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9/11 के बाद नस्ली हत्याएं करने वाले को मिली मौत

२१ जुलाई २०११

9/11 के हमलों के बाद अमेरिका में कुछ विदेशी मूल के लोगों को मारने वाले मार्क स्ट्रोमैन को मौत की सजा दी गई. उसके हमले में घायल रईस भुइंया ने स्ट्रोमैन को बचाने की काफी कोशिश की. लेकिन बुधवार को स्ट्रोमैन को सजा मिल गई.

रईस भुइंया

स्ट्रोमैन के हमले में घायल अमेरिकी मुस्लिम रईस भुइयां ने अदालत से हत्यारे को मौत की सजा न देने की अपील की. भुइयां ने 41 साल के स्ट्रोमैन की मौत की सजा टालने के लिए अमेरिकी प्रांत टेक्सस के गवर्नर और क्रिमिनल जस्टिस डिपार्टमेंट के खिलाफ भी मुकदमा दायर किया. बुधवार को स्ट्रोमैन की मौत से पहले संघीय अदालय ने भुइयां की आखिरी अपील भी ठुकरा दी.

सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों में स्ट्रोमैन की बहन की मौत हो गई. उसकी वकील लिडिया ब्रांड्ट के मुताबिक अपनी बहन से बेहद प्यार करने वाला स्ट्रोमैन उसकी मौत से हिल गया. अत्यधिक भावुक स्ट्रोमैन कई दिनों तक गम में रहा लेकिन इसी बीच उसका गम बदला लेने की भावना में बदला. ब्रांड्ट ने कहा, स्ट्रोमैन "मुस्लिम और सिख के फर्क को नहीं जानता था. उसे उर्दू और अरबी का फर्क भी नहीं पता था. बहन की मौत के बाद वह अमेरिका पर हमला करने वाले मुस्लिमों के खिलाफ लड़ाई की जिद पर अड़ गया."

9/11 के चार दिन बाद डलास में स्ट्रोमैन ने पहली हत्या की. उसने पाकिस्तान के एक नागरिक वकार हुसैन की गोली मारकर हत्या की. स्ट्रोमैन ने वकार से कोई सवाल जवाब नहीं किया बल्कि सीधे गोली मार दी. 21 सितंबर को स्ट्रोमैन के गैस स्टेशन पर सामना भुइंया से हुआ. स्ट्रोमैन ने भुइयां के चेहरे पर गोली मारी. यह करिश्मा ही था कि भुइयां बाल बाल बच गए लेकिन उनकी एक आंख चली गई.

स्ट्रोमैन का तीसरा शिकार वासुदेव पटेल बने. पटेल की हत्या के मुकदमे की वजह से स्ट्रोमैन को 2002 में मौत की सजा दी गई. स्थानीय मीडिया में आई कुछ तस्वीरों में दिखाया गया कि स्ट्रोमैन हत्या के बाद गर्व के साथ अमेरिका का झंडा फहरा रहा था. वह आर्य नस्ल का गुणगान भी कर रहा था.

नौ साल तक जेल में रहने और भुइंया की कोशिशों से वाकिफ होने के बाद स्ट्रोमैन को अपने किए पर पछतावा हुआ. मौत से पहले अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स से उसने कहा, "मैं शांति में हूं. इस दुनिया में नफरत जारी है, यह बंद होनी चाहिए. इससे जिंदगी भर का दर्द मिलता है. मिस्टर रईस भुइंया, एक प्रेरणादायी आत्मा."

इंटरनेट पर जारी एक माफीनामे में स्ट्रोमैन ने कहा, "11 सितंबर 2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बाएं टावर की सबसे ऊपरी मंजिल पर मेरी प्यारी बहन थी. वह मारी गई. मुझे याद है कि मैंने यह दिल दहला देने वाली घटना टीवी पर देखी. लेकिन मुझे माफ कर दीजिए, मैंने अपने बदले, गुस्से और गम का शिकार निर्दोष लोगों को बनाया. मैंने पीड़ितों और अपने परिवार को तबाह कर दिया. यह मूर्खतापूर्ण था. मैंने भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और सऊदी अरब के लोगों को हानि पहुंचाई. अब मुझे मौत की सजा का इंतजार है. मुझे अपने किए कर किसी भी तरह से कोई गर्व नहीं है. "

भुइंया से जब यह पूछा गया कि वह स्ट्रोमैन को क्यों बचाना चाहते हैं तो एक आंख खो चुके शख्स ने अहिंसा का संदेश देते हुए कहा, "मेरे माता पिता ने मुझे अच्छी नैतिक शिक्षा और मजबूत आस्था के साथ बड़ा किया है. अगर कोई आपको हानि भी पहुंचाए तो भी बदला मत लो. उन्हें माफ कर दो, आगे बढ़ो. इससे आपका और उनका भला ही होगा."

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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