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82 देशों के 951 शहरों में 'कब्जा प्रदर्शन'

१५ अक्टूबर २०११

अरब जगत में तानाशाहों के पर कतरने के बाद क्रांति की वसंत कार्पोरेट लालच और पूंजीपतियों की मुनाफाखोरी की ओर रुख कर रही है. अमेरिका में वॉल स्ट्रीट पर कब्जा नाम से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन दुनियाभर में फैल रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com

शनिवार को 82 देशों के 951 शहरों में उन्हीं बातों के विरोध में प्रदर्शन हुए जिन्होंने अमेरिका में वॉल स्ट्रीट पर कब्जा नाम की लहर चलाई हुई है. स्पेन में इनका नाम इन्डिगनैंट्स है. लेकिन अब ये पूरी दुनिया में हैं. सिडनी, हॉन्ग कॉन्ग और टोक्यो में शनिवार की सुबह इन्हीं प्रदर्शनों के साथ हुई.

15 मई को स्पेन के मैड्रिड में मुख्य चौराहे पुएर्ता डेल सोल में एक रैली ने इन कार्पोरेट लालच विरोधी प्रदर्शनों का एक सिलसिला शुरू किया. महाकाय वित्तीय संस्थानों को मिलने वाली राहतों और बढ़ती बेरोजगारी ने इन्हें हर देश में समर्थन दिलाया है.

शनिवार को ही यूरोजोन के वित्तीय संकट पर पेरिस में जी20 की बैठक हो रही है.यूरोपीय देश जी 20 के अपने सहयोगी देशों को यह समझाने की कोशिश में हैं कि वो कर्ज संकट का हल निकाल लेंगे. यूरोप के कर्ज संकट की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर फिर से मंदी में घिरने का संकट मंडरा रहा है. जी 20 के देशों की दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में करीब 85 फीसदी की हिस्सेदारी है. बैठक में इन देशों के वित्त मंत्री उन उपायों पर चर्चा कर रहे हैं जिससे कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो और संकट को टाला जा सके. अगले महीने होने वाली जी 20 देशों के सम्मेलन में इन कदमों का एलान किया जाएगा. विकासशील देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शक्ति बढ़ाने की बात कर रहे हैं जबकि जर्मनी और अमेरिका इसके विरोध में हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन देशों की बातचीत में शनिवार की बातचीत पूरी होने तक किसी बड़े नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.

तस्वीर: DW/Ljiljana Pirolic

हॉन्ग कॉन्ग, टोक्यो और सिडनी

एशियाई शहरों में सड़कों पर उतरे लोगों की तादाद कहीं कम रही तो कहीं ज्यादा. हॉन्ग कॉन्ग के व्यापारिक जिले में लगभग 500 लोग जमा हुए. उन्होंने मुक्त बाजार पूंजीवाद के विरोध में नारे लगाए. वहां प्रदर्शनकारी खुद को लेफ्ट 21 के नाम से संबोधित कर रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी वोंग वेंग-ची ने कहा, "हॉन्ग कॉन्ग में हुई ऑक्युपाई सेंट्रल नाम की रैली सिर्फ वॉल स्ट्रीट पर कब्जा मुहिम के समर्थन में नहीं है. इसके मायने उससे ज्यादा हैं. हॉन्ग कॉन्ग एशिया के वित्तीय बाजार का बड़ा हिस्सा है. यह कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का गढ़ है. यहां से बहुत से धनकुबेर और पूंजीवादी पैसे पर एकाधिकार का काम करते हैं."

तस्वीर: DW/Ljiljana Pirolic

70 लाख लोगों का शहर हॉन्ग कॉन्ग अमीर उद्योगपतियों, कम कर और महंगे बाजारों के लिए जाना जाता है.

सिडनी में लगभग 600 प्रदर्शनकारी ऑस्ट्रेलिया के केंद्रीय बैंक के बाहर जमा हुए. वहां लोगों ने अपनी मांगों में वित्तीय संकट के लिए चिंता के साथ साथ शरणार्थियों और आदिवासियों की बुरी हालत को भी जोड़ा.

