था. संभवतः अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिकियों ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया. पहले क्योटो पर हमला होना था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी को चुना गया. फैट मैन नामका बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति का था. हमले में करीब 40,000 लोग तुरंत मारे गए.
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सामरिक चुनाव
नागासाकी 1945 में मित्सुबिशी कंपनी के हथियार बनाने वाले कारखानों का केंद्र था. नागासाकी के बंदरगाह पर उसका जहाज बनाने का कारखाना था. एक अन्य कारखाने में टारपीडो बनाए जाते थे जिनसे जापानियों ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला किया था. शहर में बहुत ज्यादा जापानी सैनिक तैनात नहीं थे, लेकिन युद्धपोत बनाने वाले कारखाने के छुपे होने के कारण उस पर सीधा हमला करना संभव नहीं था.
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समर्पण
नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दिया. मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे. उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास "अमानवीय" हथियार होने की दलील देकर बेशर्त समर्पण करने की घोषणा की.
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स्मारक
औपचारिक रूप से युद्ध 12 सितंबर 1945 को समाप्त हो गया. लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों का शिकार होने वालों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ है. इस तकलीफ ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया है. हमले में बच गया हिरोशिमा के वाणिज्य मंडल की इमारत का खंडहर आज युद्ध और परमाणु हमले की विभीषिका की याद दिलाने के लिए स्मारक का काम करता है.
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भयावह यादें
अगस्त 1945 के हमले के बाद से दुनिया भर के लोग इस हमले की याद करते हैं. हिरोशिमा में बड़ी स्मारक सभा होती है जहां दुनिया को चेतावनी देने जीवित बचे लोगों के अलावा राजनीतिज्ञ और दुनिया भर के मेहमान भी आते हैं. बहुत से जापानी अब परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सक्रिय हैं. ध्वस्त हिरोशिमा की तस्वीर के सामने सहमे हुए पिता-पुत्री.