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विज्ञानअफ्रीका

आठ साल तक बिना भोजन के जिंदा रहता है यह जीव

क्लेयर रोठ
१२ मार्च २०२२

अमेरिका के रिसर्चरों ने अफ्रीकी टिक की एक प्रजाति की लंबी उम्र के बारे में खोज की है. यह जीव करीब 30 वर्षों तक जीवित रहता है. भोजन के बगैर भी यह जीव 8 साल तक जिंदा रह सकता है.

यह टिक सूखे मरुस्थलीय परिस्थियों में पलने के लिए मजबूर हुआ होगा जिसकी वजह से उसमें यह क्षमता आई
यह टिक सूखे मरुस्थलीय परिस्थियों में पलने के लिए मजबूर हुआ होगा जिसकी वजह से उसमें यह क्षमता आईतस्वीर: Ana F./Zoonar/picture alliance

यह क्रूर और चालाकी भरा लगता है कि कैसे कुछ जीवों ने प्रकृति को चुनौती देते हुए खुद को जीवित रखने का असाधारण तरीका इजाद किया है. यहां तक कि उन्होंने कई वर्षों तक बिना भोजन के जीना सीखा. ये जीव सबसे छुप कर जीने में माहिर हैं. ये काफी डरावने भी होते हैं. इनमें से एक का नाम टिक है.

अमेरिका के शोधकर्ता जूलियन शेफर्ड को 1976 में बड़े अफ्रीकी टिक की विशेष प्रजाति उपहार में दी गई थी. उन्होंने 27 वर्षों तक अपनी प्रयोगशाला में इन टिकों पर अध्ययन किया. 

इस दौरान शेफर्ड ने देखा कि कुछ मादा टिक करीब आठ वर्षों तक बिना कुछ खाए जिंदा रहीं. यही नहीं, सभी नर टिकों की मौत के चार वर्ष के बाद भी कुछ मादा टिक प्रजनन करने और बच्चों को जन्म देने में कामयाब रहीं. ये टिक अर्गस ब्रम्प्टी प्रजाति के थे, जो आमतौर पर अफ्रीका के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में पाए जाते हैं.

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शेफर्ड ने जर्नल ऑफ मेडिकल एंटोमोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में लिखा है कि ये प्रजाति इतने लंबे समय तक जीवित रहते हैं जो अपने-आप में एक रिकॉर्ड है. बिना भोजन के किसी भी जीव का इतने लंबे समय तक जिंदा रहना विज्ञान की दुनिया का दुर्लभ मामला है.

टार्डीग्रेड बिना भोजन के 30 साल तक जिंदा रह सकता हैतस्वीर: Bob Goldstein & Vicki Madden, UNC Chapel Hill/AP Photo/picture alliance

धरती पर कुछ ही ऐसे अन्य जीव हैं जो ‘बिना कुछ खाए' कई वर्षों तक जीवित रह सकते हैं. इनमें एक है ओल्म, जो समुंदर में रहने वाला जलीय जीव है. मगरमच्छ भी ऐसा कर सकते हैं. विचित्र सा दिखने वाला 'वॉटर बीयर' यानी टार्डिग्रेड्स भी बिना भोजन के 30 वर्षों तक जीवित रह सकता है.

हालांकि, शेफर्ड को अपने टिक के साथ इस तरह का प्रयोग करने और उन पर अध्ययन करने का कोई इरादा नहीं था. यह पूरी तरह एक संयोग था. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "सच कहूं, तो उन टिक को लेकर मेरी कोई योजना नहीं थी. मैं टिक को लेकर बस अपने अनुभव को बढ़ाने के बारे में सोच रहा था. मुझे कोई आइडिया नहीं था कि वे इतने समय तक जिंदा रहेंगे.”

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टिक को खिलाना

ए. ब्रम्प्टी बिना भोजन के इतने दिनों तक जीवित रह सकते हैं, इसका पता चलना महज एक संयोग था. शेफर्ड ने कहा कि उन्होंने टिक को भोजन देना इसलिए बंद कर दिया क्योंकि इसके लिए उन्हें खून की जरूरत थी. टिक भोजन के तौर पर किसी का खून चूसते हैं. टिक को भोजन उपलब्ध कराने के लिए उन्हें चूहों से बड़े जीव की जरूरत थी. इस वजह से नैतिक और उनके रखरखाव की समस्या आ खड़ी हुई.

उन्होंने आगे कहा, "मैंने उनके भोजन के तौर पर खरगोश का इंतजाम किया, लेकिन यह उतना मानवीय नहीं था जितना मैं चाहता था. मैंने कुछ टिक को खुद  का खून चूसने का मौका दिया, लेकिन सिर्फ एक बार. इसके बाद, मैंने पाया कि मैं उन्हें उन चूहों को भोजन के तौर पर दे सकता हूं जिन्हें प्रयोगशाला में मरने के लिए छोड़ दिया गया था.”

सॉफ्ट और हार्ड टिक

ए ब्रुम्प्टी को ‘सॉफ्ट टिक' के रूप में जाना जाता है. सॉफ्ट टिक, ‘हार्ड टिक' से अलग होते हैं. हार्ड टिक आमतौर पर अमेरिका और यूरोप में पाए जाते हैं. शेफर्ड कहते हैं कि इस बात की काफी कम संभावना है कि सॉफ्ट टिक अपने भोजन के तौर पर इंसानों का खून चूस सकते हैं.

हालांकि, ये टिक कई गंभीर बीमारियों को फैलाते हैं. जैसे, टिक बॉर्न रिलैप्सिंग फीवर (टीबीआरएफ). यह बीमारी अफ्रीका के साथ-साथ भूमध्य सागर और पश्चिमी उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में पायी जाती है. टीबीआरएफ जीवाणु से होने वाला संक्रमण है. इससे बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और बार-बार उबकाई की समस्या हो सकती है. साथ ही, शरीर पर लाल चकत्ते का निशान भी उभर सकता है.

शेफर्ड ने प्रकृति को चुनौती देने वाले अपने टिक को हाल ही में दक्षिण अफ्रीका भेजा है. उन्हें उम्मीद है कि वहां दूसरे रिसर्चर इन टिकों की देखभाल करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि नए रिसर्चरों को लगता है कि वर्षों पहले जो टिक उन्हें उपहार में दिए गए थे वे कई प्रजातियों के हो सकते हैं. नए रिसर्चर इन टिकों के आनुवांशिक संबंधों का पता लगाने और उनका विश्लेषण करने के लिए डीएनए तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं.

लेकिन क्या इन टिक पर हुए प्रयोग से इंसानों की उम्र बढ़ाने जैसी किसी जानकारी का खुलासा हुआ है? ऐसा लगता है कि इस सवाल का जवाब है, ‘नहीं'. शेफर्ड ने कहा, "मुझे जो बात सबसे ज्यादा रोमांचित करती है वह यह है कि किस तरह इन जीवों ने जिंदा रहने के असाधारण तरीके खोजे हैं.”

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