तस्वीर: dapd

टोक्यो में प्रदर्शन करने वाले ज्यादा नहीं थे. वहां करीब 100 लोगों ने गलियों में मार्च किया. वे टोक्यो पर कब्जा के नारे लगा रहे थे. जब वे फुकुशिमा परमाणु प्लांट चलाने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर के सामने से गुजरे तो उन्होंने अपने नारों में परमाणु ऊर्जा का विरोध भी जाहिर किया. इन प्रदर्शनकारियों में होसाई यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 22 साल की तोमोको होरागुची भी शामिल थीं. होरागुची को वॉल स्ट्रीट पर कब्जा मुहिम ने काफी प्रभावित किया है. वह कहती हैं, "मेरे अंदर भी वही गुस्सा है. खासतौर पर मैं परमाणु संयंत्रों पर नाराज हूं. सिर्फ एक फीसदी लोग उन्हें अब भी चलाना चाहते हैं."

कहां से निकली चिंगारी

इन प्रदर्शनों को आयोजन करने वाले लोग ज्यादातर फेसबुक और ट्विटर पर निर्भर हैं. इसी के जरिए उन्होंने यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के 82 देशों के 951 शहरों में एक साथ प्रदर्शन कराने की कोशिश की है.

इस तरह के प्रदर्शन सबसे पहले इन्डिगनैंट नाम सेस्पेन में शुरू हुए. स्पेन में 20.89 फीसदी लोग बेरोजगार हैं. 16 से 24 साल की आबादी में बेरोजगारी की दर 46.1 फीसदी है. इसी के विरोध में प्रदर्शनकारी लगभग एक महीने तक मैड्रिड के मुख्य चौराहे पर प्रदर्शन करते रहे.

तस्वीर: dapd

यहां से प्रदर्शन पूरे यूरोप में फैल गए. वित्तीय संकट से घिरे ग्रीस में उन्हें काफी समर्थन मिला. फिर धीरे धीरे पूरी दुनिया से होते हुए यह चिंगारी वित्तीय दुनिया के केंद्र कहे जा सकने वाले वॉल स्ट्रीट के सामने पहुंच गई. वहां सैकड़ों लोगों ने वॉल स्ट्रीट पर कब्जा के बैनर तले प्रदर्शन किया. बीते 17 सितंबर से अब तक सैकड़ों लोग न्यूयॉर्क के वित्तीय जिले में एक छोटे से पार्क में टेंट बनाकर रह रहे हैं. शुक्रवार को न्यूयॉर्क के अधिकारियों ने उस पार्क पर कब्जा करने की अपनी योजना टाल दी, जिसे प्रदर्शनकारियों ने अपनी जीत करार दिया. जब प्रदर्शनकारी इसका जश्न मनाने के लिए निकले, तो 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को सिर्फ पटरी पर रहने और सड़क पर न चलने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इस निर्देश को नहीं माना. अमेरिका में पुलिस ने डेनेवर, सिएटल और सैन डिएगो शहरों में भी दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है.

तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com

शनिवार को पूरी दुनिया के संघर्ष में अपनी आवाज मिलाने के लिए न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर में शाम पांच बजे एक रैली होगी. मैड्रिड में भी सिबेलेस चौराहे पर शाम 6 बजे रैली होगी. इटली में प्रदर्शनकारियों को रोम लाने के लिए विभिन्न शहरों से करीब 70 बसें तैयार की गई हैं. वहां आयोजक पूरे देश के प्रदर्शनों में करीब दो लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं.

इन प्रदर्शनों के लिए अपना समर्थन जताते हुए करीब 100 लेखकों ने एक ऑनलाइन याचिका पर दस्तखत किए हैं. इनमें सलमान रुश्दी और पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके उपन्यासकार माइकल कनिंगम भी शामिल हैं.

रिपोर्टः एएफपी/रॉयटर्स/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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